Friday, April 19, 2024

कोर्ट में विवादित टिप्पणियां-3: चुनाव आयोग पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए की टिप्पणी जस्टिस संजीब बनर्जी पर पड़ी भारी

मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी का अपेक्षाकृत एक अत्यंत छोटे हाईकोर्ट मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद पर तबादला हुआ तो न केवल मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने इसका सक्रिय विरोध किया बल्कि न्यायिक जवाबदेही और सुधार के लिए अभियान (सीजेएआर) ने कॉलेजियम के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए कहा था कि चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी के स्थानांतरण के लिए किसी भी भौतिक औचित्य के अभाव में एक प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ज‌स्टिस बनर्जी को किसी कारण से “दंडित” किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह था कि क्या कोई चीफ जस्टिस न्याय के आसन पर बैठ कर एक एक्टिविस्ट जैसी टिप्पणी कर सकता है? कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता या पूर्व जज यही कहेंगे कि नहीं। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि भारत के चुनाव आयोग पर कोविड  दूसरी लहर के चरम के दौरान चुनावी रैलियों की अनुमति देने के लिए हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज द्वारा जमानत आदेश में यूपी सहित 5 राज्यों में विधानसभा टालने पर पीएम और चुनाव आयोग से सिफारिश करने पर देशव्यापी लानत मलानत हो रही है फिर चीफ जस्टिस के पद पर रहकर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर ऐसे उत्तेजक टिप्पणी करने पर उच्चतम न्यायालय कालेजियम द्वारा कार्रवाई करना अप्रत्याशित नहीं था।

अब चुनाव आयोग की उदासीनता के बारे में तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी की चिंता वाजिब थी, पर टिप्पणियों की चरम सीमा ने एक विवाद को जन्म दिया। चीफ जस्टिस बनर्जी ने चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि आपकी संस्था कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। आपके अधिकारियों पर शायद हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया जाना चाहिए। क्या आप किसी अन्य ग्रह पर थे जब चुनावी रैलियां हुई थीं?

इन टिप्पणियों को हटाने और न्यायाधीशों के मौखिक बयानों की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अदालती कार्यवाही को पारदर्शी बनाने के लिए मौखिक टिप्पणियों को भी रिपोर्ट करने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मौखिक टिप्पणियों को समाप्त नहीं किया जा सकता है जो रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि सलाह दी कि न्यायाधीशों को “ऑफ द कफ” टिप्पणी करने से बचना चाहिए जो अन्य पक्षों के लिए हानिकारक हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट की ओर से थोड़ी सी सावधानी और संयम ने इस कार्यवाही को रोक दिया होगा। मौखिक टिप्पणी आदेश का हिस्सा नहीं है और इसलिए निष्कासन का कोई सवाल ही नहीं है।

ट्रान्सफर पर मद्रास बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि मद्रास उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी को स्थानांतरित करने की सिफारिश ‘दंडात्मक लगती है। इसके साथ ही उसने सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम से स्थानांतरण की उसकी सिफारिश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। इसके अलावा दिल्ली स्थित कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स ने भी बयान जारी कर ऐसा ही आग्रह किया था। इसने अपने बयान में कहा था कि मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस बनर्जी का रिकॉर्ड अनुकरणीय रहा है। उन रिकॉर्डों और दस्तावेजों को रखा जाना चाहिए जिसके आधार पर बनर्जी का स्थानांतरण मेघालय हाई कोर्ट में किया गया है।

जस्टिस बनर्जी 11 माह तक मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में चेन्नई में रहे। यहां से रवाना होने के पूर्व उन्होंने पीठ के अपने सहयोगियों व बार के सदस्यों व हाईकोर्ट रजिस्ट्री के स्टाफ को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा था कि उनकी कार्रवाई कभी भी निजी नहीं रही, उन्होंने संस्थान के हित में कदम उठाए। पत्र में उन्होंने अपने स्टाफ से खासतौर से कहा था कि उन्हें इस बात का खेद है कि वह उस सामंती संस्कृति का पूरी तरह खात्मा नहीं कर सके, जिसके अधीन वह काम करते हैं। उन्हें मिले सहयोग के लिए स्टाफ की तारीफ करने के साथ ही जस्टिस बनर्जी ने कहा था कि उनके कारण उन्हें ज्यादा घंटे काम करना पड़ा, इसलिए वह क्षमा चाहते हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग का एक मैदान है साहित्य

साम्राज्यवाद और विस्थापन पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने साम्राज्यवाद के संकट और इसके पूंजीवाद में बदलाव के उदाहरण दिए। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर शोषण का मुख्य हथियार बताया और इसके विरुद्ध विश्वभर के संघर्षों की चर्चा की। युवा और वरिष्ठ कवियों ने मेहमूद दरवेश की कविताओं का पाठ किया। वक्ता ने साम्राज्यवाद विरोधी एवं प्रगतिशील साहित्य की महत्ता पर जोर दिया।

Related Articles

साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जंग का एक मैदान है साहित्य

साम्राज्यवाद और विस्थापन पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने साम्राज्यवाद के संकट और इसके पूंजीवाद में बदलाव के उदाहरण दिए। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर शोषण का मुख्य हथियार बताया और इसके विरुद्ध विश्वभर के संघर्षों की चर्चा की। युवा और वरिष्ठ कवियों ने मेहमूद दरवेश की कविताओं का पाठ किया। वक्ता ने साम्राज्यवाद विरोधी एवं प्रगतिशील साहित्य की महत्ता पर जोर दिया।