Friday, March 29, 2024

भारतीय कवियों की जगह जेलें नहीं, लोगों के दिल हैं: इजरायली कवि

“भारत की जेलों को कवियों से नहीं भरा जाना चाहिए। कवियों को भारत और दुनियाभर के लोगों के दिलों में बसना चाहिए और मौजूदा दमनकारी व्यवस्था को चुनौती देनी चाहिए और मानवता की आवाज बनना चाहिए।”

उपरोक्त बातें इजरायली कवियों ने जेल में बंद भारतीय कवि वरवर राव की रिहाई की मांग करते हुए कही है। 

बता दें कि इजरायल के कवियों के एक समूह ने इजरायल में भारतीय राजदूत संजीव कुमार सिंगला को एक पत्र लिखकर 81 वर्षीय बंदी कवि एवं कार्यकर्ता वरवर राव की तत्काल रिहाई का आह्वान किया है।

इजरायली कवियों ने पत्र में कहा है कि  “राव अपने कई दशकों के काम और भारत में धार्मिक रूढ़िवादिता, भेदभावपूर्ण जाति व्यवस्था, महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर उनके विरोध को लेकर कई लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। राव अपने साहसी शब्दों की वजह से कई बड़े जमींदारों, बड़े कॉरपोरेट, शक्तिशाली एवं भ्रष्ट नेताओं और सुरक्षाबलों के दुश्मन बन गए हैं।”

इजरायली कवियों ने पत्र में आगे कहा है कि “भारतीय कवि वरवर राव की गिरफ्तारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा द्वारा देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को कम करने के लिए उठाए गए कदमों का अभिन्न हिस्सा है और पत्रकारों, मानवाधिकर कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक नागरिकों के राजनीतिक उत्पीड़न का हिस्सा है। इस बात की वास्तविक आशंका है कि भारत में हालात लगातार खराब होते जाएंगे और यह 1970 के दशक के मध्य में इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौर में लौट जाएगा, जिस दौरान मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ।”

इस पत्र में कहा गया, ‘हम इजरायल के कवि आपके जरिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्रांतिकारी मार्क्सवादी कवि और बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक आलोचक, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. वरवर राव की राजनीतिक गिरफ्तारी से तत्काल रिहाई की मांग करते हैं।’

कवियों ने कहा, ‘डॉ. वरवर राव ने 1957 में अपनी पहली कविता लिखी थी। उन्होंने 1966 से 1998 तक हजारों छात्रों को तेलुगु भाषा में साहित्य पढ़ाया। राव अपने कई दशकों के काम और भारत में धार्मिक रूढ़िवादिता, भेदभावपूर्ण जाति व्यवस्था, महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर उनके विरोध को लेकर कई लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। राव अपने साहसी शब्दों की वजह से कई बड़े जमींदारों, बड़े कॉरपोरेट, शक्तिशाली एवं भ्रष्ट नेताओं और सुरक्षा बलों के दुश्मन बन गए हैं।”

कवियों ने आगे कहा है कि,” हजारों कविताएं जो उन्होंने लिखीं और प्रकाशित की, हजारों भाषण जो उन्होंने सम्मेलनों और राजनीतिक कार्यक्रमों में दिए। उन्होंने सामाजिक आंदोलनों को बौद्धिक शक्ति दी और न्याय एवं मानव अस्तित्व के लिए भारत के स्वदेशी समुदायों के संघर्षों में उनके योगदान ने वरवर राव को जमींदारों, बड़े कॉरपोरेट घरानों, शक्तिशाली एवं भ्रष्ट नेताओं और सुरक्षाबलों का दुश्मन बना दिया।”

इजरायली कवियों ने कहा है कि “भारत की जेलों को कवियों से नहीं भरा जाना चाहिए। कवियों को भारत और दुनियाभर के लोगों के दिलों में बसना चाहिए और मौजूदा दमनकारी व्यवस्था को चुनौती देनी चाहिए और मानवता की आवाज बनना चाहिए।” 

बता दें कि 81 वर्षीय कवि वरवर राव जून 2018 से जेल में हैं। उन्हें 11 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों के साथ एलगार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन सभी पर एक जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव में दलितों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है। पुलिस का यह भी दावा है कि उनका माओवादियों के साथ संबंध हैं।

बता दें कि कवि वरवर राव कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं और उनके वकीलों ने चिकित्सकीय आधार पर जमानत दिए जाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कोरोना महामारी का हवाला देकर राव की अस्थाई रिहाई के लिए अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई थी, लेकिन विशेष अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा था कि जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता और कवि वरवर राव जमानत पाने के लिए वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति और अपनी उम्र का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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