दिशा रवि की गिरफ्तारी के खिलाफ अध्यापकों ने उठाई आवाज, कहा- बिना शर्त हो रिहाई

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जलवायु परिवर्तन पर सक्रिय देश के अध्यापकों ने दिशा रवि की रिहाई की मांग करते हुए एक बयान जारी किया है। टीचर्स अगेंस्ट द क्लाइमेट क्राइसिस बैनर के तहत अध्यापकों ने कहा है कि दिशा रवि को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाए और सरकार पर्यावरण कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करना बंद करे। अध्यापकों ने कहा कि किसानों के मौजूदा विरोध प्रदर्शनों के लिए समर्थन जुटाने के दौरान देशद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोपों में पर्यावरणीय संगठन फ्राईडेज़ फॉर फ्यूचर (FFF) की सदस्य दिशा रवि की दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से हम स्तब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि दो अन्य लोगों निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के खिलाफ गै जमानती वारंट जारी किए गए हैं। किसानों के प्रतिरोध के लिए समर्थन जुटाना उनका मूल राजनीतिक और संवैधानिक अधिकार है। इसके अलावा, जिस तरह से दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया और दिल्ली ले जाया गया, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित हिरासत के नियमों का उल्लंघन है, और बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों की अवहेलना है।

अध्यापकों ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा युवाओं की अगुवाई वाले जलवायु संगठनों, या उनके सदस्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में पेश करने का प्रयास समझ से परे है। ये संगठन जलवायु और अन्य पर्यावरणीय संकटों के मुद्दों को उठाते रहे हैं, जो वास्तव में इस देश के लोगों की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

मालूम रहे कि भारतीय क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन आकलन (Assessment of Climate Change Over the Indian Region) के बारे में सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की अपनी रिपोर्ट पहले से ही हो रहे कई गंभीर बदलावों का विवरण देती है, जैसे कि कमजोर मानसून, समुद्र स्तर में तेजी से वृद्धि और लगातार सूखा। यह लंबे समय तक और अधिक भीषण गर्मी की लहरों, अधिक चरम वर्षा की घटनाओं की चेतावनी भी देती है, और दर्शाती है कि अगर वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तत्काल कम नहीं किया गया तो सिंधु और गंगा नदी के घाटियों का एक बड़ा हिस्सा कुछ ही दशकों में रहने योग्य नहीं बचेगा।

सरकार ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) के नियमों को हल्का कर दिया है; कार्बन सिंक अर्थात जंगलों को, जिस पर लाखों लोग निर्भर हैं, को काटने की अनुमति देकर पर्यावरण संरक्षण की कोशिशों को कमजोर कर दिया है। उनके संघर्षों में वन-आश्रित और कृषक समुदायों का समर्थन करना पर्यावरणीय न्याय आंदोलनों का तार्किक और अनिवार्य विस्तार ही है। युवाओं के आंदोलनों ने ईआईए के संकुचन के खिलाफ अभियान चलाया है, पारिस्थितिक तंत्र के विनाश के बारे में चेताया है और कोयला उपयोग के बढ़ते इस्तेमाल का विरोध किया है। यह वह संदर्भ है, जिसकी वजह से अब उन्हें लक्षित किया जा रहा है।

बयान में अध्यापकों ने कहा कि हमारे युवा कार्यकर्ता उन मुद्दों के लिए खड़े हुए हैं जो आने वाले दशकों में आज के लाखों युवाओं को प्रभावित करेंगे। उन्हें अपने विश्वासों के साहस के लिए और सत्ता को सच बताने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, सताया, डराया, और अपराधी नहीं बनाया जाना चाहिए। किसानों के संघर्ष या किसी अन्य सामाजिक और पर्यावरणीय न्याय के मुद्दे पर, या परिवर्तन की मांग करने वाले शांतिपूर्ण विरोध के लिए समर्थन व्यक्त करना, यह केवल एक मौलिक अधिकार ही नहीं है, बल्कि एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। फिर भी, इन कार्यकर्ताओं, और कई अन्य लोगों को हाल के महीनों में, उन अधिकारों का प्रयोग करने के लिए परेशान किया जा रहा है।

यह इस देश में जलवायु आंदोलन पर सबसे गंभीर हमला है। इसने युवा कार्यकर्ताओं, छात्रों और अन्य युवाओं के बीच बहुत भय और चिंता पैदा की है। जलवायु संकट और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों के मुद्दों से जुड़े देश भर के शिक्षकों, लेखकों और शोधकर्ताओं के एक समूह के रूप में, हम इन कर्तव्यनिष्ठ युवाओं पर सिर्फ गर्व नहीं कर रहे हैं बल्कि हम उनसे प्रेरणा लेते हैं। हम उनके द्वारा जलवायु और पर्यावरणीय बदलाव के नियंत्रण के लिए त्वरित कार्रवाई, और अधिक सुरक्षित और सुखद भविष्य के लिए उनकी मांग का समर्थन करते हैं। हम भारत सरकार के देश के युवाओं और पर्यावरणीय कार्यकर्ताओं के अपराधीकरण के गैरकानूनी और ग़लत दिशा में चल रहे प्रयासों की जबरदस्त निंदा करते हैं।

अध्यापकों ने मांग की है,
1. दिशा रवि की तत्काल रिहाई हो।
2. दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के खिलाफ सभी आरोपों को वापस लिया जाए।
3. इन युवा कार्यकर्ताओं से उस मानसिक प्रताड़ना के लिए भारत सरकार बिना शर्त माफी मांगे, जिसके कारण उन्हें आघात लगा है।
4. यह कि सरकार पर्यावरणीय संघर्षों और समूहों सहित सभी प्रकार के असंतोष का अपराधीकरण करना बंद कर दे, और इस देश के भविष्य के बारे में उनसे संवाद करे।

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