Tuesday, April 23, 2024

सुंदर नगरी ग्राउंड रिपोर्टः सर्द रातों में छह दिन की बच्ची भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में

हमारे आपके यहां बच्चा जन्म लेता है तो हम उसे बहुत संजोते, जोगउते हैं। घर के बड़ी-बूढ़ियां पल-पल हिदायत देती रहती हैं कि ख़बरदार बच्चे को बाहर ले गए तो हवा-बतास लग जाएगी, लेकिन इस कड़ाके की ठंड और बर्फीली शीतलहर से बेपरवाह महज 15 दिन की सना ख़ान टोपी के ऊपर ‘हम भारत के लोग’ लिखा तिरंगा स्ट्रिप लगाकर पिछले 10 दिन से सुंदर नगरी के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पार्क में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं। सना की उम्र जब महज पांच या छह दिन रही होगी, वो तब से अपनी मां के साथ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रही हैं।

सुंदर नगरी के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पार्क में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में सुंदर नगरी की महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हैं। सबसे छोटी प्रदर्शनकारी सना ख़ान की मां अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहती हैं,  “बच्चे देश के भविष्य हैं। हम अपने देश के भविष्य के लिए, बच्चों की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मां बनने के बाद प्रसूता को डॉक्टर कंपलीट बेड रेस्ट के लिए कहते हैं और हमें यहां धरने पर बैठना पड़ रहा है, लेकिन कोई बात नहीं। हम अपने मुल्क और संविधान को बचाने की इस लड़ाई में कामयाब होंगे।”

दानिया की उम्र तीन माह है। वो भी इस लड़ाई में हिस्सा ले रही हैं। उनकी अम्मी कहती हैं, “मेरी बच्ची को भी आज़ादी चाहिए। सीएए, एनआरसी और एनपीआर से आजादी। कागज दिखाने की बाध्यता से आजादी।” जब कभी इस महिला आंदोलन का इतिहास लिखा जाएगा, वाकई में छोटी-छोटी बच्चियों की भागीदारी लिखे पन्ने एकदम अलग और बहुत दूर से चमकेंगे, जिसे पढ़कर भावी पीढ़ियां गर्व से भर जाएंगी। मोदी शाह की आंखों में आंखे डालकर बात करना चाहती हैं यहां की महिलाएं। 

परवीन कहती हैं, “हमें सीएए से आजादी चाहिए। हम मुसलमानों को घुसपैठिया साबित करने के लिए एनआरसी और एनपीआर लाया जा रहा है। हम इसका विरोध करते हैं। क्या हम हिंदुस्तान के नागरिक नहीं हैं? आखिर किस बात का प्रूफ मांगा जा रहा है? जनता उनका प्रूफ जिस दिन मांग लेगी उस दिन वो मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे। हम अपने कागज़ नहीं दिखाएंगे। हमें सीएए से आजादी चाहिए। हम अपनी छोटी बच्चियों को ठंड में लेकर आए हैं। ये गर्व का इतिहास होगा। वो एक इंच पीछे नहीं हटेंगे तो हम भी एक जर्रा भर भी नहीं हटेंगे। हम शाह और मोदी की आंखों में आंखें डालकर बात करेंगे। वो यहां आएं और हम महिलाओं से बात करें।”

तरन्नुम निशां कहती हैं, “कॉलोनी के हिंदू-मुसलमान सब एक साथ हैं। ये सिर्फ़ हमारे अधिकारों की बात नहीं है। ये हमारे संविधान और नागरिक अधिकारों का हनन हो रहा है। संविधान में स्पष्ट लिखा है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून हमारे संविधान की मूल भावना का हनन करता है। सीएए के जरिए मुस्लिम माइनॉरिटी और अपर कास्ट को अलग किया जा रहा है। उनको एक अलग ही नजरिये से देखा जा रहा है। सरकार की चाल हमें साफ दिख रही है। हम अपने खिलाफ़ होने वाले पक्षपात और अत्याचार के खिलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं।” 

सहाना कहती हैं, “हम अपने संविधान बचाने के लिए यहां इकट्ठा हुए हैं। हम अपना हक़ चाहते हैं। सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ़ बैठे हैं। अगर ये लागू हो गया तो हम कहां जाएंगे। ये हमारा मुल्क है। हम मर जाएंगे मिट जाएंगे पर हिंदुस्तान की मिट्टी में ही रहेंगे। योगी कह रहे हैं सीएए और एनआरसी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने वालों की प्रोपर्टी जब्त करके नुकसान की भरपाई करेंगे।”

उन्होंने कहा कि हम उनसे पूछना चाहते हैं कि आप जो इतना मेरे मुल्क का नुकसान कर रहे हैं उसकी भरपाई कैसे करेंगे? आप हम महिलाओं से घबराकर कहते हो कि मुस्लमानों ने महिलाओं को आगे कर दिया और खुद रजाई ओढ़कर घर में सो रहे हैं। तो मैं कहना चाहती हूं कि इनके लिए तो हम महिलाएं ही काफी हैं। नारी शक्ति जिंदाबाद।

शबाना ने कहा, “हम हिंदुस्तानियों को हमारा हक़ चाहिए, आप हमसे हमारा हिंदुस्तानी होने का हक़ नहीं छीन सकते। ये कोई खैरात में नहीं मिली है हमें। इसके लिए हमारे पुरखों ने कितनी कुर्बानियां दी हैं। हमारे पूर्वजों का कफ़न है इस मिट्टी में। हम यहीं पैदा हुए यहीं पले-बढ़े और हम यहीं दफ़न होंगे। हिंदुस्तान हमारा है।”

फ़रजाना कहती हैं, “इंशाअल्लाह इंक़लाब आएगा। ज़रूर आएगा। इस प्रोटेस्ट में बच्चे, बूढ़े, नवप्रसूता मांएं मेरी बहनें सब डटकर बैठी हैं। जहां महिलाएं और बच्चे उतर आएं वहां इंकलाब तो आना ही है। जब तक इंक़लाब नहीं आएगा, काला कानून वापस नहीं होगा हम बैठे रहेंगे। हमने बाबरी मस्जिद के खिलाफ़ आए फैसले को इसलिए स्वीकार कर लिया कि जैसे मस्जिद वैसे मंदिर। हिंदू मुस्लिम सब भाई भाई हैं, लेकिन अब बात मुल्क हिंदुस्तान की है। हम इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे।”

उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि हमारे पास कागजात हैं और हमारे दलित भाई बहनों के पास नहीं हैं तो क्या हम उन्हें जाने देंगे। नहीं, हर्गिज़ नहीं जाने देंगे। दलित भाई भी हमारे ही भाई हैं। हम उनके लिए भी लड़ेंगे। आवाज़ दो, हम एक हैं  यही हमारा नारा है। हम मर जाएंगे मिट जाएंगे पर सीएए को लागू नहीं होने देंगे।

70 वर्षीय ज़रीना कहती हैं, “मैं मोदी से कहना चाहती हूं कि आप एक बार अपनी मां से भी पूछ लो क्या उनके पास कागज हैं क्या। उनके पास अपने मां-बाप के जन्म प्रमाणपत्र हैं क्या। अगर उनकी मां के पास नहीं हैं तो मुझ बुढ़िया के पास कहां होंगे भला। मोदी से मैं यही कहना चाहती हूं कि आप जाओ और मुल्क की उन तमामा मांओं से मिलो जो सत्तर अस्सी साल की हैं। हम सबकी मां हैं। अरे हमारी नहीं तो कम से कम अपनी मां की तो इज़्ज़त करो। हमारी गैर-मुस्लिम बहने भी हमारे साथ हैं। हिंदुस्तान को बचाने की मुहिम में सब एक साथ हैं।”

दिल दिया हैं जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
सुंदर नगरी की महिलाओं और बच्चों ने इस गाने को अपने प्रोटेस्ट का ऐंथम बना लिया है। प्रदर्शन के दौरान और बात चीत के दौरान भी वो एक स्वर में गाने लगते हैं… दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए। एक बच्ची कहती है, “हिंदुस्तान हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा। हिंदुस्तान ज़िंदाबाद।”

वो नोटों के ऊपर बैठे हैं। और हम गरीब लोगों को परेशान कर रहे हैं। हमें बदनाम कर रखा है कि औरतें निकल आई पर्दों से। अरे आपने हमें निकाला तभी तो हम निकले। पहले तो वो हमारे मां-बाप बन रहे थे। और अब तो हमें हमारे ही मुल्क से निकालने का प्लान बना लिया है। तो हम भी उनसे यही कहेंगे कि मोदी जी चाहे हमारी गर्दन कटवा दो, चाहे हमारी लाशें गिरवा दो लेकिन हम यहीं मरेंगे। मरकर भी इस मुल्क की मिट्टी में मिल जाएंगे। तुम हमें हमारे मुल्क की मिट्टी से अलग नहीं कर सकते।

ज़रीना ख़ातून कहती हैं, “कांपे हुए हाथों से तलवार उठाने वाले खुद ही खाक हो जाते हैं सूरज को बुझाने वाले। आज हम मियान से बाहर निकली तलवारें हैं। अगर प्यार की नज़र से देखोगे तो गले की हार है औरत, बुरी नज़र से देखोगे तो तलवार है औरत। अगर बिंदी लगा लूं तो हिंदू हूं, बिंदी छुटा दूं तो मुसलमान हूं।”

70 साल की तनीजा बेगम कहती हैं, “आज औरतें मुकाबिल हैं आओ मैदान में आओ मोदी जी। हम चल फिर नहीं सकते लेकिन मजबूरी में आए हैं यहां। हम रोड पर उतरे हैं। मोदी जी हम परेशान लोग हैं हमें और न सताओ।” किश्वरी कहती हैं, “हम चाहते हैं कि मुल्क में वैसा ही अमन चैन रहे। मोदी जी लोगो को मत बांटों। हम हिंदू-मुस्लिम सदियों से साथ-साथ रहते आए हैं और आगे भी साथ-साथ रहेंगे, साथ जियेंगे मरेंगे। हिंदू मुस्लिम सब एक हैं।”

एक बुजुर्ग महिला कहती हैं, “हम अपने बच्चों के साथ लड़ाई में खड़े हैं। जब उन्होंने हमारे बच्चों को मारना शुरू किया तो मजबूरी में हमें अपने घरों से निकलना पड़ा। हम अपना हक़ लेकर रहेंगे। हम मर जाएंगे मिट जाएंगे, लेकिन कही नहीं जाएंगे, न कागज दिखाएंगे। जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेगी।”

एक बच्ची कहती है, हिंदुस्तान हमारा है और हमारा ही रहेगा। हम अपना हक़ लेंगे और छीनकर लेंगे। भारत माता की जय। इंकलाब ज़िंदाबाद। एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “हमें अपने ही देश में रहना है। हम अपना देश छोड़कर नहीं जा सकते। हमारे बच्चे परेशान हैं। हमारे बच्चों को परेशान मत करो। तुम ने उनके कारोबर तक छीन लिए। और क्या चाहिए आपको हमसे। हमारे बच्चों और हमारे घरों को तो छोड़ दो।”

दूसरी बुजुर्ग महिला अपना दर्द बयां करते हुए कहती हैं, “मोदी जी हमने ही आपको बनाया है। और आज आपने हमें हमारी पर्दानशीनों को रोड पर ला दिया है। अब जबकि हम रोड पर आ गए हैं तो हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। चाहे कैसा भी कर लो आप। हमारे पुर्ख़े लड़े हैं गोरो से हम लड़ेंगे चोरों से।”

(सुशील मानव पत्रकार और लेखक हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles