जाने-माने पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने वो कर दिखाया जिसे करते हुए बॉलीवुड के तमाम कलाकार डर रहे थे। दिलजीत दोसांझ ने सीधे एक्ट्रेस कंगना रनौत से पंगा ले लिया। गुरुवार को दिनभर दोनों के बीच शब्दों का युद्ध चलता रहा। पंजाब के लगभग सारे लोक गायक और अन्य कलाकार दिलजीत दोसांझ के साथ खड़े हो गए हैं। जाने-माने पंजाबी गायक मीका सिंह और जसबीर जस्सी ने खुलकर दोसांझ का समर्थन कर दिया है।
इसमें मीका सिंह की टिप्पणी सबसे तीखी है। मीका ने लिखा है कि मुंबई में जब कंगना का दफ्तर गिराया जा रहा था तो उन्होंने उसका विरोध करते हुए कंगना का समर्थन किया था। लेकिन मैं गलत था और अब मैं पछता रहा हूं कि मैंने कंगना का उस वक्त समर्थन ही क्यों किया था। गायक जसबीर जस्सी किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इसका समर्थन कर दिया था। उनका पहला ट्वीट 30 नवम्बर को ही किसान आंदोलन के समर्थन में आ गया था। लेकिन अब उन्होंने दिलजीत दोसांझ का समर्थन करते हुए लिखा है – सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊ।
ट्विटर पर कंगना और दिलजीत दोसांझ के बयानों को तमाम लोगों ने अंग्रेजी में ट्वीट करके उनका मतलब समझाया। दरअसल, दोसांझ अपनी हर बात पंजाबी में ही लिख रहे थे। दक्षिण भारत के कुछ लोगों और विदेशों में रह रहे लोगों को उनकी पंजाबी समझने में दिक्कत आई तो कई लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। इसमें सबसे प्रमुख नाम गुरमेहर कौर का है। गुरमेहर कौर दिल्ली यूनिवर्सिटी की वही छात्रा हैं जिन्हें लेकर आरएसएस समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी ने प्रदर्शन किया था। गुरमेहर कौर ने उस समय गोरक्षक दलों द्वारा गाय ले जा रहे लोगों पर हमला करने, कुछ मामलों में हत्या करने के मामलों को उठाते हुए टिप्पणी की थी।
यह सारा मामला तब शुरू हुआ जब पंजाब की एक दादी मोहिन्दर कौर को शाहीनबाग की दादी समझकर या जानबूझकर चिढ़ाने के लिए कंगना रनौत ने ट्वीट किया कि प्रदर्शन में शामिल होने वाली ऐसी दादियां सौ रुपये लेती हैं और अब शाहीनबाग के बाद किसान आंदोलन में भी दिखने लगी हैं।
कंगना के इस ट्वीट का स्क्रीन शॉट लोगों ने ले लिया और इस पर तीखी टिप्पणी शुरू हो गई। कंगना ने कुछ देर बाद अपना वह विवादास्पद ट्वीट हटा दिया। लेकिन दिलजीत दोसांझ को यह बात बुरी लगी और उन्होंने सीधे कंगना पर टिप्पणी कर दी।
इसके बाद कंगना गुस्से में आ गईं और दोसांझ के लिए गंदे और घटिया शब्दों का इस्तेमाल किया। कंगना ने दोसांझ को फिल्म डायरेक्टर करण जौहर का ‘पालतू’ तक कहा। लेकिन कंगना ने अपने हटाए गए ट्वीट को लेकर जनता को बरगलाने की कोशिश भी की। कंगना ने यह कहकर अपना बचाव किया कि लोगों ने दादी की फोटो हटाकर पंजाब की उस बुजुर्ग महिला की फोटो क्यों लगा दी। इसलिए उनसे समझने में गलती हो गई।
हालांकि वह फोटो हटा नहीं था, वो जैसे पहले था, वैसे अब भी है। बल्कि वह फ़ोटो किसान आंदोलन में महिलाओं की मौजूदगी का स्टाइल स्टेटमेंट बन गया। कंगना को उस वक्त यह विवाद महंगा पड़ गया और लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा जब बीबीसी ने पंजाब की उस बुजुर्ग महिला के गांव जाकर वहां के लोगों का इंटरव्यू कर लिया। पंजाब के लोगों ने कहा कि वे कंगना को एक हजार रुपये रोजाना देंगे, अगर वो ऐसे धरना-प्रदर्शन में शामिल हो जाए। कुछ लोगों ने कहा कि अगर कंगना को फिल्में नहीं मिल रही हैं तो वे कंगना को दस हजार रुपये की नौकरी देने को तैयार हैं।
यह विवाद अभी थमा नहीं है। कंगना भागती नजर आ रही हैं लेकिन दिलजीत दोसांझ और जनता का गुस्सा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वे लगातार कंगना पर हमले कर रहे हैं। बीजेपी का आईटी सेल कंगना के बचाव में उतरा और खुद विवादों में घिर गया।
बता दूं कि मीका सिंह पंजाबी के मशहूर गायक दलेर मेंहदी के भाई हैं। दलेर मेंहदी की बेटी की शादी हंस राज हंस के बेटे से हुई है। इस वजह से दलेर मेंहदी भी अब भाजपा समर्थक हो गए हैं। हालांकि हंसराज हंस सांसद बनने से पहले तमाम ज्वलंत विषयों पर बोलते रहे हैं। पंजाब में आतंकवाद के दिनों में भी उनके एक गाने पर विवाद हो चुका है। हंसराज हंस जालंधर के रहने वाले हैं और दलित हैं। लेकिन इसके बावजूद वह किसानों के मुद्दे पर चुप हैं।
राजनीति में हंस ने प्रकाश सिंह बादल के संरक्षण में कदम रखा। उनकी पार्टी से चुनाव भी लड़ा। भाजपा की टिकट भी बादल की सिफारिश पर हंस को मिली थी। लेकिन किसान आंदोलन के मुद्दे पर जब अकाली दल केन्द्र सरकार के विरोध में आ गया है तो इसके बावजूद हंसराज हंस ने अभी तक किसानों के लिए न तो कोई बयान दिया और न उनके समर्थन में खड़े हुए।
और इस बीच दिलजीत से पंगा लेकर कंगना की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पंजाब की दादी का मजाक उड़ाने पर कंगना को लीगल नोटिस भेज दिया है। कई सिख नेताओं ने कंगना की निन्दा की है। फ़िल्म में रानी झाँसी की भूमिका निभाने वाली कंगना अब अकेली महिला को घेरने की दुहाई देकर बचाव की मुद्रा में आ गई हैं।
(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
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