डर इस बात का है कि मौत ने घर का रास्ता देख लिया!

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महाराष्ट्र पालघर मॉब लिंचिंग पर देश में वो लोग हंगामा कर रहे हैं जिनके हाथ खुद खून से रंगे हैं। जब उत्तर प्रदेश में कथित मांस को लेकर अखलाक की मॉब लिंचिंग हुई थी और उसके बाद थानेदार सुबोध सिंह की भीड़ द्वारा नृशंस हत्या की गयी थी, जब झारखण्ड में कथित बच्चा चोरी और बैटरी चोरी में भीड़ ने हत्याएं की थी और एक मामले में आरोपियों को जमानत मिलने के बाद हजारीबाग के भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने आरोपियों का नागरिक अभिनंदन किया था, राजस्थान में पशु व्यापारी पहलू खान को गाय की कथित तस्करी करने के नाम पर भीड़ ने मार डाला था, बिहार में अभी भी भीड़ द्वारा हत्याएं की जा रही हैं तब हेट ब्रिगेड चुप्पी साध लेता है। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2018 में ही मॉब लिंचिंग पर दिशा निर्देश जारी किया था जिसका अनुपालन सरकार ने आज तक नहीं किया है।  

पालघर में दो साधुओं की हत्या मामले को जिस तरह से साम्प्रदायिक बनाने की शर्मनाक कोशिशें चल रही हैं उसका पर्दाफाश महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने कर दिया है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट किया है कि हमला करने वाले और जिनकी इस हमले में जान गई है, दोनों अलग धर्मीय नहीं हैं। बेवजह समाज में धार्मिक विवाद निर्माण करने वालों पर पुलिस और महाराष्ट्र साइबर को कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

अर्थात पालघर लिंचिंग, मरने वाले हिन्दू साधु, मारने वाले हिन्दू गांव वाले। पालघर जिले में जूना अखाड़े के दो साधुओं की निर्मम हत्या के मामले में 110 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। गिरफ्तार सभी लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं।  गिरफ्तार किए गए 110 लोगों में 9 नाबालिग हैं। सभी आरोपियों को 30 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी में रखा गया, वहीं नाबालिगों को शेल्टर होम भेज दिया गया है।  

कहते हैं बुढ़िया के मरने का दुख नहीं दुख इस बात का है कि मौत ने घर का रास्ता देख लिया है। पाल घर लिंचिंग कांड इसी तरह का है। महाराष्ट्र में बच्चा चोरी की अफवाह फैली है, जिस तरह झारखंड में बच्चा चोरी की अफवाह पर मॉब लिंचिंग हो रही थी उसी तर्ज पर पालघर में हो गयी। फर्क सिर्फ इतना है कि झारखंड में मुस्लिम इसका शिकार हो रहे थे पाल घर में जूना अखाड़ा के साधु हो गए। मॉब लिंचिंग की जितनी निंदा की जाए कम है।

गोरक्षकों की मॉब लिंचिंग से 50 लोग और बच्चा चोरी की अफवाहों से 30 लोगों की हत्या के बाद, उच्चतम न्यायालय ने दो साल पुराने मामले में जुलाई 2018 में  45 पेज का फैसला देते हुए प्रिवेन्टिव, सुधारात्मक और दण्डात्मक कदमों की बात कही है। किसी व्यक्ति, समूह या भीड़ द्वारा इरादतन या गैर-इरादतन हत्या भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है, जिनका सख्त पालन सुनिश्चित कराने की बजाय उच्चतम न्यायालय ने नई गाइड लाइन्स जारी की है। जिसमें कहा गया है कि मॉब लिंचिंग की घटना होने पर तुरंत एफआईआर, जल्द जांच और चार्जशीट, छह महीने में मुकदमे का ट्रायल, अपराधियों को अधिकतम सज़ा, गवाहों की सुरक्षा, लापरवाह पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई, पीड़ितों को त्वरित मुआवज़े जैसे कदम राज्यों द्वारा उठाए जाएं।

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर ये निर्देश दिए थे। यही नहीं, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि भीड़ की हिंसा में शामिल होने वाले लोगों में कानून के प्रति भय का भाव पैदा करने के लिए विशेष कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने संसद से भी भीड़ हिंसा और गो रक्षकों द्वारा कानून अपने हाथ में लेने की बढ़ती प्रवृत्ति से सख्ती से निबटने के लिए उचित कानून बनाने पर विचार करने का आग्रह किया था। इन सभी विषयों पर उच्चतम न्यायालय ने पहले भी अनेक फैसले दिए हैं, जिन्हें लागू नहीं करने से मॉब लिंचिंग के अपराधियों का हौसला बढ़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मॉब लिंचिंग को पृथक अपराध बनाने के लिए संसद द्वारा नया कानून बनाया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने भीड़ की हिंसा और लोगों को पीट-पीट कर मारने की घटनाओं पर अंकुश के लिए दिए गए निर्देशों पर अमल नहीं करने के आरोपों पर 26 जुलाई 2019 को केन्द्र से जवाब मांगा था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने ‘ऐंटी करप्शन काउन्सिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट’ नाम के संगठन की याचिका पर गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए।

ट्रस्ट की ओर से कहा गया था कि भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है और सरकारें इस समस्या से निबटने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा जुलाई 2018 में दिए गए निर्देशों पर अमल के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं। ट्रस्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 17 जुलाई, 2018 को सरकारों को 3 तरह के उपाय-एहतियाती, उपचारात्मक और दंडात्मक- करने के निर्देश दिए थे लेकिन इन पर अमल नहीं किया गया है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पालघर के गड़चिंचले गांव में दो साधुओं की पीट-पीटकर निर्मम हत्‍या कर दी गई। घटना के दिन दोनों साधु इंटीरियर रोड से होते हुए मुंबई से गुजरात जा रहे थे। किसी ने उनके चोर होने की अफवाह उड़ा दी। इसके बाद सैकड़ों लोगों की भीड़ उनके ऊपर टूट पड़ी। यह पूरी घटना वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई। आरोपियों ने साधुओं के साथ एक ड्राइवर और पुलिसकर्मियों पर भी हमला किया। हमले के बाद साधुओं को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर पालघर की घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। दरअसल मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि पालघर की घटना पर कार्रवाई की गई है। पुलिस ने उन सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है जिन्होंने अपराध के दिन 2 साधुओं, 1 ड्राइवर और पुलिस कर्मियों पर हमला किया था। एक अन्य ट्वीट में कहा कि ऐसी शर्मनाक घटना को अंजाम देने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

राहत इंदौरी के के शेर हैं

‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है’

‘ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू
बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे’

‘झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले
वो धूप है कि शजर इलतिजाएँ करने लगे’

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ क़ानूनी मामलों के जानकार भी हैं।)

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