पीएम के भाषण का सार: कोरोना से लड़ेंगे बच्चे, युवा और राज्य सरकारें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में माना कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के रूप में तूफान आया है। मगर, उन्होंने जनभागीदारी से इस कोरोना के तूफान को परास्त करने का विश्वास भी जताया। आश्चर्य की बात यह है कि कोरोना से लड़ाई में केंद्र सरकार का रोडमैप क्या होगा, इस बारे में प्रधानमंत्री ने कुछ भी नहीं कहा। एक बार फिर पीएम मोदी ने जनता पर कोरोना से लड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है। प्रधानमंत्री ने बच्चों, युवाओं और राज्य सरकारों पर अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी हैं।

बच्चे-बड़ों को लॉकरखें, राज्य सरकारें प्रदेश को अनलॉक!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में यह विरोधाभाष भी देखने को मिला कि वे लोगों को घरों में लॉक रहने को सबसे पहला विकल्प बता रहे थे, जब बच्चों पर जिम्मेदारी सौंप रहे थे कि वे बड़ों को घरों में रोकें। बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर जाने दें। वहीं प्रधानमंत्री ने कहा, “लॉकडाउन अंतिम विकल्प होना चाहिए। यह राज्य सरकारों के लिए प्रधानमंत्री की हिदायत थी। इसका मतलब यह भी साफ है कि घरों में लॉक रहना आम लोगों की जिम्मेदारी है और देश को अनलॉक करना राज्य सरकारों की।”

पीएम मोदी ने बच्चों से अपने घर वालों को बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलने देने के लिए कहा है। स्वच्छता अभियान में बालमित्रों की भूमिका को याद करते हुए पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि बच्चे एक बार फिर अपनी भूमिका निभाएंगे और बड़ों को घरों में रोक कर रखेंगे। पीएम मोदी ने युवाओँ पर भी यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे छोटी-छोटी कमेटियां बनाएं और कोविड का अनुशासन लागू कराएं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वे राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन की मदद कर सकते हैं। इससे कोरोना संक्रमण से लड़ाई में मदद मिलेगी।

वैक्सीनेशन से पहले ही कैसे सुरक्षित हो गया 37 करोड़ वर्क फोर्स?
अभी 18 वर्ष तक के लोगों को वैक्सीन लगना शुरू नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने इस कदम से देश के वर्कफोर्स को सुरक्षित बता डाला। 10 दिन बाद यह वैक्सिनेशन शुरू होगा। तब तक अब की रफ्तार से 17 हजार से ज्यादा लोगों की अतिरिक्त मौत हो चुकी होगी। 18 से 35 साल के बीच की आबादी देश में 37 करोड़ है। अगर 30 लाख प्रतिदिन की वर्तमान रफ्तार से इन्हें वैक्सिनेट किया गया तो भी इसमें 150 दिन लगेंगे। वैक्सिनेट करने की गति किस तरह तेज की जाएगी, इस बारे में पीएम ने कुछ भी नहीं कहा है।

प्रधानमंत्री ने वर्क फोर्स को सुरक्षित रखने की बात पलायन के संदर्भ में कही है। उन्होंने पलायन से निपटने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकारों पर डाल दी है। पीएम मोदी ने कहा है कि यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे इस वर्क फोर्स को अपने यहां रोकें और विश्वास दिलाएं कि उनकी रोजी-रोटी और उनका जीवन सुरक्षित रहने वाला है। इसका मतलब यह है कि दिल्ली के आनंद विहार से पलायन कर रहे मजदूरों के लिए दिल्ली की सरकार दोषी होगी, केंद्र सरकार नहीं। इसी तरह मुंबई और दूसरे शहरों से भी पलायन रोकने की जिम्मेदारी राज्यों की होगी। वैसे, यह जिम्मेदारी बीते वर्ष क्या केंद्र सरकार ने निभाई थी? इस सवाल का उत्तर भी प्रधानमंत्री को देना चाहिए था।

रमजान-रामनवमी और मर्यादा बनाए रखने की अपील
प्रधानमंत्री के भाषण पर रमजान और रामनवमी का भी जिक्र रहा। रमजान का जिक्र धैर्य और अनुशासन के लिए तो रामनवमी का मर्यादा पुरुषोत्तम राम से सीख के लिए। प्रधानमंत्री ने लोगों से मर्यादा बनाए रखने की भी अपील की। मगर, प्रधानमंत्री ने मर्यादाएं टूटने की उन घटनाओं का जिक्र नहीं किया जब वे स्वयं कोविड नियमों को धता बताकर चुनावी रैलियां कर रहे थे या महाकुंभ के आयोजन में केंद्र और राज्य सरकारें व्यस्त थीं। ऐसे ही अन्य धार्मिक व राजनीतिक कार्यक्रमों में अनुशासन और मर्यादाएं टूटने से जुड़े कोई उदाहरण भी पीएम ने नहीं रखे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे यहां इतना मजबूत फार्मा सेक्टर है जो बहुत अच्छी और बहुत तेजी से दवाएं बनाता है। मगर, यह सौभाग्य देश की जमापूंजी है जो विगत काल में पिछली सरकारों ने बनायी हैं, इसका जिक्र करने  से भी पीएम ने परहेज किया। संचार माध्यमों से भी अपील करते नजर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि वे लोगों को जागरूक करने का काम करते रहें।

पहले लॉकडाउन का बचाव, आगे लॉकडाउन सियासत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले लॉकडाउन का यह कहकर बचाव किया है कि तब कोरोना संकट के लिए देश तैयार नहीं था। लॉकडाउन का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ते हुए उन्होंने कहा कि अब लॉकडाउन अंतिम विकल्प होना चाहिए। इसकी वजह भी उन्होंने बतलायी कि देश ने कोरोना से लड़ने में अब विशेषज्ञता हासिल कर ली है। पीएम के इस बयान के बाद लॉकडाउन पर राजनीतिक विभाजन साफ तौर पर नजर आ रहा है। जहां बीजेपी शासित राज्य लॉकडाउन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं वहीं बीजेपी लॉकडाउन के खिलाफ खड़ी हो गयी है।

गैर बीजेपी शासित प्रदेशों में दिल्ली लॉकडाउन की राह पर चल रहा है तो झारखण्ड में 22 अप्रैल से लॉकडाउन लागू होना है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का 21 अप्रैल को संबोधन प्रस्तावित है, जिसमें लॉकडाउन का एलान संभव है। उत्तर प्रदेश के पांच शहरों में लॉकडाउन के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे हासिल कर लिया है। ऐसे में यह साफ है कि लॉकडाउन पर बीजेपी और गैर बीजेपी शासित राज्यों के रुख अलग-अलग हैं और इस पर सियासी तकरार भी बढ़ेगा।

वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने और उत्पादन का आधा राज्यों को देने की बात भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही है। ऑक्सीजन की कमी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल्द ही स्थिति को नियंत्रण में कर लेने का भरोसा दिखलाया है। मगर, कैसे यह उन्होंने नहीं बताया। प्रधानमंत्री की बातों से यह साफ जरूर हुआ कि देश ने ऑक्सीजन की कमी महसूस की है।

(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

प्रेम कुमार
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