Friday, April 19, 2024

ट्रंप का भारत दौरा: ट्रंप के वोट और मोदी के चेहरा चमकाने की अपनी-अपनी जरूरतों की यात्रा

व्यापार व प्रगति की पृष्ठभूमि मानव समाज के उत्थान के समय से ही महत्वपूर्ण सभी देशों के लिए रही है और व्यापारिक सम्बंध व समझौते भी।आधुनिक प्रगतिशील तकनीकी विकास के दौर में आत्मनिर्भरता व प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए महत्वपूर्ण है जो किसी भी देश की प्राथमिकताओं में होती है। 

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी 2020 को भारत की अधिकारिक व्यापारिक यात्रा पर रहेंगे। 

 भारत की अपनी यात्रा के उदेश्य को परिभाषित करते हुए अमरीकी राष्ट्रपति ने विश्व के दो बड़े लोकतंत्रों के बीच बेहतर दोस्ताना सम्बंधों को आधार बनाया है।

विश्व में किसी भी पूंजीवादी व्यवस्था के लिए भारत एक वृहद उपलब्ध बाजार है जिसको पूंजीवादी अपने मुनाफे के लिए जितना संभव हो उपयोग करने को तत्पर रहेगा। भारत स्वयं गुणवत्ता उत्पादन की श्रेणी में संसाधनों व तकनीकी कुशलता की कमी के कारण प्रतिस्पर्धा मे पिछड़ता जा रहा है। विभिन्न उत्पादों व खपत के लिए भारत एक तैयार बाजार है इसका  प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी विदेश व्यापार नीतियों में बड़े जोर-शोर से प्रचारित किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमत्रंण पर ही अपने सम्बंधों की बेहतरी के लिए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी को भारत की यात्रा पर आ रहे हैं।

ह्वाइट हाउस की प्रेस सचिव स्टेफनी ग्रीश्म ने अमरीकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा की  घोषणा करते हुये बताया कि ” विगत सप्ताह डोनाल्ड ट्रम्प और नरेन्द्र मोदी में टेलेफ़ोन पर हुयी बात में ये सहमति जतायी गयी कि यह यात्रा अमरीका और भारत के बीच सामरिक भागीदारी को मजबूत करेगी तथा अमरीका व भारत के नागरिकों के सम्बंधों को सशक्त व प्रगाढ़ करेगी।”

यात्रा की घोषणा होने के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी कहा कि ” हम कुछ करना चाहते हैं, हम देखेंगे। यदि हम सही सौदा कर सके, हम करेंगे।”

व्यापार समझौता राष्ट्रपति ट्रंम्प के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह इसी वर्ष फिर से चुनाव में जा रहे हैं।

व्यापारिक समझौते की सफलता को ट्रम्प अपनी उपलब्धि के रुप में अपने चुनाव में दिखाना चाहते हैं। वह यह कि किस प्रकार अमरीकी उत्पादों और अर्थव्यवस्था को उनकी  नीतियों से अपेक्षित लाभ हुआ है। 

 मिनी ट्रेड एग्रीमेंट  

व्यापारिक समझौते किन-किन क्षेत्रों मे होंगे ये अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है क्योंकि अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि  रॉबट लिथिजर ने अपना भारत दौरा सौदेबाजी की लम्बी प्रक्रिया के बाद भी बिना नतीजा रहने के कारण रद्द कर दिया था।

लेकिन कुछ क्षेत्रों मे अमेरिका के निहित स्वार्थ केन्द्रित हैं, तेल व प्राकृतिक गैस, रक्षा उपकरंण व आधुनिक हथियार, ऊर्जा उपयोग, कृषि उत्पाद व यंत्र, पशुपलान उत्पाद, आयात शुल्क दरें, 5 जी मोबाइल तकनीक आदि।

अमेरिका कई अन्य वस्तुओं को भी इस समझौते में शामिल करना चाहता है जिन पर अभी तक कोई स्पष्ट सहमति दोनों पक्षों में नहीं बन पायी है। लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प के अार्थिक सलाहकार लैरी कुंडलोव ने कहा है कि व्यापार समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच  बातचीत जारी है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते में रक्षा उपकरण एक महत्वपूर्ण पहलू है। जिसमें भारतीय वायु सेना के लिये 114 लड़ाकू विमान F -15 E x  Eagel, और नौसेना के लिये 24 Multi Role -MH -60R सीहॉक मेरीटाइम हेलीकाप्टर शामिल है। ये  सौदा करीब 2.6 मिलियन डालर का हो सकता है।

ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका अब और अधिक व्यापार भारत के साथ बढ़ाना चाहता है। कुछ वर्ष पहले तक ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका से भारत को निर्यात लगभग शून्य था, जो वर्तमान में करीब 8 बिलियन पहुंच चुका है, जिसे अमेरिका अब 10 बिलियन तक ले जाना चाहता है। 

तेल व गैस के क्षेत्र में भारत ने विगत वर्षों में अमेरिका से बड़ी मात्रा में लगभग 48.2 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया है।

अमेरिका चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल सेवाओं जैसे क्रेडिट कार्ड आदि के लिए भारत प्रतिस्पर्धी समतल मैदान उपलब्ध कराये जबकि भारत ने इस बिन्दु पर टालमटोल का रैवया  अपना रखा है क्योंकि भारत अमेरिका द्वारा उपलब्ध करवाये जाने वाले पोल्ट्री उत्पादों में आनुवांशिक तत्व की सजीवता पर परीक्षण करने की अपनी आजादी चाहता है जिस पर अमेरिका सहमत नहीं है।

अन्य उपभोगता उत्पादों के आयात पर भारत द्वारा निर्धारित उच्च शुल्क दरें भी इस व्यापारिक समझौते में महत्वूपर्ण बिन्दु हैं। डोनाल्ड ट्रम्प इन दरों में भारी कटौती चाहते हैं  ताकि अन्य देशों से आयातित वस्तुओं के लिए भारत का बाजार अमेरिकी कम्पनियों को सहज सुलभ हो सके। 

अमेरिका के चीन से बिगड़े व्यापारिक सम्बधों के चलते ट्रम्प के लिए भारत से व्यापारिक  समझौता करना अपने आर्थिक हितों की रक्षा व वृद्धि के लिये आवश्यक हो जाता है तथा चीन की कंम्पनियों के साथ भारत के सम्बंधों पर रोक लगाने के लिये दबाव बनाना भी उद्देश्य है।

ये व्यापारिक समझौता भारत के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किस हद तक अपनी दोस्ती ट्रंम्प से निभायेंगे ये आने वाला समय ही बतायेगा।

(जगदीप सिंधू वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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