Tuesday, April 23, 2024

बेतहाशा इस्तेमाल से पीएमएलए का कानून कमज़ोर होगा: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बुधवार को धन शोधन निवारण अधिनियम के बेतहाशा उपयोग के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे यह कानून  कमजोर होगा। पीठ ने दो मामलों की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की जहां याचिकाकर्ताओं को पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत आरोपी बनाया गया है।

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि आप कानून को कमजोर कर रहे हैं। सिर्फ इस मामले में ही नहीं। यदि आप इसे 10000 रुपये के मामले और 100 रुपये के मामले में हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू करते हैं तो क्या होगा? आप सभी लोगों को सलाखों के पीछे नहीं डाल सकते। आपको इसका उचित उपयोग करना होगा।

जस्टिस एएस बोपन्ना ने कहा कि यदि आप ईडी की कार्यवाही का बेतहाशा उपयोग करना शुरू करते हैं तो यही होता है। इससे अधिनियम अपनी प्रासंगिकता खो देगा।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हर मामले में अगर आप इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो यह काम नहीं करता है। यह काम करने का तरीका नहीं है।

पीठ ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आरोपी नरेंद्र कुमार पटेल को अग्रिम जमानत देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 42O, 467,468 और 471 के साथ पठित धारा 120-बी और धारा 13(2) के साथ धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 13(1Xd) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज मामले के संबंध में अग्रिम जमानत दी गई ।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में पीएमएलए के तहत जनवरी 2021 में मेसर्स जय अम्बे गौरी केम लिमिटेड के निदेशक पटेल को गिरफ्तार किया था। अदालत द्वारा सुना जा रहा दूसरा मामला उषा मार्टिन लिमिटेड द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका थी, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट ने पीएमएलए के तहत शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में उन्हें जारी किए गए समन के संबंध में राहत देने से इनकार कर दिया था। बेंच ने आज नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता को अगले आदेश तक कठोर कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की।

राघव बहल को राहत

एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस  एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में मीडिया घराने के प्रमुख राघव बहल को अंतरिम सुरक्षा देने पर सहमति व्यक्त की। पीठ ने नोटिस जारी किया और बहल के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने के लिए अंतरिम निर्देश दिया।

पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ बहल द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने बहल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामला रद्द करने की मांग वाली याचिका में अंतरिम संरक्षण का कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था।

सुनवाई के दौरान बहल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि मौजूदा मामले में उन्होंने पहले ही अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर दिया है और हाईकोर्ट ने उन्हें संरक्षण नहीं दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश के माध्यम से ईडी को बहल द्वारा दायर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया, जिसमें जांच अधिकारी द्वारा बहल को जारी किए गए तीन नोटिसों को भी चुनौती दी गई थी। जस्टिस अनु मल्होत्रा की पीठ ने हालांकि बहल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के मौखिक अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया था और इस बीच उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने की मांग की थी।

बहल के खिलाफ ईडी का मामला आयकर विभाग की एक शिकायत से उत्पन्न हुआ है और लंदन में एक अज्ञात संपत्ति खरीदने के लिए धन के कथित शोधन से संबंधित है। हाईकोर्ट के समक्ष बहल ने वित्त मंत्रालय, आयकर विभाग द्वारा जारी एक आकलन आदेश दिनांक 30 सितम्बर 2021 पर भरोसा किया था, जिसमें कहा गया था कि उनके द्वारा प्रस्तुत रिटर्न स्वीकार कर लिया गया है और प्रीपेड टैक्स का क्रेडिट, यदि कोई हो, उसे अदा करने का निर्देश दिया गया।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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