Friday, March 29, 2024

दंगों की चार्जशीट मीडिया में लीक करना अपराध: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में पिछले साल हुए दंगों के मामले में दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संबंधित अदालत के संज्ञान लेने से पहले ही उसके मीडिया में लीक होने की घटना को लेकर जमकर लताड़ लगायी। हाईकोर्ट ने कहा कि यह घटना अपराध है।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दायर कर जानकारी को मीडिया में लीक करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की जवाबदेही तय करने को कहा है। एकल पीठ ने पुलिस के वकील से कहा कि एक बार मीडिया में आने पर लीक होने का आरोप साबित हो चुका है। यह अब सिर्फ आरोप नहीं है। आपको तय करना होगा कि यह किसने किया। एकल पीठ में दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे वकील अमित महाजन ने कहा कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट की सामग्री पुलिस ने मीडिया में लीक नहीं की। उन्होंने कहा कि पुलिस पर जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकती क्योंकि उन्होंने इसे लीक नहीं किया है।

इस पर एकल पीठ ने कहा कि यह संपत्ति एक पुलिस अधिकारी के हाथ में थी और अगर आपके अधिकारी ने ऐसा किया है तो यह अधिकारों का दुरुपयोग है, अगर इसकी मंजूरी किसी और को दी गई तो विश्वास का आपराधिक उल्लंघन है और अगर इसे मीडिया ने कहीं से लिया है तो यह चोरी है। इसलिये किसी भी सूरत में अपराध बनता है।

एकल पीठ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्टूडेंट आसिफ इकबाल तनहा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी । उसने पूछताछ के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दर्ज कराए गए बयान को मीडिया को लीक करने पर पुलिस पर कदाचार का आरोप लगाया। तनहा का पक्ष रख रहे वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि पुलिस ने हाल ही में निचली अदालत के सामने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी और आरोपियों को इसकी कॉपी उपलब्ध कराए जाने से पहले ही इसके कुछ अंश अगले ही दिन मीडिया के पास थे। उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने तब तक इस चार्जशीट पर संज्ञान भी नहीं लिया था। तब निचली अदालत ने एक आदेश पारित कर मीडिया की आलोचना भी की थी। उन्होंने इस बारे में अतिरिक्त हलफनामा दायर करने के लिए हाईकोर्ट से समय की मांग की। मामले में अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।

इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने सोमवार को दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में सुनवाई करते हुए आसिफ इकबाल तनहा की रिट याचिका पर उनके मीडिया ट्रायल के खिलाफ दिल्ली पुलिस के सतर्कता विभाग को जमकर तलाड़ लगाई। पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यह जांच छोटी-मोटी चोरी के मामले से भी बदतर है। सतर्कता पूछताछ के लीक होने के स्रोत को स्थापित करने में विफल होने के कारण अधिकारियों को कठोर आदेशों की चेतावनी देते हुए अदालत ने यह भी कहा कि सुनवाई की अगली तारीख पर विशेष पुलिस आयुक्त (विजिलेंस) को उपस्थित होना होगा।

एकल पीठ ने जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष को खारिज करते हुए कि मीडिया लीकेज के आरोप निराधार हैं। अदालत ने कहा कि केस फाइल की सूचना लीक केवल इसलिए असुरक्षित नहीं हो गई, क्योंकि दिल्ली पुलिस लीक के स्रोत की पहचान करने में विफल रही है। एकल पीठ ने देखा कि जो डिस्क्लोजर स्टेटमेंट लीक हो गया है, वह मीडिया के लिए सड़क पर पड़ा हुआ कोई दस्तावेज नहीं है, जिसे आसानी से एक्सेस किया जा सके। एकल पीठ ने कहा कि यह मामला वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा हैंडल किया गया है।

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्र सरकार के स्थायी वकील अमित महाजन ने यह स्वीकार किया कि लीकेज अवांछनीय है, जिसके लिए एकल पीठ ने कहा कि यह सिर्फ अवांछनीय ही नहीं है। बल्कि यह अभियुक्त और जाँच की निष्पक्षता के प्रति पूर्वाग्रह है। एकल पीठ ने यह भी कहा कि यह अवमानना भी है। आप ध्यान दें, ये वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। आपने कहां पूछताछ की, आपने किससे पूछताछ की? फाइलें कहां भेजी गईं? कौन उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) और गृह मंत्रालय (MHA) के पास ले गया? और उन्हें वहां से वापस कौन लाया?”

तनहा का मामला यह है कि ज़ी न्यूज़ सहित कई मीडिया चैनलों ने अपनी रिपोर्ट में तनहा के डिस्क्लोजर स्टेटमेंट  के तथ्यों का हवाला दिया था, जो आधिकारिक केस रिकॉर्ड का एक हिस्सा था और चैनलों ने स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के अधिकार के प्रति पूर्वाग्रह पैदा किया और उसे मीडिया ट्रायल के लिए इस्तेमाल किया। वहीं तनहा के लिए पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने 18 अगस्त, 2020 को प्रसारित ज़ी रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि यह रिपोर्ट उस खुलासे पर आधारित है जिसमें आरोप लगाया गया था कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ ने दिल्ली में बसों में आग लगा दी थी और उसने दंगों में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

अग्रवाल ने कहा कि हालांकि डिस्क्लोजर स्टेटमेंट पर किसी भी अदालत में भरोसा नहीं किया जाएगा, लेकिन उनकी समस्या यह है कि कोर्ट में पहली बार आने से पहले यह लीक हो गया। तनहा ने कथित रूप से हिंसक समाचार रिपोर्टों को हटाने और इस पर एक निष्पक्ष जांच के लिए प्रार्थना की है कि आखिर किस तरह यह जानकारी लीक हो गई। उनके वकील ने कहा कि 15 अक्तूबर, 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को स्रोत का खुलासा करने का निर्देश दिया था। हालांकि, इस आदेश के अनुपालन में उन्होंने इस साल 16 जनवरी को केवल एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि लीकेज के आरोप असंबद्ध थे। एकल पीठ ने जिस तरह से पूछताछ की गई उस पर भी असंतोष जाहिर किया।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

‘ऐ वतन मेरे वतन’ का संदेश

हम दिल्ली के कुछ साथी ‘समाजवादी मंच’ के तत्वावधान में अल्लाह बख्श की याद...

Related Articles