‘जेपी बनते नजर आ रहे हैं प्रशांत भूषण’

कोर्ट के जाने माने वकील और सोशल एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुनवाई करेगा। फैसला आने के कुछ घंटों बाद प्रशांत भूषण फेसबुक लाइव पर आए। आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन यानी आईसा के फेसबुक पेज पर लाइव के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

उन्होंने आखिर में लोकतंत्र के महत्व और लोगों की जिम्मेदारी के बारे में भी अपनी राय रखी। इस दौरान उन्होंने अवमानना का भी जिक्र किया। प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारे लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे नाजुक स्थिति में है। कोई भी लोकतंत्र सिर्फ वोट से नहीं चल सकता है, जब तक लोगों को अपनी बात रखने की आजादी न हो। समाज सुधारने के लिए अपनी बात रखने की आजादी न हो।

उन्होंने कहा कि हम लोग कोशिश करें समझने की कि हमारे समाज, देश और सरकार में क्या हो रहा है। सरकार क्या कर रही है, इसे समझें और फिर बेबाक तरीके से अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि सेडेशन और अवमानना का कानून लगाकर आपकी बात दबाने की कोशिश की जाती है। उसे झेलने के लिए हम सबको तैयार रहना चाहिए।

प्रशांत भूषण ने कहा कि कितने लोगों के खिलाफ यह अवमानना का मामला चलाएंगे। कितने लोगों को जेल में डालेंगे। जब काफी लोग खड़े हो जाते हैं और वही बात कहने लगते हैं तो फिर सबके खिलाफ मुकदमा नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कितना जोर है दमन में तेरे देख लिया है देखेंगे, उसी तरह से कितनी जगह है जेल में तेरे देख लिया है देखेंगे। हम लोगों को जनता के मुद्दे पर अपनी बात बेबाकी से रखनी चाहिए। कहीं पर भी अगर अन्याय हो रहा है तो हमें बोलना चाहिए। यह करना हमारा अधिकार ही नहीं हमारी ड्यूटी भी है।   

इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आज आए फैसले के खिलाफ तमाम लोग काफी मुखर हो गए हैं। देश के तमाम हिस्सों में प्रशांत भूषण के पक्ष में प्रदर्शन भी हुए। तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाए हैं। कई यूजर्स ने ट्विटर पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बाइक वाली तस्वीर भी साझा की है।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ इस्तीफा देने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने अपने ट्विटर पर प्रशांत भूषण का अवमानना वाला ट्वीट, रिट्वीट किया है। बता दें कि उस ट्वीट में प्रशांत भूषण ने लिखा था,
सीजेआई बोबडे ने राजभवन नागपुर में एक बीजेपी नेता की 50 लाख की मोटरसाइकिल पर सवारी की, बिना मास्क या हेलमेट के, ऐसे समय में जब वह एससी को लॉकडाउन मोड में रखते हैं, जो नागरिकों को न्याय तक पहुंचने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हैं।

गोपीनाथन के ट्वीट में भी चीफ जस्टिस की पचास लाख रुपये वाली बाइक पर बैठने की तस्वीर भी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सबसे सटीक टिप्पणी वरिष्ठ पत्रकार करन थापर ने की है। उन्होंने लिखा,
“सुप्रीम कोर्ट न्याय स्थापित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट 2014 से ही संघ के आंगन में नाच रहा है।”

समाजवादी नेता डॉ. सुनीलम ने कहा कि प्रशांत भूषण को दोषी करार देकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी पोल खोल दी है। प्रशांत जी ने समझौता करने माफी मांगने के बजाए जेल जाने का विकल्प चुना। हमारे लिए यह गर्व का विषय है। उनसे यही उम्मीद थी।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना काल का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र को किस हद तक सीमित कर दिया है, यह उसका एक नमूना है। परंतु दुनिया ने बड़े बड़े तानाशाहों को देखा है। आज़ाद भारत ने आपात काल भी भोगा है। अंततः लोकतंत्र और जनता की जीत हुई है। अब तक मोदी सरकार ने तमाम नागरिकों को जेल भिजवाया। छुटपुट विरोध से अधिक कुछ नहीं हुआ, लेकिन प्रशांत भूषण जितने दिन जेल में रहेंगे देश में लोकतंत्र वादियों का विरोध जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की गलतफहमी है कि इस कार्रवाई से प्रशांत भूषण या उनके समर्थक डर जाएंगे। अवमानना की कार्रवाई की ही वकीलों और सरकार के विरोधियों को भयभीत करने के उद्देश्य से की गई है, परन्तु इतिहास बतलाता है न दमन ज्यादा दिन चलता है और न ही तानाशाही स्थायी होती है। जेल से तो प्रशांत जी निकलेंगे ही और इतनी ताकत लेकर निकलेंगे, जिससे मोदी सरकार की तानाशाही पर पूर्ण विराम लगेगा और आने वाले समय में सर्वोच्च न्यायालय को संवैधानिक जिम्मेदारियों के निष्पक्षतापूर्वक निर्वहन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने प्रशांत भूषण के समर्थन में कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने एक ट्वीट में भारद्वाज की कुछ पंक्तियां साझा की हैं। उन्होंने लिखा है,
प्रशांत भूषण
सुनो
सत्य सूली पर चढ़ेगा
यह सुकरात काल है!
जिनके न्याय के लिए लड़ रहे हो
वो विकास के लिए खामोश रहेंगे
मुर्दा समाज बोलता नहीं है!
-मंजुल भारद्वाज

#प्रशांतभूषण #prashantbhushan

प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब ने ट्वीट किया है,
प्रशांत हमारे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दोषी। मुझे नहीं लगता कि अंग्रेजों ने कभी इस तरह से वकीलों, कवियों, लेखकों और बुद्धिजीवियों की असहमति या आलोचनात्मक आवाज़ों को दंडित किया था।

प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी प्रशांत भूषण के समर्थन में ट्वीट किया है। उन्होंने आज के दिन को भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन लिखा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है,
इस अधिनियम के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने खुद को नीचा दिखाया है, और गणतंत्र को भी नीचा दिखाया है। भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला दिन।

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रशांत भूषण पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र के लिए अशुभ बताया। फैसले के खिलाफ सोनभद्र, चंदौली, गोंडा, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, इलाहाबाद, आगरा समेत कई जगहों पर आइपीएफ ने विरोध किया। सोनभद्र में तो गांव स्तर तक इस फैसले का प्रतिवाद शुरू हो गया है।

आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने प्रेस को जारी अपने बयान में बताया कि कल 15 स्वतंत्रता दिवस पर संवाद समूह द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी शपथ में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का संकल्प पूरे देश में आइपीएफ और सहमना संगठन के सदस्य लेंगे। इसमें भारतीय लोकतंत्र में पैदा हुए इस अंधकारमय युग में देश में न्यायपालिका के लोकतंत्रीकरण के पक्षधर प्रशांत भूषण को सजा सुनाए जाने का भी विरोध किया जाएगा।

सोनभद्र की दुद्धी तहसील में कृपाशंकर पनिका, घोरावल में कांता कोल, राबर्ट्ससगंज में पूर्व जिला पंचायत सदस्य मुन्ना धांगर, जितेंद्र धांगर, रेनूकूट में पूर्व सभासद नौशाद, अनपरा में तेजधारी गुप्ता के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए।

इसी तरह लखीमपुर खीरी में पूर्व सीएमओ डॉ. बीआर गौतम, लखनऊ में आइपीएफ नेता लाल बहादुर सिंह, वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर, गोंडा में साबिर अजीजी, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, चंदौली में युवा मंच नेता आलोक राजभर, आगरा में आइपीएफ नेता ई. दुर्गा प्रसाद के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुआ।

एसआर दारापुरी ने कहा कि यह प्रतिवाद कार्यक्रम प्रशांत भूषण की सजा खत्म करने और न्यायपालिका के लोकतांत्रिकरण तक जारी रहेंगे और आइपीएफ इसे राजनीतिक सवाल बनाएगा।

शुक्रवार पत्रिका के संपादक अंबरीश कुमार ने  अपने ट्वीट में लिखा है,
प्रशांत भूषण तो जेपी बनते नजर आ रहे हैं।

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