लेखिका अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग को लेकर माले का देशव्यापी प्रदर्शन

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नई दिल्ली। प्रख्यात लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रो. डॉ. शौकत हुसैन के विरुद्ध यूएपीए के तहत मुकदमा चलाये जाने की अनुमति रद्द करने की मांग को लेकर सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने गुरुवार को देशव्यापी प्रदर्शन किया।

दिल्ली में जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन में पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लेखिका अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के विरुद्ध 2010 के एक प्रकरण में यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति, दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दे दी गयी है, जो हैरत में डालने वाला और हास्यास्पद निर्णय है। उन्होंने कहा कि पूरे 14 वर्ष बाद यूएपीए जैसे कानून में मुकदमा चलाने की अनुमति देना, कानून का अनुपालन नहीं बल्कि सीधे तौर पर सत्ता द्वारा मतभिन्नता व्यक्त करने वाले लोगों पर शक्तियों का दुरुपयोग है। सिर्फ बोली गयी बातों के मामले में आतंकवादी निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देना और वह भी बोले जाने के 14 साल बाद अनुमति देना, कतई स्वीकार्य नहीं हो सकता है।

माले महासचिव ने कहा कि यह मामला स्पष्ट तौर पर भिन्न मत रखने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है। मोदी सरकार द्वारा अपने विरोधी विचार के लोगों को इस तरह के केसों में फंसा कर, उन्हें बरसों-बरस बिना मुकदमा चलाये जेलों में बंद रखने की यह परिपाटी, पिछले एक दशक से इस देश में चल रही है। अरुंधति रॉय और डॉ.शौकत हुसैन पर मुकदमा चलाने की अनुमति देना, एनडीए सरकार के इस कार्यकाल की पहली कार्यवाही है, जो बता रही है कि यह सरकार, दमनकारी क़ानूनों के दुरुपयोग के मामले में पुराने ढर्रे पर ही चलेगी। इस तरह की दमनात्मक कार्रवाई पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।

इसी तरह से राजधानी पटना में भी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। राजधानी पटना के बुद्ध स्मृति पार्क सहित गया, अरवल, हिलसा, मधुबनी, आरा, बेगूसराय, जहानाबाद, सासाराम आदि जगहों पर प्रतिवाद संगठित किए गए। पटना में आयोजित कार्यक्रम में विधान पार्षद शशि यादव, अभ्युदय, रणविजय कुमार, आरएन ठाकुर, रामबलि प्रसाद, एस के शर्मा, पन्नालाल, मुर्तजा अली, प्रीति कुमारी, शहजाद आलम, विनय कुमार सहित बड़ी संख्या मे कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। संचालन पार्टी राज्य कमिटी सदस्य जितेंद्र कुमार ने किया। 

लखनऊ में पार्टी की स्थानीय इकाई ने परिवर्तन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय तक विरोध-प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति को सम्बोधित तीन सूत्रीय ज्ञापन कैसरबाग थाना इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह को सौंपा।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज सुबह 11 बजे भाकपा माले की जिला नेतृत्वकारी टीम के सदस्य का. कुमार मधुसूदन मगन के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने झंडा -बैनर के साथ नारेबाजी करते हुए परिवर्तन चौक पर इकट्ठा होकर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर मार्च शुरू कर दिया। बीएसएनएल चौराहे पर पुलिस ने जुलूस को रोक लिया। 

इस अवसर पर सभा को सम्बोधित करते हुए का. कुमार मधुसूदन मगन ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश से सबक लेने की बजाय मोदी सरकार 3.0 ने फिर से अपने पुराने ढर्रे पर चलना शुरू कर दिया है। जाने-माने बुद्धिजीवियों, लेखकों की आवाज़ को दबाने के लिए उसने फिर से दमनकारी काले कानूनों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

लखनऊ में ज्ञापन देते नेता।

मोदी सरकार के इशारे पर बुकर पुरस्कार प्राप्त, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अंग्रेजी लेखिका अरुंधति राय और 14 वर्ष पहले दिए गए एक वक्तव्य को आधार बनाकर कश्मीर मामले के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक डा. शेख़ शौकत हुसैन के खिलाफ दिल्ली के उपराज्यपाल के द्वारा यूएपीए जैसे काले कानून के तहत मुकदमा चलाने की कड़ी निन्दा करते हुए माले नेता ने कहा कि इस तरह के दमन को देश बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बैसाखियों के सहारे बनी मोदी सरकार अपनी अंतिम सांसें ले रही है और उसने अगर दोनों हस्तियों के खिलाफ कायम मुकदमा वापस नहीं लिया तो मोदी सरकार को जाना होगा।

ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि यूएपीए काले कानून को खत्म किया जाए तथा इस कानून के तहत बन्द सभी राजनीतिक बन्दियों को रिहा किया जाए।

विरोध प्रदर्शन में किसान नेता का. छोटे लाल रावत, ऐपवा नेत्री का.कमला गौतम, आइसा के शिवम्,न्यायिक मानवाधिकार परिषद के महासचिव का. अंकित राज का और सैय्यद मंशूब अब्बास, राम सेवक रावत, का रमेश शर्मा, जसम के का. मोहम्मद कलीम खान, का. सतीश राव, का. मंजू गौतम का. अनिल कुमार, का. नीरज कन्नौजिया, गोपाल शुक्ला, अनिल मौर्य, शिवाजी यादव आदि प्रमुख लोग मौजूद थे।

गोरखपुर में भी पार्टी कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाल कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इस मौक़े पर वक्ताओं ने 14 साल पहले एक कार्यक्रम में दिए गए वक्तव्य को आधार बनाकर अरुंधति राय और शेख़ शौक़त हुसैन के खिलाफ गैरकानूनी रोकथाम निवारक अधिनियम (यूएपीए) जैसे दमनकारी कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिये गए हालिया आदेश की तीव्र भर्त्सना की। 

उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही आये इस आदेश को हम अभिव्यक्ति की आजादी के विरुद्ध, लोकतांत्रिक बुद्धिजीवियों को निशाने पर लेने और उनका उत्पीड़न करने वाला मानते हैं। हम मांग करते हैं कि अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ यूएपीए के मुकदमे को रद्द किया जाए, यूएपीए सहित दमनकारी कानूनों को खत्म किया जाए और सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा किया जाए।

प्रतिवाद कार्यक्रम में भाकपा माले मण्डल प्रभारी राजेश साहनी, ज़िला सचिव राकेश सिंह, जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह, ऐपवा जिला सचिव मनोरमा चौहान, गीता पांडेय, राधा, विनोद भारद्वाज, हरिद्वार प्रसाद, विजय यादव, आर के सिंह, प्रभुनाथ सिंह, विजय यादव, शिव भोले निषाद आदि शामिल रहे।

प्रयागराज में भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधि मंडल प्रशासन के जरिये राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। भाकपा माले जिला प्रभारी सुनील मौर्य, डीएलटी सदस्य सोनू यादव, भानू कुमार ने कहा कि प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार से सम्मानित जानीमानी अंग्रेजी लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय और प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक व कश्मीर केंद्रीय विवि के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन पर, करीब चौदह साल पहले एक कार्यक्रम में दिए गए वक्तव्य को आधार बनाकर, उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) जैसे दमनकारी कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिये गए हालिया आदेश की हम तीव्र भर्त्सना करते हैं। 

इलाहाबाद में ज्ञापन देते माले नेता।

नेताओं ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही आये इस आदेश को हम अभिव्यक्ति की आजादी के विरुद्ध, लोकतांत्रिक बुद्धिजीवियों को निशाने पर लेने और उनका उत्पीड़न करने वाला बताया।

इसके साथ ही पंजाब से लेकर उड़ीसा और कर्नाटक से लेकर आंध्रा तक विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

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