मंगलवार को अली मोहम्मद राह कश्मीर के मुख्य शहर श्रीनगर के एक पुलिस थाने के बाहर सड़क पर बैठकर अपने दो किशोर बेटों को छोड़े जाने का इंतज़ार कर रहे थे, जिनको रात में चली सरकारी छापेमारी में उठा लिया गया था।
राह ने एएफपी को बताया कि “जब हम सो रहे थे तब सैनिकों ने बलपूर्वक हमारे घर की खिड़कियां खड़काईं।” उन्होंने कहा कि 14 और 16 साल के उनके दो बेटों को सुबह होने से पहले श्रीनगर के महजूर नगर इलाके से उठाकर ले जाया गया। “वो अचानक ज़बरदस्ती घुस आए और मेरे दो बेटों को खींच कर ले गए।”
सरकारी सूत्रों का कहना है कि 5 अगस्त को भारत द्वारा इस तनावग्रस्त क्षेत्र की स्वायत्तता रद्द कर दिए जाने और भारी सुरक्षा लॉकडाउन लागू करने के बाद से कम से कम 4000 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।
विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहें हैं, जिसके बाद पुलिस व अर्ध-सैनिक बलों द्वारा छापामारी की जा रही है।
श्रीनगर शहर के पुराने हिस्से में स्थित नौशेरा में निवासियों ने बताया कि रविवार रात को पुलिस कई लड़कों को उठा कर ले गयी और उन्हें हिरासत में रखा। अन्य इलाकों के लोगों ने भी इस तरह के आक्रमणों की ख़बर दी। इस तरह के छापों को रोकने के लिए श्रीनगर के सौरा इलाके के निवासियों ने इलाके में बैरिकेड लगाकर और सड़कों में गड्ढे खोदकर अपने इलाके की किलेबंदी कर ली है।
राह के साथ पुलिस थाने के बाहर मंगलवार को दर्जनों अन्य स्थानीय लोग भी इंतज़ार में बैठे थे जिनका कहना था कि उनके भी रिश्तेदार हिरासत में थे- उनमें से 21 लड़के तो पिछली रात के छापे से ही थे। उनका कहना था कि सैनिकों ने उनके घरों के आंगन लांघने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल किया था।
रोज़ी नाम की विधवा महिला ने बताया कि जब वो उनके 20 साल के बेटे सुहैल मोहिउद्दीन को घर से ले जा रहे थे तो सैनिकों ने उनके माथे पर बन्दूक रख कर उसको “चुप रहने” को कहा था। एक और महिला मुबीना ने बताया कि जब उनके भाई को पकड़कर ले जाया जा रहा था तो एक सैनिक ने “उसके चेहरे पर कुछ छिड़क दिया था।” “मैं दर्द के मारे नीचे गिर गयी और कुछ देर तक कुछ देख नहीं पाई। जब मैं उठी तो मेरे भाई को ले जाया जा चुका था।” उसने ये सारी बातें एएफपी को बतायी।
पास ही में खड़ी उल्फ़त अपने एक महीने के बेटे को हाथ में लिए अपने पति व घर के इकलौते कमाने वाले मुश्ताख़ अहमद के बारे में पता करने के लिए खड़ी थी, जिसको पुलिस उठाकर ले गयी थी। उसने बताया कि “मेरे पास अपनी दवा और बच्चे के लिए कुछ भी सामान खरीदने को पैसे नहीं हैं।”
थाने पर अफसरों ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। पुलिस के आला अधिकारियों ने यह बताने से इंकार कर दिया कि कितने लोग क़ैद में हैं। जिन्हें उठाया गया है उनमें स्थानीय नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी नेता और वकील भी शामिल हैं।
(एएफपी के लिए परवेज़ बुखारी की 20 अगस्त की रिपोर्ट का सुमति ने अनुवाद किया है।)