ग्राउंड रिपोर्ट: मौजूदा व्यवस्था व सरकारी नीतियों की बलि चढ़ा एक और छात्र, इल्जाम एक बार फिर मोहब्बत के नाम

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प्रयागराज। इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ताराचंद हॉस्टल के कमरा नंबर 208 में एक छात्र आशीष तिवारी पुत्र सत्यनारायण तिवारी ने पंखे से लटककर जान दे दी। मरहूम छात्र आशीष तिवारी निवासी सैबसी, थाना ललौली, जनपद फ़तेहपुर का निवासी था और कुलभास्कर आश्रम डिग्री कॉलेज में पीजी की पढ़ाई के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। आशीष तिवारी ने जिस हॉस्टल में आत्महत्या किया वो इविवि से संबद्ध है जबकि वो जिस कुलभास्कर आश्रम डिग्री कॉलेज में पढ़ता था वो रज्जू भैया स्टेट यूनिवर्सिटी इलाहाबाद से सम्बद्ध है। मरहूम छात्र के परिजनों से मुलाक़ात करने और ज़मीनी सच्चाई की तलाश में जनचौक ताराचंद छात्रावास, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी व स्वरूपरानी अस्पताल स्थित चीर फाड़ घर तक गया।

ताराचंद हॉस्टल के बाहर मौके पर मौजूद छात्रों से पता चला कि हॉस्टल के जिस कमरे में आशीष ने सुसाइड किया है वो कमरा नं 208 तुषार सरोज के नाम पर एलॉट है, जो कि इलाहाबाद विश्विद्यालय का छात्र है। छात्रों ने आगे बताया कि मरहूम छात्र आशीष तिवारी तुषार सरोज का दोस्त था इस नाते वो हॉस्टल में उसके साथ ही रह रहा था। इन पंक्तियों के लेखक ने उन छात्रों से जानने की कोशिश की कि क्या तुषार सरोज मरहूम के गांव का है लेकिन इसका जवाब कोई छात्र नहीं दे पाया।

ताराचंद छात्रावास का कमरा जहां छात्र ने की आत्महत्या।

आशीष ने क्यों सुसाइड किया होगा? कोई सुसाइड नोट मिला क्या। इन सवालों के सीधे जवाब देने में तमाम छात्र कन्नी काटने लगे। पत्रकार की पहचान छुपाकर बात करने पर कई छात्रों ने बताया कि प्यार मोहब्बत का चक्कर है। एक छात्र ने बताया कि सुसाइड से पहले उसने किसी को वीडियो कॉल की थी। मैंने उससे पूछा कि क्या तुमने उसे वीडियो कॉल पर बात करते देखा था या कि क्या उसने तुम्हें बताया था कि वो किससे बात कर रहा है वीडियो कॉल पर। तो उक्त छात्र बताया कि उसने भी किसी से सुना है। दरअसल मौजूदा व्यवस्था और सरकारी नीतियों में छात्रों की मजबूरी, हताशा अवसाद को पर्याप्त और समुचित तरीके से संबोधित नहीं किया जा रहा है।

छात्रों के आत्महत्या को प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में नाकामी और मोहब्बत में नाकामी बताने का एक स्थायी ट्रेंड सत्ता, व्यवस्था व पुलिस प्रशासन द्वारा सेट कर दिया गया है। तो क्या परीक्षा में नाकामी, रोज़गार नौकरी में नाकामी का प्यार मोहब्बत में नाकामी से कोई संबंध है। बिल्कुल है। दरअसल आर्थिक कारण व्यक्ति के निजी संबंधों को बहुत बुरी तरह प्रभावित करते हैं। लेकिन पुलिस, सरकार और समाचार संस्थानों के संपादक इतने तथ्य से अंजान है। या जानबूझकर अंजान होने का ढोंग करते हैं ताकि किसी भी जिम्मेदारी से खुद को बचाकर भाग सकें, ख़ैर।

डॉ. ताराचंद छात्रावास

हमने वहां मौजूद छात्रों से आगे जानना चाहा कि क्या घटना के समय तुषार सरोज हॉस्टल में मौजूद था। तो पता चला कि वो कई दिनों से गांव गया है। और वह बहुत कम ही यहां रहता है। मैंने कोशिश की कि तुषार सरोज का मोबाइल नंबर किसी छात्र से हासिल किया जाये। पर किसी भी छात्र के पास तुषार का नंबर नहीं मिला। चूंकि वो पासी जाति से आता है तो मुमकिन है कि वो अन्य छात्रों से कम घुलता मिलता रहा हो। 

फिर हमारी मुलाक़ात होस्टल में रहने वाले दो छात्रों से हो गई। इविवि में एम. ए. छात्र आकाश सरोज इसी हॉस्टल के दूसरे फ्लोर पर रहते हैं। वो घटना के बाबत विस्तार से बताते हैं कि कमरा नंबर 208 में मरहूम आशीष व उसका एक अन्य दोस्त गुप्ता रहते आ रहे हैं, तुषार सरोज का तो बस नाम भर है। आकाश घटना वाले दिन का ज़िक्र करके बताते हैं कि मंगलवार की शाम 5-6 बजे की घटना है। आशीष का एक अन्य दोस्त जो कि यहीं इसी होस्टल में रहता है उसने आकर बताया कि वो गेट नहीं खोल रहा है। जबकि एक घंटे पहले ही आशीष की अश्विनी राजपूत से फोन पर बात हुई थी।

हॉस्टल में रहने वाले एक अन्य छात्र सूरज आगे की घटना बताते हैं कि जब हॉस्टल के छात्रों ने मिलकर उसके कमरे का गेट किसी तरह खोलकर देखा तो वो फंदे पर लटका था, दोनों हाथ नीचे लटक रहे थे। नीचे फ़र्श पर बहुत सा पानी था, संभव है दम घुटने से पहले छटपटाहट में पेशाब हो गया हो, उसका पैर ज़मीन से कुछ ही ऊपर था। पैर का अंगूठा ज़मीन छू रहा था। सामने मेज पर प्लास्टिक के मोबाइल स्टैंड पर उसका मोबाइल पोर्ट्रेट मोड में रखा था। पुलिस जब पहुंची तो मोबाइल स्विच लॉक हो चुका था। मुमकिन है कि उसने वॉट्सएप या किसी अन्य मेसेंजर एप से वीडियो कॉल करके लाइव फांसी लगाया हो।

फीस वृद्धि के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में अनशन पर बैठे छात्र।

वो कैसा लड़का था पूछने पर सूरज बताते हैं कि चूंकि वो गेस्ट के तौर पर रह रहा था तो वो बहुत कम मेल जोल रखता था। लगभग न के बराबर। आस पास के कमरे के छात्रों का कहना है कि वो बस खाना खाने के लिये कमरे से निकलता था या फिर कॉलेज जाने के लिये। दूसरे आज की बदली हुई समय संस्कृति में छात्रावास में छात्रों के बीच आपस में इंट्रोडक्शन का चलन खत्म हो गया है तो छात्र एक जगह रहते हुए भी एक दूसरे के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं।

इसके बाद हम पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे इस उद्देश्य से कि शायद मरहूम आशीष तिवारी के परिजनों से मुलाक़ात हो जाये। पर अफ़सोस कि निराशा ही हाथ लगी। मदद की गर्ज़ से हमने इंक़लाबी नौजवान सभा के सचिव सुनील मौर्या से संपर्क साधा। उन्होंने बताया कि लाश रात में ही परिजनों को सुपुर्द कर दी गई होगी। मैंने सवाल किया कि रात में तो चीरघर में काम नहीं होता।

तो सुनील ने आगे कहा कि पिछले दो साल में इलाहाबाद में कई छात्रों ने सुसाइड किया है और इन मामलों में पुलिस प्रशासन ने बहुत तेजी से काम किया है ताकि शव को परिजनों को सौंपकर वो इलाहाबाद से बाहर भेजकर अपनी जवाबदेही से मुक्त हो सकें। बहरहाल पोस्टमार्टम हाउस से निराशा हाथ लेकर यूनिवर्सिटी कैंपस की ओर जा निकला जहां विगत कई दिनों से फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ छात्रों का धरना चल रहा है। कैंपस में भी मरहूम छात्र आशीष तिवारी के संबंध में ही बातें चल रही थीं। कैंपस के छात्रों में ये बात कॉमन थी कि प्रेमिका से किसी बात पर झगड़ने के बाद लड़के ने लाइव फांसी लगाया है।

वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस मामले में एक विज्ञप्ति जारी कर बताया कि ताराचंद छात्रावास में आशुतोष तिवारी नाम के जिस छात्र ने आत्महत्या की है, वह इस विश्वविद्यालय का छात्र नहीं था और वह छात्रावास में अवैध रूप से रह रहा था। विश्वविद्यालय ने कहा कि इस मामले का फीस वृद्धि से कोई संबंध नहीं है।

बुधवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव,अजय यादव सम्राट सहित 5 छात्र फिर से भूख हड़ताल पर बैठे। वहीं इलाहाबाद विश्विद्यालय में फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के समर्थन में आइसा यूपी प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव धरना स्थल पर पहुँचकर फ़ीस वृद्धि और नई शिक्षा नीति वापस लिए जाने की मांग की।

मौके पर पहुंची पुलिस।

आयुष श्रीवास्तव कैंपस पहुंचकर धरना स्थल पर बैठे प्रदर्शनकारियों से मिलकर एकजुटता जाहिर करते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गए और कहा कि भाजपा सरकार की क्रूर शिक्षा विरोधी नई शिक्षा नीति के कारण विश्वविद्यालयों में विभिन्न कोर्सेज की फीस बढ़ाई गयी हैं। प्रदर्शनकारियों के बीच अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि फीस वृद्धि साफ तौर पर नई शिक्षा नीति के आधार पर की जा रही जिसमें शिक्षा व्यवस्था को लोन आधारित करने तथा छात्रों से पैसा वसूलने का प्रावधान है जिसके ख़िलाफ़ पूरे देश के छात्रों में गुस्सा है अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश भर से आम अवाम इस फैसले के खिलाफ़ सड़कों पर उतरेंगे। आयुष श्रीवास्तव ने आगे कहा कि इस देश की शिक्षा व्यवस्था और रोज़गार को बचाए रखने के लिए ज़रूरी है कि भाजपा सरकार तथा उसकी नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ छात्र युवाओं को खड़ा होना होगा। यह लड़ाई फ़ीस वृद्धि वापस लेने और नई शिक्षा नीति को रद्द कराने तक जारी रहेगी।

(इलाहाबाद से जनचौक के संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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