अहमदाबाद। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में नकाबपोशों द्वारा छात्रों पर किए गए हमले के खिलाफ अहमदाबाद स्थित आईआईएम के बाहर भी विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक, प्रोफेशनल, समाज सेवी तथा आम नागरिक शामिल हुए। इन सभी ने मिलकर दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार का एक सुर में विरोध किया। पिछले रविवार को भी इसी जगह पर CAA, NRC और NPR के विरोध में प्रदर्शन रखा गया था। लेकिन पुलिस ने सैकड़ों की संख्या में आये छात्रों , शिक्षकों तथा अन्य प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी कर तीन घंटे बाद रिहा कर दिया था। JNU में हुई घटना का विरोध करने के लिए पुलिस ने सशर्त शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी थी। छात्र एवं अन्य प्रदर्शनकारियों ने अपने-अपने प्लेकार्ड के साथ मुंह में पट्टी बांध कर अपना विरोध दर्ज कराया।
प्रदर्शन का आयोजन कुछ छात्र संगठनों ने मिलकर किया था जिसमें सैकड़ों की संख्या में छात्र, युवा शामिल हुए। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन की गुजरात स्टेट कमेटी सेक्रेटरी रिम्मी वाघेला ने बयान जारी कर “JNU छात्रों पर हुए हमले के लिए सीधे ABVP को जिम्मेदार बताया। वाघेला ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़ा करते हुए JNU छात्रसंघ अध्यक्ष, शिक्षक सहित आम छात्रों पर हमले की निंदा की साथ ही JNU में बढ़ी फीस को भी वापस लेने की मांग की।”
1974 में हुए नवनिर्माण आन्दोलन के नेता रहे मनीषी जानी भी इस प्रदर्शन में शामिल थे। मनीषी जानी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “जिस प्रकार से JNU में सरकारी गुंडों ने हमला किया। उसी प्रकार से इटली में मुसोलिनी सरकार के समय भी गुंडे ट्रेड यूनियन नेताओं, युवा संगठन के कार्यकर्ताओं इत्यादि पर हमले किया करते थे। देश में स्थिति ऐसी बन रही है जो नव निर्माण के समय थी। उस समय आन्दोलन में 105 लोग शहीद हुए थे जिसमें 88 आंदोलकारी पुलिस की गोली से मरे थे।” 1974 में गुजरात यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मेस की फीस बढ़ने के बाद महंगाई, भ्रष्टाचार के विरोध में गुजरात नवनिर्माण आन्दोलन किया था। आज़ाद भारत में पहली बार एक चुनी हुई सरकार को आंदोलन के कारण जाना पड़ा था। जानी उस आन्दोलन के नेता रह चुके हैं।
निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी अपने संगठन राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के साथियों के साथ इस प्रदर्शन में मौजूद रहे। मेवानी ने कहा कि “देश में बेरोजगारी ने 45 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। छात्रों युवाओं में गुस्सा है। सरकार दमन कर इन्हें दबाना चाहती है।” मेवानी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर प्रश्न करते हुए कहा कि ” जिस प्रकार से उना में दलितों की पिटाई के बाद प्रधानमंत्री खामोश थे जब मीडिया और सड़क पर हमारे जैसे लोगों का दबाव बना तो कहा था- मेरे दलित भाईयों को मत मारो, मुझे मारो। उसी प्रकार से मीडिया और सड़क का दबाव बना तो कह देंगे मेरे छात्रों को मत मारो मुझे मारो।” मेवानी ने JNU की घटना की तुलना जलियांवाला बाग से करते हुए नारे भी लगाए।” जो जनरल डायर की चाल चलेगा, वह जनरल डायर की मौत मरेगा, उधम सिंह कौन बनेगा, हम बनेंगे-हम बनेंगे।”
रविवार को ही सुबह में जिग्नेश मेवानी ने सुरेंद्र नगर जिले की चोटीला तहसील में चार हजार दलितों को CAA NRSC, NPR के विरोध और असहयोग की शपथ दिलाई। साथ ही मुख्यमंत्री विजय रूपानी सरकार की निंदा करते हुए कहा कि “यदि विधान सभा का विशेष सत्र बुलाना है तो बुलाओ लेकिन युवाओं को रोजगार की गारंटी के लिए, ठेकेदारी प्रथा समाप्त करने, फिक्स पगार जैसा शोषण खत्म करने, आउटसोर्सिंग समाप्त करने ,जनता को साफ पानी इत्यादि के लिए सत्र बुलाना होगा। CAA के समर्थन नहीं विरोध के लिए सत्र हो।” आपको बता दें गुजरात सरकार 10 जनवरी को विधान सभा के विशेष सत्र में केरल विधान सभा के तर्ज पर CAA के समर्थन में प्रस्ताव लाने जा रही है।
जब से IIM के बाहर प्रदर्शन होने लगा है। युवाओं और छात्रों की हिस्सेदारी बढ़ गई है। अहमदाबाद में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग गिरफ्तारी देने से भी नगीं हिचकिचा रहे हैं। प्रियंका ठाकर जो पेशे से अर्किटेक्ट हैं बताती हैं “मैं किसी एक कारण से प्रदर्शन में नहीं आ रही हूँ। बहुत से कारण हैं। देश में एक व्यक्ति कुर्सी पर बैठकर सांप्रदायिकता फैला रहा है, महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है, गुंडे हॉस्टल में घुसकर मार पीट करते हैं, उत्तर प्रदेश में क्या हुआ लोग अपने घरों में सुरक्षित नहीं हैं, JNU जहाँ से आइडिया जन्म लेता है सरकार उसे ही खत्म करना चाहती है। हम अब और चुप नहीं बैठ सकते। “
सोमवार के प्रदर्शन में हिंसा करने की नीयत से ABVP के पांच-छह लोग पहुंचे। वहां पहुँच कर वामपंथियों के विरोध में नारे लगाने लगे। JNU के समर्थन में पांच छह सौ लोग बैनर पोस्टर के साथ खड़े थे जबकि पांच- छह ABVP कार्यकर्ता आ कर नारे लगाए तो कंट्रोल रूम पर शिकायत की गई जिसके बाद पुलिस ने उन्हें डिटेन कर लिया। रविवार को ABVP के गुंडे भले ही हिंसा नहीं कर पाए लेकिन सोमवार को जमकर हिंसा हुई जिसमें NSUI के प्रदेश महामंत्री निखिल सवाणी सहित दर्जनों कार्यकर्ता घायल हो गए। ABVP और NSUI के बीच हुई झड़प के बाद पुलिस ने FIR दर्ज करने में 9 घंटे का समय ले लिया। NSUI की तरफ से निखिल सवाणी ने पुलिस को दी फरियद में डॉक्टर ऋत्व्ज पटेल, प्रदीप सिंह वाघेला सहित 70-80 लोगों पर जान से मारने की कोशिश, दंगा इत्यादि की धाराओं में फरियाद की है। क्रॉस फरियाद में ABVP की तरफ से जयदीप परिख ने शाहनवाज़ हुसैन, नारण भरवाड सहित 30-35 लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई है।
(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)