पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास है। उससे एक दिन पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने राम और रामायण के सांस्कृतिक पहलू पर चर्चा की है। उन्होंने कहा कि राम किसी एक के नहीं हैं। वह तुलसी, कबीर, रैदास और वारिस शाह सभी के हैं।
अहम बात यह है कि प्रियंका ने अपने बयान में पांच अगस्त को होने वाले शिलान्यास का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप और दुनिया की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाशपुंज की तरह आलोकित है।
उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह ही रामकथा हरिकथा अनंता है।
युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम सबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं।
उन्होंने राष्ट्रपिता का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं जो रब है वही राम है।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को ‘निर्बल का बल’ कहते हैं। तो महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ की कालजयी पंक्तियों से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं, राम सहयोगी हैं। राम सबके हैं। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसीलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
प्रियंका गांधी ने कहा कि 5 अगस्त, 2020 को रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने।
उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी के बयान को पढ़कर सुनाया।
अयोध्या में शिलान्यास के मौके पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी को न बुलाने को लेकर भाजपा नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी ने सवाल उठाया है। इस मुद्दे पर पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा के सदस्य, एक दूसरे के बारे में क्या कह रहे हैं, ये वो जानें। मुझे लगता है कि भगवान राम और सीता माता की जो व्याख्या, भगवान राम के आदर्शों और मर्यादाओं की जो व्याख्या, प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने वक्तव्य में की है, इसके बाद परस्पर कोई अगर छींटाकशी करता है, तो ये वो जानें क्योंकि राम तो सबके हैं।
एक अन्य सवाल पर सुरजेवाला ने कहा कि मैं राम मंदिर के शिलान्यास के ठीक 24 घंटे पहले राजनीतिक टिप्पणी तो नहीं करूंगा, पर एक बात अवश्य कहूंगा कि राजनीति का धर्म होना चाहिए, धर्म की राजनीति नहीं, यही राम की मर्यादा है।