पटना। सीपीआई एमएल के पूर्व महासचिव विनोद मिश्र की 22वीं पुण्यतिथि के मौके पर पार्टी की ओर से पटना में एक बड़ी संकल्प सभा आयोजित की गयी। इस मौके पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने फासीवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। इसके साथ ही उनका कहना था कि इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना ही कामरेड वीएम को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कॉ. विनोद मिश्र के प्रसिद्ध वाक्य- इतिहास के बड़े सवाल चाहरदीवारी में नहीं बल्कि सड़कों पर हल होते हैं- की चर्चा करते हुए कहा कि कई दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए किसानों का आंदोलन अब कोई पंजाब या हरियाणा का आंदोलन नहीं रह गया है, बल्कि उसकी धमक व उसका विस्तार पूरे देश में हो रहा है। इस किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए मोदी सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है।

भारत में फासीवादी शासन का मतलब मोदी राज है। आज से ठीक एक साल पहले एनआरसी, एनपीआर, सीएए के खिलाफ पूरे देश में लोकतंत्र व नागरिकता बचाने की जबरदस्त लड़ाई उठ खड़ी हुई थी। आखिर सरकार नागरिकों से उनकी नागरिकता का प्रमाण मांगने वाली कौन होती है? आज तीनों काले कृषि कानूनों, प्रस्तावित बिजली बिल के खिलाफ किसानों का शाहीन बाग आंदोलन बन रहा है। मोदी सरकार न धर्म की सरकार है, न साइंस की, यह केवल रिलायंस की सरकार है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग कह रहे हैं कि हमें बिहार के रास्ते आगे नहीं बढ़ना। हम सब जानते हैं कि बिहार में भाजपा-जदयू शासन ने 2006 में ही मंडियों की व्यवस्था खत्म कर दी थी। आज बिहार में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं होती। इसलिए हम देख रहे हैं कि आज बिहार के किसान भी अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को उठाते हुए पंजाब के किसानों के आंदोलन के समर्थन में उतर रहे हैं। बिहार के किसानों ने 29 दिसंबर को इन मांगों पर राजभवन मार्च आयोजित करने का निर्णय किया है। हम इसका समर्थन करते हैं।

पार्टी महासिचव ने कहा कि बिहार चुनाव ने वामपंथ को ताकत दी है। हम फासीवादी निजाम के खिलाफ चौतरफा संघर्ष छेड़ेंगे। बिहार की नीतीश सरकार के लिए कोई हनीमून पीरियड नहीं है। 19 लाख रोजगार की अविलंब घोषणा सरकार को करनी होगी।
पूर्व विधायक रामदेव वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि मानव विकास सूचकांक में बिहार की स्थिति सबसे खराब है। विकास के नाम पर भ्रम फैलाया जा रहा है। बिहार में बहुत पहले मंडियों को खत्म कर दिया गया। बिहार में इस बार मजबूत विपक्ष आया है। इस विपक्ष को धारदार बनाए रखने का दायित्व भाकपा-माले का है। पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि बिहार के किसानों ने भारत बंद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश के किसान ही असली हिंदुस्तान हैं। हम अपनी खेती-किसानी पर कॉरपोरेटों की गुलामी बर्दाश्त नहीं करेंगे। गांव-गांव में जत्था निकालकर बिहार के बटाईदार सहित सभी किसान 29 दिसंबर को पटना पहुंचेंगे।

आयोजन पटना के भारतीय कला मंदिर में हुआ था। वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, सीपीआईएम से हाल फिलहाल में ही अपनी सदस्यता का त्याग कर भाकपा-माले में आए बिहार के जाने-जाने चर्चित कम्युनिस्ट नेता व पूर्व विधायक रामदेव वर्मा व मंजू प्रकाश सहित पार्टी के राज्य स्तर के सभी नेताओं, विधायकों व बिहार के तमाम जिलों से आए पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने दिवंगत महासचिव को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर हिरावल ने शहीद गान प्रस्तुत किया।
इस मौके पर एक राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया। जिसमें कहा गया है कि
1. आज का यह सम्मेलन मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे आंदोलन को बदनाम व विभाजित करने और समस्या हल करने में अपनी विफलता से ध्यान हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने की कोशिशों की कड़ी निंदा करता है। इन तीनों कानूनों का मकसद भारतीय व विदेशी कॉरपोरेट को बढ़ावा देना और देश की खेती-किसानी को बर्बाद करना है। कड़ाके की ठंड में अब तक कई किसानों की मौतें हो चुकी हैं, लेकिन मोदी सरकार अपने संवेदनहीन रवैये पर कायम है। आज पूरे देश में किसानों का शाहीन बाग आंदोलन निर्मित हो रहा है जिसका यह सम्मेलन तहेदिल से स्वागत करते हुए इसके विस्तार का आह्वान करता है।

2. तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने, बिहार में बटाईदार सहित सभी किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (1868-1888 रु.) पर धान और 400 रु. प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीद की गारंटी के सवाल पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और अखिल भारतीय किसान महासभा के आह्वान पर आयोजित होने वाले किसान संघर्ष यात्रा, किसान-बटाईदार पंचायत और 29 दिसंबर को आयोजित होने वाले राजभवन मार्च का स्वागत करते हुए इन कार्यक्रमों का हर स्तर पर समर्थन का आह्वान करता है।
बिहार के किसान 800-900 रु. प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने को मजबूर हैं। आंदोलनों के दबाव में सरकार ने धान खरीद की बात शुरू की है, लेकिन रजिस्ट्रेशन के नाम पर प्रक्रिया को जटिल बना दिया गया है। गन्ना किसानों और दुग्ध उत्पादकों की स्थिति जस की तस बरकरार है। आज के सम्मेलन के जरिए हमारी मांग है कि सरकार बटाईदार किसानों सहित किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद और 400 रु. प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीद की गारंटी करे।
3. आज पार्टी के पूर्व महासचिव कॉ. विनोद मिश्र के 22 वें स्मृति दिवस पर आयोजित इस सम्मेलन के जरिए देश में बढ़ते कॉरपोरेट प्रभुत्व और भारत पर फासीवादी कब्जे के विरूद्ध एक शक्तिशाली जन-प्रतिरोध विकसित करने का आह्वान करता है। हाल में संपन्न बिहार चुनाव में हासिल उत्साहवर्द्धक उपलब्धियों ने फासीवादी खतरे से भारत को मुक्त करने की चुनौतियों का सामना करने की बेहतर परिस्थितियां तैयार की हैं। हम इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला करने और फासीवाद के खिलाफ निर्णायक संघर्ष छेड़ने का आह्वान करते हैं।

4. बिहार विधानसभा 2020 के परिणाम से जाहिर है कि जनता के अंदर बदलाव का जबरदस्त संकल्प था। सरकार बदलने के लिए जनता और खासकर मतदाताओं की नई पीढ़ी का आक्रोश पूरे चुनाव में दिखा। भाजपा-जदयू की लाख विभाजनकारी कोशिशों के बावजूद शिक्षा, बेरोजगारी, प्रवासी मजदूरों के मुद्दे, स्कीम वर्करों-शिक्षकों का स्थायीकरण, सिंचाई, दवाई आदि सवाल चुनाव के केंद्र में रहे। दरअसल, इस बार जनता ने चुनाव का एजेंडा सेट किया, जो इस चुनाव की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। हम आज के सम्मेलन के जरिए चुनाव में उभरकर सामने आए इन मुद्दों पर निर्णायक लड़ाई छेड़ने का आह्वान करते हैं।
5. राज्य में लगातार गिरती कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है। चुनाव बाद पूरे बिहार में दलितों-गरीबों-महिलाओं-अल्पसंख्यकों पर हमले की बाढ़ सी आ गई है। हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भ्रष्टाचार चरम पर है। दलित-गरीबों की जमीन से बेदखली का अभियान बदस्तूर जारी है। लॉकडाउन ने राज्य में भूख व कुपोषण का भूगोल काफी विस्तृत कर दिया है। यह सम्मेलन हत्या, लूट, भ्रष्टाचार, भूखमरी, महिला हिंसा, बेदखली का पर्याय बनते जा रहे भाजपा-जदयू राज के खिलाफ निर्णायक संघर्ष तेज करने का आह्वान करता है।
इसके अलावा यूपी में भी कई जगहों पर संकल्प दिवस मनाया गया। राजधानी लखनऊ में पार्टी राज्य कार्यालय में आयोजित कार्यकर्ताओं की बैठक में कामरेड विनोद मिश्र को श्रद्धांजलि दी गयी। फैजाबाद, रायबरेली, बनारस, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, बस्ती, महराजगंज, आजमगढ़, इलाहाबाद, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, कानपुर, जालौन, मथुरा, मुरादाबाद आदि जिलों में भी संकल्प दिवस मनाया गया।