पटना। सीमांचल में पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आरएसएस द्वारा तैयार किया जा रहा 501 पन्नों का मनुवादी संविधान का प्रारूप और उसका प्रचार बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा रचित संविधान और देश के संविधानिक मूल्यों के खिलाफ एक गंभीर षड्यंत्र है।
सुप्रीम कोर्ट को संविधान का संरक्षक होने के नाते इस पर संज्ञान लेकर संविधान को बदलने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए।
माले महासचिव ने सीमांचल में विभिन्न गांवों की पदयात्रा के दौरान बिहार की नीतीश-मोदी सरकार पर ततमा और लोहार समुदाय के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि इन समुदायों को उनके वाजिब हक की मांगों को सरकार ने पूरी तरह नजरअंदाज किया है। इन समुदायों को उनका न्यायसंगत अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बदलो बिहार महाजुटान में इन सभी समुदायों का एकजुट होकर संघर्ष किया जाएगा।
उन्होंने सीमांचल में आदिवासी, वंचित और ऋषिदेव समुदायों की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि इन समुदायों के वास-आवास और जोत की भूमि पर बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। भूमाफियाओं के पक्ष में पूरा प्रशासनिक तंत्र खड़ा है। उन्होंने राज्य सरकार से इन समुदायों की सुरक्षा के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित करने की मांग की। पदयात्रा के दौरान गांव-गांव और कस्बों में सभा आयोजित की जा रही है।
पदयात्रा में धीरेन्द्र झा, मीना तिवारी, शशि यादव, रामबली सिंह यादव, और आरवाइए के महासचिव नीरज कुमार सहित भाकपा-माले और आइसा-आरवाइए के कई नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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