संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, 26 जनवरी को होगा ट्रैक्टर मार्च

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संयुक्त किसान मोर्चा ने 13 जनवरी को राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति ड्राफ्ट की प्रतियां तहसील मुख्यालयों पर जलाने और 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। महापंचायत ने राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति के मसौदे को खारिज करने और किसानों की मांगों के समाधान के लिए किसान आंदोलन की व्यापक एकता का प्रस्ताव पारित किया।

मोगा महापंचायत के एकता प्रस्ताव को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की छह सदस्यीय एकता कमेटी कल 10 जनवरी को खनौरी और शंभू बॉर्डर पर जाएगी। आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाने के लिए केंद्र सरकार को तुरंत संघर्षरत संगठनों से बातचीत शुरू करनी चाहिए।

महापंचायत में कहा गया कि पंजाब सरकार को विधानसभा की बैठक बुलाकर केंद्र के नए कृषि ड्राफ्ट को खारिज करने का प्रस्ताव पारित करना चाहिए। एमएसपी गारंटी कानून बनाने की संसदीय समिति की सिफारिश को संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज कर दिया, कहा कि यह कमीनाथन आयोग की सिफारिश पर आधारित नहीं है।

गौरतलब है कि मोगा में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत में पंजाब के कोने-कोने से किसानों के शामिल होने से रिकॉर्ड तोड़ भीड़ उमड़ी थी।

मोगा महापंचायत में सभा ने राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति के मसौदे को अस्वीकार करने, स्वामीनाथन फार्मूले के तहत एमएसपी और खरीद गारंटी कानून बनाने सहित दिल्ली मोर्चे की सहमत मांगों को लागू करने और किसान मजदूरों की कर्ज मुक्ति हेतु संयुक्त/समन्वय संघर्ष का आह्वान किया।

किसान समस्याओं की गंभीरता और संघर्ष की आवश्यकता को देखते हुए एकता प्रस्ताव पारित किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा की छह सदस्यीय एकता कमेटी कल 10 जनवरी को खानूरी और शंभू बॉर्डर पर एकता का यह संकल्प लेगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की हालत के लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार हैं। जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाने के लिए केंद्र सरकार तुरंत किसान संगठनों से बातचीत शुरू करे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने केंद्र सरकार को साफ चेतावनी दी कि अगर जगजीत सिंह दल्लेवाल को कोई नुकसान हुआ तो मोर्चा सख्त कार्रवाई करेगा।

महापंचायत में राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति के मसौदे को ऐतिहासिक संघर्ष से खारिज किये गये तीन कानूनों का नया और खतरनाक रूप बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार एक बार फिर साम्राज्यवाद के तहत संवैधानिक संघवाद की भावना के खिलाफ चली गयी है।

विश्व व्यापार संगठन और उसके कॉरपोरेट मित्रों की नीतियों ने देश के किसानों पर हमला बोल दिया है, जिसे मूकदर्शक बनकर नहीं देखा जा सकता। उन्होंने राज्य सरकारों से संघवाद की रक्षा के लिए इस मसौदे को खारिज करने के लिए विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित करने की मांग की।

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ताओं ने विपक्षी दलों की प्रांतीय सरकारों से इस मामले में पहल करने का आग्रह करते हुए इस मसौदे को खारिज करने के संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये बयान का स्वागत किया। उन्होंने मांग की कि पंजाब सरकार को तुरंत विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए और इस मसौदे को खारिज करने के लिए प्रस्ताव पारित करने का अपना वादा पूरा करना चाहिए।

नेताओं ने किसानों से आह्वान किया कि इस प्रारूप को रद्द कराने के लिए किसान आंदोलन की व्यापक एकता बनाकर केंद्र सरकार के खिलाफ मजबूत संघर्ष के लिए तैयार रहें।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी ने स्वामीनाथन फॉर्मूले को भुला दिया है और एमएसपी और खरीद गारंटी कानून को लेकर अधूरी सिफारिश की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस अधूरी सिफ़ारिश को स्वीकार नहीं किया। वक्ताओं ने स्वामीनाथन फार्मूले के तहत एमएसपी और खरीद गारंटी कानून बनाने के लिए लंबे संघर्ष की जरूरत पर बल दिया।

बलबीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैत, जोगिंदर सिंह उगराहां, हरमीत सिंह कादियान, डॉ. दर्शनपाल, रमिंदर सिंह पटियाला, कृष्ण प्रशाद, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लाखोवाल, मनजीत सिंह धनेर, डॉ. सतनाम सिंह अजनाला, प्रशोतम शर्मा, बलदेव सिंह निहालगढ़ महा पंचायत को बिंदर सिंह गोलेवाला, रुलदू सिंह मानसा…आदि ने संबोधित किया।

संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी भावी संघर्ष कार्यक्रम की रणनीति तैयार करने के लिए 24-25 जनवरी को दिल्ली में अपनी राष्ट्रीय बैठक बुलाई है।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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