Saturday, April 20, 2024

सुशांत केस की जाँच मुंबई पुलिस करेगी या सीबीआई यह अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट तय करेगा

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस की जांच ठीक से होनी चाहिए। यहां हर आदमी कि अपनी अलग राय है। यहां सवाल न्यायाधिकार क्षेत्र का है कि कौन एजेंसी जांच करेगी। महाराष्ट्र पुलिस को ये लिखित देना होगा कि जांच प्रोफेशनली होगी। जस्टिस ऋषिकेश राय की एकल पीठ ने सभी पक्षों को आज सुना और आदेश दिया कि सभी तीन दिन में जवाब दाखिल करें।

एकल पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को अब तक इस मामले में हुई जांच पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगले सप्ताह मामले पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई करेगा। एकल पीठ रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर तुषार मेहता ने एकल पीठ  को बताया कि केन्द्र ने नैतिक तौर पर बिहार सरकार की सीबीआई जांच को स्वीकार करने का फैसला लिया है। इस पर जल्द ही नोटिफिकेशन जारी होगा।लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस पर कोई निर्देश जारी नहीं किया और इस मामले की सुनवाई अब अगले हफ्ते तक के लिए टाल दी है, तथा मुंबई पुलिस से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। उच्चतम न्यायालय के अगले आदेश में पता चलेगा कि मुंबई पुलिस जाँच करेगी या सीबीआई।

रिया चक्रवर्ती ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर बिहार पुलिस द्वारा दर्ज केस मुंबई ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है। सुशांत सिंह के पिता की ओर से विकास सिंह, बिहार सरकार ने लिए मुकुल रोहतगी और रिया चक्रवर्ती के लिए श्याम दीवान पेश हुए। रिया के वकील श्याम दीवान ने कहा कि रिया के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए। हालांकि सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने इसका विरोध किया और कहा कि साक्ष्य को प्रभावित किया जा रहा है। सीबीआई जांच के लिए केंद्र तैयार है तो फिर रिया के ट्रांसफर पिटिशन का कोई मतलब नहीं रह जाता। 

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक टैलेंटेड कलाकार की मौत हुई है। यह मौत अप्राकृतिक है। ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। किन परिस्थितियों में मौत हुई है उसकी जांच की दरकार है। साथ ही कोर्ट ने बिहार पुलिस के अधिकारी को क्वारंटीन किए जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि महाराष्ट्र सरकार को पेशेवर नजरिया रखना चाहिए। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि सुशांत की मौत का मामला मुंबई पुलिस के ज्यूरिडिक्शन में आता है। पटना पुलिस का ज्यूरिडिक्शन नहीं बनता। पटना पुलिस के छानबीन से फेडरल सिस्टम को नुकसान होगा। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है और हमने उसे स्वीकार कर लिया है।

श्याम दीवान ने कहा कि हमने पटना पुलिस की ओर से दर्ज केस को मुंबई ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है। साथ ही ये भी गुहार है कि इस मामले में रिया के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। हमारी आशंका इसलिए भी हैं कि बिहार पुलिस मुंबई पहुंची है।

एकल पीठ ने कहा कि यहां मुद्दा ज्यूरिडिक्शन का है जहां तक ट्रांसफर पिटिशन का सवाल है। राजपूत एक प्रतिभाशाली कलाकार थे और उनकी अप्राकृतिक तरीके से मौत हो गई। क्या इसमें अपराध हुआ है इस बात की जांच जरूरी है। हम कानून के हिसाब से इसे देख रहे हैं। सॉलिसीटर जनरल ने जो बयान दिया है उसके बाद महाराष्ट्र सरकार जवाब दे।

महाराष्ट्र सरकार के वकील आर. बसंत ने कहा कि बिहार में कोई घटना नहीं हुई है। ये मामला मुंबई का है और बिहार पुलिस का ज्यूरिडिक्शन नहीं बनता। मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। बिहार पुलिस का ज्यूरिडिक्शन नहीं है। फेडरल सिस्टम को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। फेडरलिज्म में दो पुलिस एक दूसरे के काम में दखल नहीं दे सकतीं। हम पेशेवर तरीके से काम कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वह चाहती है कि केस पटना से मुंबई ट्रांसफर किया जाए। इस मामले में तमाम पक्षकार अपने जवाब दाखिल करें। एकल पीठ ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी है। श्याम दीवान के कहने पर कि हमें अंदेशा है कि रिया के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि संबंधित अथॉरिटी कानून के तहत छानबीन करे।

बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है जैसा कि उच्चतम न्यायालय में बताया गया। पर लाख टके का सवाल है कि क्या बिना महाराष्ट्र सरकार की सहमति के केंद्र सीबीआई जांच की बिहार सरकार की सिफारिश मंजूर कर सकता है? गौरतलब है कि सीबीआई जांच की मांग कई स्थितियों में की जा सकती है।

लेकिन आम तौर पर कौन सा राज्य इसकी सिफारिश कर सकता है और फिर इसकी प्रक्रिया निर्धारित है। जिस राज्य में घटना हुई है और वो मामला जिस राज्य सरकार की ज्यूरिडिक्शन में आता है। उस मामले की सीधी तौर पर जांच उसी राज्य की पुलिस कर सकती है।जहां तक सीबीआई जांच की बात है तो बिहार सरकार ने बेशक सिफारिश जांच की मांग की है लेकिन ये उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। एकल पीठ ने भी स्वीकार किया कि यहां मुद्दा ज्यूरिडिक्शन का है।

संवैधानिक तौर पर कोई राज्य सीबीआई जांच के लिए जब सिफारिश करता है तो इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है। चूंकि ये मामला महाराष्ट्र में घटित हुआ है, इसलिए इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की स्वीकृति सबसे जरूरी होगी, तभी केंद्र सीबीआई को इसकी जांच सौंप  सकता है, अन्यथा नहीं। अर्थात बिहार सरकार बेशक सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकती है लेकिन ये मामला तभी आगे बढ़ेगा जबकि महाराष्ट्र रजामंद हो, अन्यथा नहीं।

वास्तव में संवैधानिक तौर पर बिहार सरकार को मुंबई में हुई इस घटना की एफआईआर दर्ज करने का भी अधिकार नहीं बनता, क्योंकि इससे संवैधानिक अराजकता की स्थिति पैदा होती है। उसमें बेहतर होता है कि बिहार सरकार महाराष्ट्र सरकार से अपनी चिंता दर्ज कराती और तेजी से इसकी जांच की मांग करती।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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