समाजवादियों के पास है सुचारू व्यवस्था

Estimated read time 1 min read

अर्थव्यवस्था के सभी अनुमान ढलान की ओर हैं। वर्तमान सत्ता-पार्टी अफवाहों की विशेषज्ञ है। व्यवस्था संभालना इनको नहीं आता। पशुपालन, खेती, उद्योग, चिकित्सा तथा भूख की समस्या से अनभिज्ञ है। यही कारण है कि जीडीपी गिर रही है। जिस जीएसटी को ये कलंगी मानकर धारण किए हुए हैं, उसमें अव्यवस्थाओं के अनेकों छिद्रों के कारण चालाक लोग सरकारी कोष से धन चुरा रहे हैं। इनपुट क्रेडिट के फर्जी क्लेम इसके उदाहरण हैं।

व्यवस्था समाजवादियों का विषय है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। इसके प्रमाण इतिहास पर दृष्टि डालते ही मिलने लगेंगे। स्वतंत्रता के बाद बेकाबू महंगाई एवं विकास में बाधाओं की परत-दर-परत को देखते हुए पं. जवाहर लाल नेहरू ने बाहें फैलाकर समाजवादियों को आमन्त्रित किया। साठ के दशक में प्रसिद्ध समाजवादी अर्थशास्त्री अशोक मेहता को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर सुधार के द्वार खोले। जनता पार्टी की सरकार में जो विभाग समाजवादियों को मिले, समाजवादियों की विलक्षण कार्य शैली से चमत्कारिक तथा सकारात्मक परिणाम मिले। तत्कालीन रेल मंत्री मधु दंडवते के कार्यकाल में रेल-गाड़ियां निर्धारित समय के अनुसार ही चलती थीं, घाटा सिमटने लगा था। सन् 1990 में संकट में फंसी अर्थव्यवस्था को प्रधानमंत्री के छोटे से कार्यकाल में चन्द्रशेखर ने उठाकर पटरी पर वापस ला खड़ा किया था।

रक्षा मंत्री जब समाजवादी बना तो पाकिस्तान को समझा दिया कि प्रेम हमारा आधार तत्व है किन्तु छेड़खानी करोगे तो भारतीय तोपें गरजेंगी। वह समय सीमा पर सबसे कम तनाव का था। उत्तर प्रदेश में जब-जब समाजवादियों की सरकार आई तो जीडीपी रॉकेट की तरह ऊपर बढ़ी। समाजवादियों के पास कोई तिलिस्मी डिबिया नहीं है। वे व्यवस्था के विशेषज्ञ हैं। वे खेती और छोटे उद्योग को विकसित कर जीडीपी बढ़ा लेते हैं। इससे नये रोजगार भी सृजित होते हैं। समाजवाद का सिद्धांत है कि सड़कों से शहर व देहात के अन्तर्जुड़ाव व्यापार बढ़ाते हैं तथा पर्यटन के साथ किसान को बेहतर दाम दिलवाते हैं। उत्तर प्रदेश की विगत समाजवादी सरकार में दूध व चीनी का उत्पादन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष में था। कुपोषण में भारत 102वीं पायदान पर पहुंच गया। ये पाकिस्तान-पाकिस्तान खेलते रहे, पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश व लंका भी हमसे आगे निकल गये। 

भाजपा के पास व्यवस्था सुधार की राणनीति नहीं है। समाजवादियों की सरकार आते ही पहले वर्ष में जीडीपी 8 प्रतिशत तथा दूसरे वर्ष में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ जायेगी। युवाओं के लिए रोजगार सृजन के नये आयाम जुडेंगे, किसानों के चेहरे पर खिलखिलाती हंसी होगी वहीं व्यापारी बेड़ियों से मुक्त हो जायेंगे।

(गोपाल अग्रवाल समाजवादी चिंतक हैं और मेरठ में रहते हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author