किस सामाजिक-धार्मिक समूह ने कर्नाटक में किस पार्टी को दिया वोट?

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कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को 135 सीट और 42.88 प्रतिशत वोट मिले, भाजपा को 66 सीट और 36 प्रतिशत वोट और जनता दल (सेक्युलर) को 19 सीट और 13.29 प्रतिशत वोट मिले। इन 224 सीटों में से कुल 220 सीटें इन तीन पार्टियों को मिलीं। कर्नाटक में कुल 73.19 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस चुनाव में पड़े कुल वोटों में से 97.88 प्रतिशत वोट इन तीनों पार्टियों को मिले।

देश के अन्य हिस्सों की तरह कर्नाटक में भी वोटरों के सामाजिक समूह अलग-अलग पार्टियों को वोट देते रहे हैं और इस बार भी दिए हैं। जहां लिंगायत और कर्नाटक का अपरकॉस्ट पिछले कई चुनावों से भाजपा का कोर वोट रहा है, तो वहीं दलित, कुरूबा और मुस्लिम कांग्रेस के मुख्य कोर वोटर रहे हैं। जनता दल (सेक्युलर) का मुख्य आधार वोक्कलिगा और मुसलमानों का एक हिस्सा रहा है।

2023 में जहां कुछ सामाजिक समूहों का वोट अपनी परंपरागत पार्टी को ही मिले, वहीं कुछ सामाजिक समूहों ने अपनी वफादारी बदली भी। इस बार भारी जीत हासिल करने वाली पार्टी कांग्रेस को जिस सामाजिक-धार्मिक समूह का सबसे ज्यादा वोट मिला वह मुस्लिम है। कर्नाटक में मुस्लिम 12.7 प्रतिशत हैं। कांग्रेस को इस बार 70 प्रतिशत मुसलमानों का वोट मिला। जबकि जनता दल (सेक्युलर) को 14 प्रतिशत मुसलमानों का वोट मिला। 10 प्रतिशत मुसलमानों ने भाजपा को भी वोट दिया, जबकि भाजपा ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी इस बार भी नहीं खड़ा किया था।

मुसलमानों के बाद सबसे अधिक दलितों ने कांग्रेस को वोट दिया। दलित मतदाताओं के 63 प्रतिशत हिस्से ने कांग्रेस को वोट दिया। तीसरे नंबर पर सबसे अधिक कुरूबा लोगों का वोट कांग्रेस को मिला। कुरूबा वोटों का 56 प्रतिशत कांग्रेस को मिला। इस बार कांग्रेस बड़े पैमाने पर वोक्कलिगा मतदाताओं का वोट पाने में सफल रही है। वोक्कलिगा लोगों ने अपनी परंपरागत पार्टी जेडीएस की तुलना में कांग्रेस को वोट देना पसंद किया। इस समुदाय का 49 प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिला। जबकि जेडीएस को सिर्फ 17 प्रतिशत वोट मिला।

आदिवासी वोटों का सर्वाधिक प्रतिशत भी कांग्रेस को मिला। कांग्रेस को 45 प्रतिशत आदिवासियों ने वोट दिया। अन्य पिछड़े वर्गों का 34 प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिला। भाजपा के परंपरागत आधार लिंगायत के वोटों में से भी 29 प्रतिशत वोट कांग्रेस पाने में सफल रही। अपरकॉस्ट के 22 प्रतिशत वोटरों ने कांग्रेस को वोट किया।

भाजपा प्रतिशत में सबसे ज्यादा अपरकॉस्ट का वोट पाने में सफल रही। अपरकॉस्ट वोटरों ने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा। अपरकॉस्ट के 60 प्रतिशत वोटरों ने भाजपा को वोट दिया। अपरकॉस्ट के बाद सर्वाधिक वोट भाजपा को लिंगायत लोगों का मिला। 56 प्रतिशत लिंगायत वोटरों ने भाजपा को वोट दिया। लिंगायत के बाद तीसर नंबर पर सबसे अधिक वोट भाजपा को आदिवासियों का मिला।

आदिवासियों के 39 प्रतिशत वोटरों ने भाजपा को वोट दिया। आदिवासियों के बाद भाजपा को सर्वाधिक वोट अन्य पिछड़ा वर्ग का मिला। अन्य पिछड़े वर्ग का 37 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला। जबकि कांग्रेस को 34 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग ने वोट दिया। 33 प्रतिशत कुरूबा वोटरों ने भी भाजपा को वोट दिया। दलितों का 23 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला। 24 प्रतिशत वोक्कलिगा ने भी भाजपा को वोट दिया। भाजपा मुसलमानों का भी 10 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही।

जेडीएस को सर्वाधिक वोट वोक्कलिगा और अन्य पिछड़े वर्गों का मिला। दोनों समुदायों का 17-17 प्रतिशत वोट उसे मिला। अपरकॉस्ट का 14 प्रतिशत वोट, मुसलमानों का 14 प्रतिशत और आदिवासियों का 13 प्रतिशत वोट जेडीएस को मिला। दलितों के सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों ने जेडीएस को वोट दिया। लिंगायत और वोक्कलिगा और कुरूबा का क्रमश: 9 और 8 प्रतिशत वोट उसे प्राप्त हुआ।

तीनों पार्टियों को मिले वोटों को देखें तो पाते हैं कि जिस एक सामाजिक-धार्मिक समूह ने कांग्रेस को सर्वाधिक वोट दिया और भाजपा को सबसे कम वोट दिया, वह समूह मुस्लिम है। मुसलमानों के 70 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया। कर्नाटक में मुसलमान करीब 12.7 प्रतिशत हैं। जिस सामाजिक समूह का भाजपा को सबसे कम वोट मिला है, वह मुसलमान है, मुसलमानों के सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों ने उसे वोट दिया। भाजपा को सबसे अधिक वोट अपरकॉस्ट का मिला। अपरकॉस्ट के 60 प्रतिशत लोगों ने भाजपा को वोट दिया। जबकि कांग्रेस 22 प्रतिशत और जेडीएस को 14 प्रतिशत अपरकॉस्ट ने वोट दिया।

कांग्रेस को मुसलमानों के बाद सबसे अधिक वोट दलितों ने दिया। दलितों के 63 प्रतिशत लोगों ने उसे वोट दिया, जबकि भाजपा को सिर्फ 23 प्रतिशत दलितों ने वोट दिया। दलितों का सबसे कम वोट जेडीएस को मिला, उसे सिर्फ 10 प्रतिशत दलितों का वोट मिला। कर्नाटक में दलित 18 प्रतिशत हैं। कांग्रेस को दलितों के बाद सर्वाधिक वोट कुरूबा लोगों का मिला। इस समुदाय के 56 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया, जबकि भाजपा को इस समुदाय के 33 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया। जेडीएस को सिर्फ 8 प्रतिशत कुरूबा लोगों का वोट मिला। कर्नाटक में 7.1 प्रतिशत कुरूबा समुदाय के लोग हैं।

आदिवासियों का भी सर्वाधिक वोट पाने में कांग्रेस सफल रही है, उसे अदिवासियों के 45 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया, जबकि भाजपा को भी 39 प्रतिशत आदिवासियों ने वोट दिया। जेडीएस को 13 प्रतिशत आदिवासियों का वोट मिला। आदिवासी कर्नाटक में करीब 7 प्रतिशत हैं। अपरकॉस्ट के बाद भाजपा को सर्वाधिक वोट लिंगायत लोगों का मिला। इस समुदाय के 56 प्रतिशत लोगों ने भाजपा को वोट दिया। कांग्रेस को 29 प्रतिशत लिंगायत लोगों ने वोट दिया, जेडीएस को इस समुदाय के सिर्फ 9 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया। कर्नाटक में लिंगायत 17 प्रतिशत हैं।

अन्य पिछड़े वर्ग में भाजपा की स्थिति अन्य दोनों पार्टियों से बेहतर थी। अन्य पिछड़े वर्ग के सर्वाधिक 37 प्रतिशत लोगों ने भाजपा को वोट दिया। कांग्रेस को 34 प्रतिशत और जेडीएस को 17 प्रतिशत लोगों ने वोट किया। इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों वोक्कलिगा वोट जेडीएस से छीनने में सफल रही है। जहां कांग्रेस को इस समुदाय का 49 प्रतिशत, वहीं भाजपा को 24 प्रतिशत और जेडीएस को 17 प्रतिशत वोक्कलिगा समुदाय ने वोट दिया।

अपरकॉस्ट को छोड़कर कांग्रेस को कर्नाटक में अन्य सभी सामाजिक-धार्मिक समूहों के 30 प्रतिशत के करीब वोट मिले हैं। अपरकॉस्ट का भी 22 प्रतिशत वोट उसे मिला है। वोटों के आंकड़े यह बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी के साथ कर्नाटक के सभी सामाजिक-धार्मिक समूह खड़े हैं। वह किसी एक सामाजिक-धार्मिक समूह विशेष की पार्टी नहीं है।

(लेखक जनचौक के संपादक हैं; आंकड़े: लोकनीति-सीएसडीएस से साभार)

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