सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते आइडिया-वोडाफोन, एयरटेल जैसी टेलीकॉम कंपनियों के डेथ वारन्ट पर साइन कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद नौ दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है।
मामला यह था कि टेलीकॉम कंपनियों को डीओटी यानी दूरसंचार विभाग को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के बदले एक तय फीस देनी होती है। जिसे एजीआर (समायोजित सकल राजस्व) कहा जाता है। विवाद ये था कि टेलीकॉम कंपनियों ने यूनिफाइड ऑपरेटर्स एसोसिएशन के जरिए दावा किया कि एजीआर में सिर्फ स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस शामिल होती है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मुद्दे पर यह फैसला दिया है कि एजीआर में लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस के अलावा यूजर चार्जेज, किराया, डिविडेंट्स और पूंजी की बिक्री के लाभांश को भी शामिल माना जाए।
दूरसंचार विभाग ने 15 कंपनियों पर 92,641 करोड़ रुपये की देनदारी निकाली थी। अब जबकि ज्यादातर कंपनियां बंद हो चुकी हैं, इसलिए सरकार को आधी रकम ही मिलने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों को वास्तविक रूप में करीब 1.33 लाख करोड़ रुपये सरकार को चुकाने पड़ सकते हैं। हालांकि, ये रकम वैसे लगभग 92 हजार करोड़ रुपये है, लेकिन ब्याज और अन्य चीजों को मिलाकर यह रकम 1.33 लाख करोड़ रुपये बैठती है।
टेलीकॉम सेक्टर पहले से ही टैरिफ वॉर और भारी कर्ज से परेशानियों से घिरा है। टेलीकॉम सेक्टर पर पहले ही करीब सात लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। ऐसे में इतनी बड़ी रकम चुकाने से कंपनियों की हालत और खराब हो सकती है। अगर यह कंपनियां डूबीं तो कई बैंक भी डूब सकते हैं।
तीन साल पहले टेलीकॉम कंपनियों पर कुल बकाया 29,474 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 92 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
इस बकाया रकम का 46 प्रतिशत रिलायंस कम्यूनिकेशंस, टाटा टेलीसर्विस, एयरसेल और अन्य कंपनियों को चुकाना था, लेकिन अब ये कंपनियां अस्तित्व में ही नहीं हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सबसे ज्यादा असर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर ही पड़ेगा। डीओटी की कैल्कुलेशन के मुताबिक वोडाफोन आइडिया को कुल 28,309 करोड़ रुपये भरने होंगे। इसमें लाइसेंस शुल्क पर 13,006 करोड़ रुपये का ब्याज, 3206 करोड़ रुपये पेनल्टी और पेनल्टी पर 5,226 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। अगर कंपनी को इतनी रकम भरनी पड़ी तो उसके लिए यह बड़ा वित्तीय नुकसान होगा।
फैसले के बाद बीएसई में वोडाफोन-आइडिया के शेयर 27.43 फीसदी गिर कर 4.10 रुपये पर पहुंच गए। यह इसका 52 हफ्ते का निचला स्तर भी है। इसकी वैलुएशन 3,792 करोड़ घटकर अब सिर्फ 12,442 करोड़ रुपये रह गई है। टेलीकॉम कंपनियों के संगठन सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि यह सेक्टर की खराब आर्थिक हालत के लिए आखिरी कील साबित होगी। सरकार ने इसी वित्त वर्ष में 5 जी के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी की भी घोषणा की है। अब ऐसी हालत में यह संभव नही है कि जियो के अलावा अन्य टेलीकॉम कंपनियां इस नीलामी में भाग ले भी पाएं। यानी सिर्फ जियो बचेगा बाकी सब मरेंगे।