Friday, April 19, 2024

“शाहीन बाग की महिलाओं और आप में बहुत समानता है, मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार आपको वहां जरूर जाना चाहिए”

(सबा रहमान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने तमाम बातों के अलावा उनसे मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार शाहीन बाग जाने की गुजारिश की है। सबा का लिखा यह पत्र इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित हुआ है। इसका अनुवाद लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता कुमार मुकेश ने किया है। पेश है उनका पूरा पत्र-संपादक)

प्रिय श्री अरविंद केजरीवाल, 

आप की शानदार जीत पर आपको हार्दिक बधाई। आपको यह जीत निश्चित रूप से एक अभूतपूर्व ध्रुवीकृत चुनाव अभियान के खिलाफ मिली है जिसे राष्ट्रीय राजधानी ने शायद ही पहले कभी देखा है। यह सराहनीय है कि आप सिर्फ और सिर्फ – शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, बिजली और स्वच्छ प्रशासन जैसे मुद्दों को संबोधित करते रहे – भाजपा द्वारा आपको अपनी विभाजनकारी राजनीति में खींचने के तमाम प्रयासों के बावजूद।

मुझे लगता है कि, आपके अभियान ने और शाहीन बाग में विरोध करने वाली महिलाओं ने जिन चुनौतियों का सामना किया, उनमें कई समानताएं हैं।

एक ओर आपको “आतंकवादी” और “राष्ट्र-विरोधी” कहा जाता रहा, वहीं दूसरी ओर शाहीन बाग, जो आपके शहर-राज्य का मुस्लिम-बहुल इलाका है और जहां नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय रजिस्टर के विरोध में सड़क पर आंदोलन चल रहा है, को भी बदनाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई। उसे पाकिस्तान कहा गया  और दिल्ली के मतदाताओं को यह बताने की लगातार कोशिश की गई कि यह प्रदर्शन प्रायोजित है, और प्रदर्शनकारी दिल्ली वालों की माँ-बहनों का बलात्कार तक  कर सकते हैं।

लेकिन आप की तरह, शाहीन बाग़ भी अपने मुद्दे पर केंद्रित रहा और उसने भाजपा और मीडिया के एक वर्ग द्वारा लगातार दी जा रही गालियों का, और प्रदर्शनकारियों एवं जामिया मिलिया इस्लामियां के छात्रों पर गोली चलाने वालों को उन्हीं की भाषा में प्रत्युत्तर देने  से इनकार कर दिया। इसके बजाय, शाहीन बाग ने  कला, कविता और फूलों के साथ ‘बदनाम’ बिरयानी परोसते हुए शांतिपूर्वक अपना विरोध जारी रखा।

यद्यपि आपने संसद में सीएए के खिलाफ मतदान किया, लेकिन आपने अपने चुनाव-प्रचार के दौरान इस विवादास्पद कानून को कोई चुनौती नहीं दी। आप बेशक अपनी रैलियों और साक्षात्कारों में शाहीन बाग़ का जिक्र करने से बचते रहे लेकिन आपके बिजली-पानी मॉडल पर मुहर लगाने का श्रेय शाहीन बाग को भी जाता है वह भी तब जब आप सड़क की रुकावट को ध्यान बांटने वाली कोई चीज़ बता रहे थे अथवा गृहमंत्री पर तंज कसते हुए दो घंटे में सड़क खाली करा देने की बात कर रहे थे।

 भले ही चुनाव के दौरान आपने शाहीन बाग के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया हो पर क्या आपको एहसास हुआ कि आपके और शाहीन बाग में कितना कुछ एक जैसा है?

आपकी जिस आन्दोलनकारिता की बदौलत आपको राजनीतिक स्टारडम मिला कुछ उसी तरह की आकांक्षा शाहीन बाग की  आंदोलनकारी महिलाओं की भी है – स्वच्छ राजनीति, सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, राजनीतिक जवाबदेही और गरीब-समर्थक सरकार। एक आरटीआई-कार्यकर्ता-राजनेता, प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरुस्कार विजेता के तौर पर आप और  शाहीन ‘बागी’ की महिलाएं एक ही तरह के हैं।

साल 2014 की जनवरी की एक बेहद सर्द रात की एक अमिट छवि है जब आप गणतंत्र दिवस से ठीक पहले के कड़े सुरक्षा-प्रबंधों के बावजूद दिल्ली की एक सड़क पर अपने वैगन आर के किनारे एक रजाई में सो रहे थे। आप दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर, पुलिस द्वारा आपके कानून मंत्री को सहयोग करने से इनकार करने के विरोध में आंदोलन कर रहे थे। एक और लोकप्रिय छवि, 2018 की है जब आप अपने सहयोगियों के साथ उपराज्यपाल कार्यालय के बाहर पड़े सोफों पर लेटकर धरना दे रहे थे।

क्या शाहीन बाग, विरोध के उसी अधिकार का प्रयोग नहीं कर रहा जो तब आपके पास था और आज भी है? जब शाहीन बाग कहता है कि कागज़ न दिखाएंगे, तो क्या आपको कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपने उत्साही आंदोलन की याद नहीं आती ? उस आंदोलन की जब 2012 में आपने दिल्ली में  बिजली-पानी सत्याग्रह शुरू किया था और लोगों को अपने बिलों का भुगतान न करने का आह्वान किया था?

सनद रहे कि आप की पार्टी ने नहीं बल्कि कांग्रेस है ने CAA और NRC के खिलाफ सीधा और साफ रुख अपनाया है। कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने विरोध स्थल का दौरा भी किया है। लेकिन शाहीन बाग ने यह सुनिश्चित किया कि वह दिल्ली के चुनावों को एक त्रिकोणीय मुकाबले में नहीं बदलेगा जिससे भाजपा को कोई अतिरिक्त लाभ पहुंचे।

11 फरवरी को, आपके ओखला  विधायक, जहां शाहीन बाग स्थित है, ने दूसरे सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दिल्ली भर के मुसलमानों ने आपके लिए मतदान किया है। मैं साथ ही यह भी कहती हूं कि शाहीन बाग और उसके मुसलमान इस बात पर जोर देते हैं कि वे वोट बैंक के रूप में थक गए हैं और इस प्रक्रिया ने उन्हें कम तर मनुष्य बना दिया है। उनकी लड़ाई, जैसा कि वे अथक रूप से रेखांकित कर रहे हैं, वोट की राजनीति से ऊपर है।

आप अब एक प्रशासक  की छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या आप इस बात से इनकार कर सकते हैं कि आपका राजनीतिक करियर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन द्वारा पैदा हुआ था? क्या आप, आपकी पार्टी और आपकी सरकार भी धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील और समावेशी भारत के लिए खड़े हैं – शाहीन बाग की इन महिलाओं की तरह।

अब जब चुनाव हो चुके हैं और इसकी धूल छंट चुकी है, तो क्या आपको नहीं लगता कि आपको एक बार शाहीन बाग जाना चाहिए? नहीं, शाहीन बाग नहीं चाहता कि किसी भी राजनीतिक दल को बुलाया जाए। वे यह भी नहीं चाहते कि उनके विरोध का राजनीतिकरण हो। वहां उपस्थित सभी यही चाहते हैं कि उनकी मांग को स्वीकार किया जाए और इसे बदनाम न किया जाए।

और आपको, श्रीमान, उनके पास जाना चाहिए, उनके प्रतिरोध का समर्थन करना चाहिए, और उनसे आपका एक संवाद होना चाहिए – उनके मुख्यमंत्री के तौर पर, एक दिल्ली वाले के तौर पर  और एक साथी देशवासी के तौर पर। और हां, आप वहां हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं, शाहीन बाग भी इस पाठ में शामिल होकर यकीनन प्रसन्न होगा। आप अभी तक इससे वंचित रहे लेकिन यहां विभिन्न धर्मों की प्रार्थनाएं की जाती रही हैं  और महात्मा गांधी के भजनों का तो शाहीन बाग विशेष रूप से शौकीन है। 

इसके अलावा, आपकी जीत का श्रेय  शाहीन बाग को भी कम नहीं जाता। इन्होंने भी ग़ज़ब कर दिया है।

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