Saturday, April 20, 2024

आशाओं के साथ होने वाली नाइंसाफी बनेगा बिहार का चुनावी मुद्दा

पटना। कोरोना वारियर्स और घर-घर की स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशाओं की उपेक्षा के खिलाफ कल राज्य के अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशाओं ने आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया। रोहतास, कैमूर, पटना, अरवल, जहानाबाद, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, खगड़िया, मुज़फ़्फ़रपुर, मधेपुरा, भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सिवान, मुंगेर, सुपौल आदि जिलों के 200 से ज्यादा पीएचसी पर आशाओं ने जत्थाबन्दी कर अपनी मांगों को रखा। मासिक मानदेय की घोषणा, पूर्व समझौतों का क्रियान्वयन, कोरोना भत्ता और पूर्व के बकाये का भुगतान आदि मुख्य मांगें थीं। 

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जनवरी 2019 में सरकार ने हड़ताली आशाओं से जो समझौता किया था उसके तहत आज तक भुगतान नहीं हो पाया है। कोरोना काल में कई आशाओं की मौत हो गयी लेकिन सरकार द्वारा घोषित विशेष कोरोना भत्ते का लाभ पीड़ित परिजनों को नहीं मिल पाया।

आपको बता दें कि कर्मचारी महासंघ गोप गुट/एक्टू से सम्बद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के आह्वान पर दो दिवसीय आंदोलन की घोषणा हुई है। कल पीएचसी पर प्रदर्शन था और आज सभी जिलों के सिविल सर्जन कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन कर मांगें रखी जाएंगी!

आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि दिल्ली-पटना की सरकारें कोरोना वारियर्स और घर-घर की स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी कर रही हैं। पीएम मोदी ने आशाओं को नियमित मासिक मानदेय न देकर जहां विश्वासघात किया है, वहीं नीतीश सरकार ने कोरोना भत्ता न देकर उनके रहे-सहे विश्वास को भी तोड़ दिया है।

उन्होंने कहा कि आशाएं बदला लो-बदल डालो नारे के तहत इस नाइंसाफी का बदला लेंगी। और अपने साथ हो रहे अन्याय को चुनाव का मुद्दा बनाएंगी। विद्यावती, कुसुम कुमारी, सबया पांडे, कविता, सीता पाल, रिंकू, अनुराधा, अनिता, फैजी, संगीता संगम, सुनैना, ऊषा सिन्हा, चन्द्रकला आदि ने आंदोलन को संयोजित व उसका नेतृत्व किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles