धंसते जोशीमठ से इतनी बेरुखी क्यों सरकार?

करीब 20 हजार की आबादी और इतनी ही आबादी की सैन्य छावनी वाला शहर जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है। स्थिति यहां तक आ गई है कि दर्जनों लोगों ने अपने घर छोड़ दिए हैं। कुछ लोग दरार पड़े घरों की दरकती छतें टिकाने के लिए बल्लियां लगाकर जान के खतरे के बीच दिन गुजार रहे हैं। भीषण ठंड के बीच दीवारों की दरारों से आने वाली ठंडी हवा रोकने के लिए लोगों ने दरारें पुराने कपड़ों से पाट रखी हैं। लेकिन दरारें हैं कि लगातार पहले से ज्यादा चौड़ी होती जा रही हैं। जिला प्रशासन ने करीब 550 घरों को पूरी तरह से असुरक्षित माना है। हालांकि कई और घर भी जो धंसाव की चपेट में हैं।

शहर के दो बड़े होटल लगातार नीचे खिसक रहे हैं। इन होटलों को खाली करवा दिया गया है। लेकिन, होटलों के ठीक नीचे की बस्ती खतरे में है। यदि ये होटल दरक गए तो इस बस्ती में भारी जनहानि हो सकती है। हालांकि जनहानि की आशंका पूरे जोशीमठ में बनी हुई है। इसके बावजूद सरकार चुप है। स्थानीय लोग लगभग सभी संबंधित अधिकारियों से मिल चुके हैं। ज्ञापन दिए जा चुके हैं। फिर भी कुछ नहीं हुआ तो लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी कर चुके हैं। लेकिन, सरकार फिर भी मौन है।

जोशीमठ के लोगों की सुरक्षा को लेकर लगातार आवाज उठा रही जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारी शहर के हालात की जानकारी देने और अपनी व्यथा सुनाने जोशीमठ से देहरादून पहुंचे। उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री से मिलकर वहां के मौजूदा हालात के बारे में उन्हें बताएंगे तो संभवतः वे स्थिति की गंभीरता को समझ पाएंगे और खतरे के बीच जी रहे लोगों के लिए कुछ राहत देने के आदेश देंगे।

संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती, जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार और सचिव कमल रतूड़ी बदरीनाथ क्षेत्र के कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी को साथ लेकर रविवार को मुख्यमंत्री से मिले। लेकिन, एक धंसते शहर की व्यथा सुनने के लिए मुख्यमंत्री के पास समय नहीं था। समिति के लोगों के साथ एक विधायक की मौजूदगी के बावजूद उन्हें फरियादियों की एक बड़ी भीड़ के साथ मुख्यमंत्री से दरबार में जाने की इजाजत मिली। अपना नंबर आने पर समिति के लोग सिर्फ 40 सेकेंड ही अपनी बात कह पाये थे कि मुख्यमंत्री ने नवम्बर आपदा सचिव के साथ हुई एक बैठक का एक हवाला देते हुए कह दिया कि हमने आदेश दे दिये हैं। समिति के लोगों ने फिर से अपनी बात कहने का प्रयास किया, लेकिन मुख्यमंत्री ने नहीं सुनी। समिति के सदस्य अपना सा मुंह लेकर बाहर आ गये।

मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखने और कुछ तुरंत उठाये जा सकने वाले कदमों के बारे में सुझाव देने के लिए समिति के पदाधिकारियों ने अपने क्षेत्र में पूर्व विधायक और मौजूदा समय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट से मुलाकात की। महेन्द्र भट्ट ने आश्वासन दिया कि वे सीएम से मिलकर टाइम लेकर उन्हें बताएंगे। महेन्द्र भट्ट ने टाइम तो नहीं लिया, अलबत्ता आज के अखबारों में बयान छपवा दिया कि जोशीमठ के मसले पर उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की है और जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा।

हर तरफ से निराश होकर संघर्ष समिति के लोगों ने सोमवार को देहरादून में प्रेस को जोशीमठ के हालात के बारे में बताया। समिति के संयोजक अतुल सती ने जोशीमठ के मौजूदा हालात के बारे में विस्तार से बताने के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के रवैये पर भी घोर निराश जताई। उन्होंने कहा कि जोशीमठ सिर्फ गिने-चुने परिवारों का कोई गांव नहीं है। यह एक ऐतिहासिक और पौराणिक नगर है। पर्यटन स्थल है। चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री के पास इस शहर के हालात के बारे में सुनने के लिए समय नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके साथ एक माननीय विधायक भी थे, इसके बावजूद सीएम ने उनको बैठने तक के लिए नहीं कहा। जो कह सके खड़े-खड़े ही कहा और मुख्यमंत्री ने एक पुरानी बैठक का हवाला देकर उन्हें टाल दिया।

अतुल सती का कहना था फिलहाल जोशीमठ के 550 से ज्यादा मकानों पर दरारें आ चुकी हैं। धीरे-धीरे अन्य मकानों पर भी आ रही हैं। लेकिन करीब 150 घर ऐसे हैं, जो रहने लायक नहीं रह गये हैं। आने वाले दिनों में बर्फबारी होती है कि इन 150 घरों के ढहने की पूरी आशंका है। उनकी मांग है कि सबसे पहले इस 150 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर बसाया जाए। इसके लिए आसपास के क्षेत्रों में जमीन भी उपलब्ध है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री जोशीमठ धंसाव की जांच करवाने की बात कह रहे हैं। जबकि इस तरह की जांच कई बार हो चुकी है। प्रो. रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में भूवैज्ञानिकों की एक समिति की जांच में जोशीमठ से नीचे से खोदी गई एनटीपीसी की टनल को इस धंसाव के लिए जिम्मेदार माना गया है। उनका कहना था बाद में एक जांच सरकारी स्तर पर भी हुई, जिसमें टनल वाली बात को पूरी तरह से छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि इस पर जोशीमठ के लोगों ने आपत्ति दर्ज की है।

बदरीनाथ विधायक राजेन्द्र भंडारी ने राज्य सरकार पर जोशीमठ और यहां रह रहे लोगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि यदि जल्दी जोशीमठ के प्रभावित लोगों को पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की गई तो वहां कभी भी और किसी भी समय कोई अनहोनी घटना हो सकती है। राजेन्द्र भंडारी का कहना था कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने उनकी बात सुनने से भी इंकार कर दिया वह बताता है कि राज्य सरकार आम जनता की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है और लोगों की बचाने के लिए किसी भी तरह का कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना था कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री घोर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रहे हैं। उनके अधिकारी भी झूठ बोल रहे हैं। डीएम कह रहे हैं कि उन्हें लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने को लेकर ऊपर से कोई आदेश नहीं मिले हैं। 

(उत्तराखंड से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

त्रिलोचन भट्ट

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