टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में दुनिया के मशहूर लेखक नोम चोमस्की का भाषण अचानक स्थगित

Estimated read time 1 min read

सितंबर 2020, में मुंबई (टाटा) लिटरेचर फेस्टिवल में विश्व प्रसिद्ध लेखक और चिंतक नोम चोमस्की और पत्रकार विजय प्रसाद को नोम की नव प्रकाशित और चर्चित पुस्तक ‘इंटरनेश्नलिज्म ऑर इक्सटिंक्शन’ (अन्तराष्ट्रीयवाद या विलोपन) पर परिचर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था। परिचर्चा भारतीय समयानुसार 20 नवंबर को रात्रि 9 बजे होनी निर्धारित हुई थी और टाटा की ओर से इस चर्चा के सन्दर्भ में प्रचार प्रसार भी हुआ था। लेकिन चर्चा के लिए निर्धारित समय से ठीक पहले चर्चा के दिन सुबह इस परिचर्चा को टाटा की ओर से स्थगित कर दिया गया। इस पूरे प्रकरण पर नोम चोमस्की और विजय प्रसाद ने एक वक्तव्य जारी किया है।

वक्तव्य में कहा गया है कि, सितंबर 2020, में मुंबई (टाटा) लिटरेचर फेस्टिवल में नोम चोमस्की और विजय प्रसाद को नोम की नव प्रकाशित और चर्चित पुस्तक ‘इंटरनेश्नलिज्म ऑर एक्सटिंक्शन’ (अन्तराष्ट्रीयवाद या विलोपन) पर परिचर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था। हम दोनों ही यह मानते थे कि पुस्तक की अंतर्वस्तु – परमाणु युद्ध की आशंका, जलवायु का संकट या लोकतंत्र का अवसान जैसे संवेदनशील मुद्दे जनसामान्य से प्रत्यक्ष जुड़े हुए हैं और इन पर व्यापक बहस की आवश्यकता है, इसीलिए प्रायोजकों से नीतिगत पूर्वाग्रह के बावजूद हम इस परिचर्चा में शामिल होने के लिए तैयार हो गए।

यथासंभव अधिकतम लोगों को कार्यक्रम की सूचना देते हुए मुंबई (टाटा) लिटरेचर फेस्टिवल ने परिचर्चा के निर्धारित प्रारूप की पुष्टि भी कर दी। 20 नवंबर की सुबह 9 बजे हमें ज़ूम लिंक और अन्य बारीकियों के बारे में पुनः जानकारी दी गई। फ़िर अचानक दोपहर को एक बजे के आस-पास एक रहस्यमय बल्कि कुछ हद तक अज्ञात सूत्र के हवाले से हमें सूचित किया गया, ‘हमें खेद है कि किसी आकस्मिक कारण से हमें आज आपकी परिचर्चा को रद्द करना पड़ रहा है।’

पूछताछ करने पर हमें बताया गया इस विषय पर व्यापक प्रकाश फेस्टिवल के निदेशक अनिल धरकर डालेंगे। तदोपरान्त धरकर से अभी तक संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है।

इस परिचर्चा में नोम की किताब के बहाने कई मुद्दों पर बात होनी थी। किंतु ऐन वक्त पर बिना किसी तार्किक कारण बताये इस चर्चा को टाटा की ओर से रद्द कर दिया गया!

नोम चोमस्की और विजय प्रसाद द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि, नोम की किताब 2016 में अमेरिका के बोस्टन में दिया गया उनके भाषण पर आधारित है, जिसमें उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि, तमाम आपदाओं के खात्मे के लिए कार्य करना चाहिए। विशेषकर उन्होंने परमाणुकरण पर बात करते हुए कहा था कि, ‘या तो हम इसे खत्म करें, वर्ना ये हमको खत्म कर देगा’। नोम ने अपने वक्तव्य में कहा था कि हम इन मुद्दों को ख़ारिज नहीं कर सकते।

इसी तरह से उन्होंने अमेरिका के संदर्भ में कई बातें कहीं थी। उन्होंने वहां के बड़े कार्पोरेट घरानों द्वारा चलाये जा रहे मीडिया घरानों पर अपनी बात रखी थी। नोम ने मीडिया की गलत और भ्रामक रिपोर्टिंग पर भी अपने विचार रखे थे। उन्होंने वाइट हाउस और कांग्रेस के बारे में बात रखी थी।

वक्तव्य में कहा गया है कि मुंबई की परिचर्चा में भी उन्हीं मुद्दों पर हम चर्चा करने वाले थे जो धरती के लिए गंभीर खतरे हैं। और इसमें भारत और टाटा जैसे कॉर्पोरेट घरानों की भूमिका पर चर्चा होनी थी।

भारत के सन्दर्भ में क्या चर्चा होनी थी

भारत के लिए सबसे बड़ा संकट या हताशा देश में लोकतंत्र के विलोपन का है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के पारित होने और धन की शक्ति के निकृष्टतम दुरूपयोग से करोड़ों असहाय और अभावग्रस्त भारतीय मतदाताओं की एकच्छिकता के अपहरण के कारण या यूँ कहें कि मतदाताओं की इच्छा को छीन लेने से यह समस्या उत्तरोत्तर गंभीर होती जा रही है। एक बड़ा मुद्दा अंतरराष्ट्रीय शांति का भी है, क्योंकि भारत सरकार एक साथ ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चौतरफा सुरक्षात्मक समझौते का विकल्प चुन कर पूर्ववर्ती मसौदों को बेतरह छिन्न-भिन्न करने पर आमादा है।

यहां हमारी टाटा के बारे में भी कुछ तथ्यों पर बात होनी थी। ताकि संवेदनशील लोग यह समझ पाते कि टाटा ने किस तरह से अपने नाखूनों / पंजों का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ किया है। 2006 में टाटा की फैक्ट्री के विरोध में उड़ीसा के कलिंगा नगर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों की निजी सेना द्वारा हत्या के बारे में बात करना चाहते थे। लगभग दस साल पहले जगदलपुर, छत्तीसगढ़ में एक नियोजित टाटा स्टील फैक्ट्री के लिए आबादी को आतंकित करने के लिए निजी सेना का उपयोग और  भारतीय सेना द्वारा कश्मीर के लोगों के खिलाफ टाटा एडवांस्ड सिस्टम हथियारों के उपयोग पर बात रखना चाहते थे, हम टाटा फैक्ट्री द्वारा छोड़े जाने वाले दूषित कचरा पर बात करना चाहते थे जिससे धरती के लाखों लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।

नोम और प्रसाद ने अपने वक्तव्य में कहा कि, हम सरकार, भारतीय जनता पार्टी और टाटा जैसी बड़ी कम्पनियों के करतूतों पर बात करना चाहते थे जिनके कारण मानव सभ्यता पर संकट गहराता जा रहा है।

अब टाटा ने इस चर्चा को रोक दिया है। वक्तव्य के अंत में नोम और प्रसाद ने घोषणा की है कि अब यह चर्चा होगी, मंच और समय भी हमारा होगा।

(पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author