Saturday, April 20, 2024

GNCT दिल्ली 1991 एक्ट में संशोधन के खिलाफ़ दिल्लीवासियों के अधिकारों के लिए सड़क से संसद तक लड़ेगी कांग्रेस

भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा संसद में जीएनसीटी (GNCT) दिल्ली 1991 एक्ट में संशोधन प्रस्ताव के खिलाफ़ आज 17 मार्च को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार के नेतृत्व में हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया। धरने में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, सेवादल, एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी मौजूद थे। मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाथों नारे लिखी तख्तियां ली हुई थी और लोकतंत्र की हत्या बंद करो-बंद करो, कठपुतली मुख्यमंत्री गद्दी छोड़ो, मोदी तेरी तानाशाही, नही चलेगी-नही चलेगी जैसे नारे लगाये।

निर्वाचित सरकार की शक्तियों को उपराज्यपाल के हाथों में सौंपने के लिए जीएनसीटी (GNCT) दिल्ली 1991 एक्ट में संशोधन प्रस्ताव लायी है। भाजपा की केंद्र सरकार के इस कदम से जनता की जवाबदेही के लिए प्रतिबद्ध सरकार को सभी शक्तियों और कार्यपालिका के निर्णयों के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी आवश्यक होगी।

जंतर-मंतर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिल्ली कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि – ” एक्ट में संशोधन करके दिल्ली की जनता के अधिकार विहीन बनाने का काम भाजपा के अमित शाह और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल दोनो ने मिलकर किया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा मोदी सरकार का एक्ट में संशोधन के खिलाफ़ विरोध करना मात्र ढोंग है।

चौ. अनिल कुमार ने कहा कि एक्ट में बदलाव दिल्ली की जनता के अधिकारों और भावनाओं पर कुठाराघात है, कांग्रेस लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देगी। कांग्रेस पार्टी संशोधन बिल की सच्चाई को पूरी दिल्ली के सभी वार्डों तक पहुँचाकर दिल्लीवासियों के अधिकारों के लिए सड़क से संसद तक लड़ेगी।

भाजपा आम आदमी पार्टी में सांठगांठ

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर केंद्र की भाजपा सरकार से सांठगांठ करने का आरोप लगाते हुए चौ. अनिल कुमार ने कहा कि इस बिल पर जनता की जवाबदेही के रुप में अरविन्द केजरीवाल की भूमिका संदेह के घेरे में है और जनता भविष्य में उन्हें इसका जवाब देगी। उन्होंने कहा कि जब 03 फरवरी, 2021 को जीएनसीटी (GNCT) दिल्ली 1991 एक्ट संशोधन की केबिनेट की मंजूरी मिल गई, तब से 16 मार्च, 2021 तक अरविन्द सरकार ने दिल्लीवासियों के हितों के लिए आवाज क्यों नहीं उठाई और शायद उन्होंने इस बिल के विरोध में प्रधानमंत्री अथवा गृहमंत्री से मिलने का समय इसलिए नहीं मांगा, क्योंकि वह बिल को लागू करने में केन्द्र सरकार के सहयोगी के रुप में काम कर रहे थे। यही कारण था कि केजरीवाल सहित पूरी केबिनेट और 62 विधायको ने 45 दिनों तक कोई भी विरोध जाहिर नहीं किया और आज जब कांग्रेस जीएनसीटी (GNCT) दिल्ली 1991 एक्ट संशोधन का विरोध जंतर-मंतर पर कर रही है तो केजरीवाल भी जनता की सहानूभूति लेने के लिए प्रदर्शन कर रहे है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के टुकड़े करके जब जम्मू-कश्मीर और लद्याख को जब केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जा रहा था तब अरविन्द केजरीवाल संसद में उस बिल का समर्थन कर रहे थे, और घड़ियाली आंसू बहा रहे थे।

चौ. अनिल कुमार ने आगे कहा कि दिल्ली की जनता के प्रति जवाबदेही की शक्तियों को उपराज्यपाल को देने के खेल में भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनो शामिल है, क्योकि जब सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल शक्तियों को अलग-अलग परिभाषित कर दिया था तो फिर भाजपा को पिछले दरवाजे से एक्ट में संशोधन करके उपराज्यपाल को अतिरिक्त अधिकार क्या दिल्ली पर हुकूमत चलाने के लिए दिए है। चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दोनो पार्टियां अपने-अपने अधिकारों की बात तो करते है, परंतु दिल्ली की जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही की बात नहीं करते।

भाजपा के लिए दिल्ली सरकार का मतलब उपराज्यपाल

धरने को संबोधित करते चौ. अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने जीएनसीटी(GNCT) दिल्ली 1991 एक्ट संशोधन से साफ कर दिया है कि दिल्ली का सरकार का मलतब उपराज्यपाल है। चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली को 1993 से पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करने वाली भाजपा प्रत्येक चुनाव में अपने घोषणा पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात करती है और आंदोलन के द्वारा सत्ता में आए अरविन्द केजरीवाल जिन्होंने दिल्ली की जनता से चुनावी वायदा किया था कि सत्ता में आने पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएंगे, परंतु आज अरविन्द केजरीवाल भाजपा की बी-टीम (B-Team) के रुप में अपनी सरकार को कठपुतली के रुप में काम कर रहे है। पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना तो दूर, जो अधिकार दिल्ली को मिला है वो भी छीन लिया जाएगा।

चौ. अनिल कुमार ने कहा कि मोदी सरकार के तानाशाह शासन में जनविरोधी नीति व योजनाओं के कारण सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का जनमानस अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है, जिस पर कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी जी का कथन “India is no longer a democratic country” बिल्कुल सार्थक सिद्ध होता दिखाई देता है क्योंकि पिछले 06 वर्षों में मोदी-अमित शाह ने अपने नजदीकियों को फायदा पहुचाने के लिए जहां सत्ता में आते नोटबंदी और जीएसटी को लागू करके देश में आर्थिक मंदी का दौर ला दिया, वही फायदे पहुचाने वाली सरकारी कम्पनियों, एयरपोर्ट, कृषि क्षेत्र में निजीकरण के लिए तीन काले कानून बनाना देश की आर्थिक व्यवस्था ढह गई और अब बैंकों का नीजिकरण करके अर्थव्यवस्था की नींव पूरी तरह खोखली करनी का प्रारुप तैयार कर दिया है। चौ. अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा की मोदी सरकार हो अथवा दिल्ली की अरविन्द सरकार हो, कांग्रेस पार्टी जनता के हितों की लड़ाई सड़क से संसद तक लड़ेगी।

धरने को प्रदेश अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार के साथ पूर्व सांसद श्रीमती कृष्णा तीरथ, प्रदेश उपाध्यक्ष सर्वश्री जय किशन, अभिषेक दत्त और श्री अली मेहंदी, महिला प्रदेश अध्यक्ष अमृता धवन, उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल, श्री संदीप गोस्वामी, पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज, विजय लोचव, अल्का लाम्बा, कुवंर करण सिंह, चौ. मतीन अहमद, वीर सिंह धींगान और देवली से पूर्व विधायक अरविन्दर सिंह लवली, जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार एडवोकेट, हरी किशन जिंदल, कैलाश जैन, मौहम्मद उस्मान, विरेन्द्र कसाना, ए.आर. जोशी, राजेश चौहान, इन्द्रजीत सिंह, गुरचरण सिंह राजू और विष्णु अग्रवाल, निगम पार्षद प्रेरणा सिंह, जुबेर चौधरी और दर्शना जाटव, पूर्व निगम पार्षद प्रवीण राणा, मनोज यादव, धर्मवीर, तुलसी सबलानिया, परवेज आलम, डा. नरेश कुमार, लीगल एवं मानव अधिकार विभाग के चैयरमन एडवोकेट सुनील कुमार, एस.सी. विभाग चैयरमेन सुनील कुमार, राजेश गर्ग आदि ने संबोधित किया।

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