Friday, March 29, 2024

पीएम केयर्स आख़िर है किसका फंड? मोदी, बीजेपी या जनता का?

कोरोना संक्रमण संकट की राष्‍ट्रीय आपदा से उत्पन्न स्थितियों का सामना करने के लिए गठित सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस फंड (Prime Minister’s Citizen Assistance And Relief In Emergency Situations Fund) अर्थात ‘पीएम केयर्स फंड’ का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ( Comptroller and Auditor General (CAG) द्वारा अंकेक्षण यानी ऑडिट नहीं करवाया जाएगा। कैग के हवाले से यह बताया गया है कि चूंकि यह फंड व्यक्तियों और संगठनों के दान पर आधारित है, इसलिए हमें इस चैरिटेबल ट्रस्‍ट के ऑडिट का कोई अधिकार नहीं है। ट्रस्टियों द्वारा नियुक्त स्वतंत्र लेखा परीक्षकों द्वारा ही पीएम केयर्स फंड की रकम की ऑडिट की जाएगी। यानि रकम कहां से आयी, कितनी रकम आयी, किस प्रकार खर्च हुई आदि किसी जानकारी का कोई सरकारी दस्तावेज नहीं होगा ये अब तय कर दिया गया है। 

हैं न गज्जब खबर..? 

इसे कहते हैं – “एक तो चोरी, ऊपर से सीना जोरी”

कोरोना संक्रमण की इस भयंकर आपदा में भी अपने ही देश की जनता की रकम को लूटने की ऐसी अनोखी स्कीम किसी भी देश में देखने को यक़ीनन नहीं मिलेगी।

बतला दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस फंड (पीएम केयर्स फंड) की घोषणा अपने ट्विटर अकाउंट से  28 मार्च 2020 को किया, और  देश के नागरिकों और पूँजीवादी काॅरपोरेट घरानों से इस फंड में दान करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस फंड में जो पैसा आएगा, उससे कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे युद्ध को मजबूती मिलेगी। 

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री द्वारा बनाए गए इस ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इसके अलावा इस ट्रस्ट के सदस्यों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल हैं। प्रारम्भ में सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि – कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी से उत्पन्न किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या संकट से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य से एक विशेष राष्ट्रीय कोष बनाने की आवश्यकता है, और इसी को ध्यान में रखते हुए और इससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ‘पीएम केयर्स फंड’ के नाम से एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाया गया है। अब अहम सवाल यह है कि-

● जब यह ट्रस्ट सरकारी नहीं है तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, वित्तमंत्री किस हैसियत से इस ट्रस्ट का हिस्सा हैं? 

● प्रधानमंत्री, ट्रस्ट से जुड़े अन्य मंत्री, सरकार की एजेंसियां एवं बीजेपी के नेता इसे सरकारी कोष की तरह क्यों प्रचारित कर रहे हैं ?

● जब “प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष” (Prime Minister’s National Relief Fund) यानी (PMNRF) पहले से ही है तो ऐसे में “पीएम केयर्स फंड” की नई स्कीम की आवश्यकता क्यों ? 

यहां यह भी समझना आवश्यक है कि भारत में इस प्रकार के किसी भी ट्रस्ट का गठन और क्रियान्वयन इंडियन ट्रस्ट एक्ट,1882 के तहत होता है। किसी भी धर्मार्थ ट्रस्ट के लिए यह जरूरी होता है कि उसकी एक ट्रस्ट डीड बने जिसमें इस बात का स्पष्ट जिक्र होता है कि संबंधित ट्रस्ट किन उद्देश्यों के लिए बना है, उसकी संरचना क्या होगी और वह कौन-कौन से काम किस ढंग से करेगा, इसके बाद ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन होता है। लेकिन कैग (CAG) के स्पष्टीकरण के बाद यह साफ हो गया है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की ट्रस्ट डीड, और इसके रजिस्ट्रेशन आदि की भी कोई जानकारी अब सार्वजनिक नहीं की जाएगी। साफ शब्दों में समझें तो ‘पीएम केयर्स फंड’ नमो नारायण की संस्था है।

इस फंड के बारे में 29 मार्च 2020 को देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और कॉरपोरेट मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पीएम केयर्स फंड में दी जाने वाली राशि को कंपनियों की CSR के मद में शामिल किया जाएगा। तथा इस कोष में दी जाने वाली दान राशि पर धारा 80 (जी) के तहत आयकर से छूट दी जाएगी।

एक दिलचस्प बात यह भी है कि भारत या भारत से बाहर के लोग और संस्था भी पीएम केयर्स फंड में दान दे सकते हैं। उच्चायोगों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई मीटिंग में पीएम केयर्स ट्रस्ट के लिए विदेश से भी चंदा लेने की जरूरतों पर जोर दिया गया था। मोदी सरकार ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड में विदेशी फंड भी स्वीकार किए जाएंगे ताकि कोविड- 19 के खिलाफ लड़ाई को और गति प्रदान किया जा सके। हालांकि विदेशी चंदे के मुद्दे पर जब विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा तो सरकार की ओर से सफाई दी गयी कि पीएम केयर्स फंड केवल उन व्यक्तियों और संगठनों से दान और योगदान स्वीकार करेगा जो विदेशों में आधारित हैं और यह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के संबंध में भारत की नीति के अनुरूप है। 

मसला न केवल बेहद संगीन है बल्कि आपराधिक भी है। फ़िलहाल तो देश यह जानना चाहता है कि कोरोना जैसी वैश्विक आपदा के इस कठिन वक्त में पीएम केयर्स फंड में जमा रकम का प्रयोग बीजेपी के बहुमंजिला पार्टी कार्यालयों के निर्माण में,  विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनाव या राज्यों में सरकार गठन में तो नहीं होने वाला है? उम्मीद करता हूं कि देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए पीएम केयर्स फंड के संदर्भ में उठने वाली तमाम शंकाओं को दूर करते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ ‘पीएम केयर्स फंड’ को पहले से गठित प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष” (PMNRF) में ट्रांसफर कर एक जिम्मेवार और ईमानदार सरकार की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेंगे।

(दया नन्द स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और शिक्षा के पेशे से जुड़े हुए हैं।)

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