जासूसी कांड पर तीखी प्रतिक्रियाएं, जांच की हुई मांग

भारत में केंद्रीय मंत्रियों, जजों, उद्योगपतियों, विपक्षी नेताओं के अलावा कई पत्रकारों की जासूसी करने के मामले को लेकर अब मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पेगासस सॉफ्टवेयर मामले को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि हमें पता है ‘वो’ क्या पढ़ रहे हैं, जो भी आपके फोन में है।

राहुल गांधी ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये जासूसी और विपक्षी नेताओं, मीडियाकर्मियों और अन्य बड़ी हस्तियों के फोन की जासूसी को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि हम जानते हैं कि वो क्या पढ़ रहे हैं। आपके फोन पर सब कुछ।

दरअसल  द वायर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश के कम से कम 40 पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक्ड सूची में पाए गए हैं और फोरेंसिक जांच से जिनकी पुष्टि हुई है कि या तो इन नंबरों की जासूसी हुई या इन्हें टारगेट किया गया। इसके लिए इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया। द वायर ने कहा है कि जिन पत्रकारों के नंबर इस सूची में पाए गए हैं उनमें हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18 और द हिंदू के पत्रकार शामिल हैं।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस  को लेकर खुलासे के बाद नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा है कि यदि पेगासस के ख़ुलासे सही हैं तो नरेंद्र मोदी सरकार ने निजता के अधिकार पर गंभीर हमला किया है। प्रियंका गांधी ने अब ट्वीट किया है, ‘पेगासस वाले खुलासे घृणास्पद हैं। अगर सच है, तो लगता है कि मोदी सरकार ने उस निजता के अधिकार पर एक गंभीर और भयावह हमला किया है जो मौलिक अधिकार के रूप में भारतीय नागरिकों को संवैधानिक रूप से गारंटी दी गई है। यह लोकतंत्र का अपमान है और हमारी स्वतंत्रता के लिए अशुभ संकेत है।

कांग्रेस ने पेगासस स्पाइवेयर से नेताओं, पत्रकारों और दूसरे लोगों की जासूसी करने के आरोपों में घिरे मोदी सरकार पर हमला किया है। उसने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार लोगों के बेडरूम में झांक रही है और जासूसी कर रही है। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है और उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ किया है।

कांग्रेस के  रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कांन्फ़्रेंस तब की जब राहुल गांधी समेत कई नेताओं की जासूसी किए जाने की रिपोर्ट आई। एक दिन पहले ही पेगासस से पत्रकारों के जासूसी कराए जाने की रिपोर्ट आई थी। इस बीच कल प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी का नाम अब भारतीय जासूस पार्टी होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और उनके स्टाफ़ की भी जासूसी की गई। कांग्रेस ने इस पूरे मामले में जांच कराए जाने और गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है। पेगासस पर खुलासे के बाद मोदी सरकार के चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता है। हालांकि देश को इस डर का कारण पता है। बीजेपी को जवाब देना ही होगा। यह जासूसी कांड बीजेपी की सत्ता के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा।

वाट्सऐप के प्रमुख विल कैथकार्ट ने एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस की आलोचना की है। उन्होंने इसकी आलोचना तब की है जब ‘द गार्डियन’ और वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि दुनियाभर की कई सरकारों ने 50,000 से अधिक नंबरों को ट्रैक करने के लिए इस पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है। इसमें पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, विपक्षी दलों के नेताओं, जजों आदि को निशाना बनाया गया है। विल कैथकार्ट ने कहा है कि ‘एनएसओ के ख़तरनाक स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर में मानवाधिकारों के घोर हनन के लिए किया जाता है और इसे रोका जाना चाहिए।’ पेगासस की रिपोर्ट आने के बाद विल कैथकार्ट ने एक के बाद एक कई ट्वीट किये।

पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने ट्विटर पर अपनी पोस्ट में सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि ‘अच्छे अच्छे फंसे थे जासूसी के जाल में- बड़े बड़े पत्रकार, विपक्ष के नेता, उद्योगपति, सुप्रीम कोर्ट के जज तक को नहीं बख्शा। आखिर इन सबकी फोन टैपिंग क्यों कराई जा रही थी? क्या खतरा था? वाणी पर पहरे लगा दिए। लोकतंत्र की गर्दन मरोड़ कर रख दी, परखच्चे उड़ा दिए, साहब। 

यूथ कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बीवी ने कहा है कि जब अंग्रेज थे, तब भी ‘जासूसी’ इनका धंधा था आज जब नहीं हैं, तब भी ‘जासूसी’ का धंधा जारी है, सुधरोगे कब? 

इस मामले पर सबसे पहले बोलने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि सरकार खुलासा करे कि इसमें उसका हाथ था या नहीं, नहीं तो ये मामला उसे बुरा परेशान करेगा। ये समझदारी होगी अगर गृहमंत्री संसद को बताएं कि मोदी सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, जिसने हमारे टेलीफोन टैप किए हैं।  नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल की तरह बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी।

राज्यसभा में कांग्रेस के डिप्टी नेता, आनंद शर्मा ने कहा कि ये मामला काफी गंभीर है, और ये संवैधानिक लोकतंत्र के सिस्टम और नागरिकों की निजता से समझौता करता है। सरकार ये कहकर बच नहीं सकती कि उन्हें वेरीफाई करना है। ये गंभीर मुद्दे हैं। वो कौन सी एजेंसियां हैं जिन्हें मालवेयर मिला है? पेगासस को खरीदने वाली एजेंसियां कौन सी हैं? ये ऐसी चीज नहीं है जिससे सरकार भाग सकती है। शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “ये चिंता का विषय है क्योंकि हम एक लोकतंत्र हैं, यहां अभिव्यक्ति की आजादी है, आप ये उम्मीद नहीं करते कि सरकार पत्रकारों के काम में हस्तक्षेप कर रही है। ये कुछ बहुत गंभीर सवाल उठाता है कि इस सॉफ्टवेयर को भेजने वाले लोग कैसे काम कर रहे थे। इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार को बताना होगा उसने स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं। केंद्र सरकार को बताना होगा कि क्या उन्होंने ये सर्विस ली है और किन लोगों को टारगेट किया गया?

माकपा  ने कहा कि मोदी सरकार को जवाब देना होगा कि इस गैरकानूनी आपराधाकि जासूसी के पीछे कौन था?पत्रकारों की स्टोरी और जासूसी का समय कोई संयोग नहीं है।

सीपीआई एमएल रेडफ्लैग ने कहा कि मोदी सरकार के दौरान इजरायली मूल के ज़ायोनी वंश की एनएसओ कंपनी के गुप्त स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। खुलासा हुआ है कि कई पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सांसदों और मंत्रियों पर नजर रखी जा रही है l एनएसओ ग्रुप ने कुछ देशों की सरकारों को ऐसी तकनीक प्रदान की है जो इस तरह के अवैध और गुप्त संचालन को अंजाम दे सकती है, जिसका इस्तेमाल स्थानीय विरोधियों के खिलाफ किया जा रहा है।

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