एनडीए में बवंडर! चिराग के बहाने नीतीश की चाणक्य चाल

बिहार में एनडीए की सरकार बनने के पहले एनडीए को चिराग पासवान की राजनितिक बलि देनी पड़ेगी वर्ना नीतीश कुमार इतनी आसानी से अपना अपमान भूलकर बिहार में एनडीए की सरकार नहीं बनवाएंगे। नीतीश कुमार एलजेपी चीफ चिराग पासवान की चुनावी चाल और भाजपा से उनकी मिलीभगत से इतने आहत हैं कि वो फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले एनडीए से चिराग पासवान की राष्ट्रीय स्तर पर आधिकारिक विदाई चाहते हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बहुमत हासिल कर लिया है और भाजपा के चुनाव पूर्व वादे के मुताबिक नीतीश कुमार को चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री की कमान संभालना है, लेकिन नीतीश कुमार को फ़िलहाल कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि जिस तरह का परिणाम आया है उसमें भाजपा चाहकर भी बिना नीतीश कुमार के सरकार नहीं बना सकती।

नीतीश कुमार यह भी जानते हैं की चाहे मांझी की पार्टी हम हो या मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी हो इसे एनडीए में बनाए रखने की मजबूरी भाजपा की है, क्योंकि यदि ये दोनों खिसकते हैं तो एनडीए की सरकार बनना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए अंदरखाने भाजपा और नीतीश कुमार के बीच चिराग को लेकर शह और मात का खेल चल रहा है, लेकिन राजनीतिक कारणों से सतह पर नहीं आ रहा है।   

चिराग पासवान को वोटकटवा को लेकर छिड़ी बहस के बीच नीतीश कुमार ने एक बड़ा राजनीतिक बयान दिया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद का कोई दावा नहीं किया है, निर्णय एनडीए द्वारा लिया जाएगा।  बिहार में एनडीए ने जीत जरूर हासिल की है, लेकिन नीतीश कुमार के 10 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर वोटकटवा का आरोप भी लगा है।

एलजीपी पर कार्रवाई के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी का वोट काटा है, उन पर कार्रवाई का फैसला भाजपा को लेना चाहिए। गौरतलब है कि नीतीश इस बात से काफी परेशान हैं कि चिराग ने जेडीयू के कम से कम 25 से 30 कैंडिडेट की जीत की उम्मीद पर पानी फेर दिय और भाजपा की शह पर चिराग ने ऐसा किया। जेडीयू के अंदर आम भावना है कि भाजपा  ने चिराग पासवान को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए।

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को 125 सीटें जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। बीजेपी 74 सीटों के साथ एनडीए घटक दलों में टॉप पर है, जबकि जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गया है। वहीं, आरजेडी के हिस्से 75 सीटें आई हैं और वह बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी को 19 सीटें और वामपंथी दलों को 16 सीटें मिली हैं। 2005 के विधानसभा चुनाव से अब तक जेडीयू का यह सबसे खराब प्रदर्शन है।

अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार अगले हफ्ते मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। नीतीश का कहना है कि यह अभी तय नहीं है कि शपथ ग्रहण समारोह कब होगा, चाहे दीवाली के बाद हो या छठ पूजा के बाद। हम इस चुनाव के परिणामों का विश्लेषण कर रहे हैं।

अंदरखाने नीतीश की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा सफाई भी दे रही है। बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल, उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार शाम नीतीश कुमार से मुलाकात की। इसे एक शिष्टाचार भेंट बताया गया, लेकिन इसे नीतीश के मान मनौवल के  रूप में देखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति से वाकिफ हैं, इसीलिए उन्होंने दिल्ली के भाजपा मुख्यालय से स्थिति स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा कि बिहार आगे भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही आगे बढ़ेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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