जेएनयू के छात्रसंघ ने विभिन्न मांगों को लेकर मंत्रालय तक निकाला मार्च, रास्ते में ही पुलिस ने रोका

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नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार को मार्च निकाला। यह मार्च विश्वविद्यालय से होकर शिक्षा मंत्रालय तक जाना था। लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक दिया।

पुलिस द्वारा परिसर के दोनों तरफ बैरिकेटिंग की गई थी। जिसमें बड़ी संख्या में पुलिस के साथ-साथ सुरक्षा बल के जवान भी मौजूद थे।

12 दिन से भूख हड़ताल

पुलिस अधिकारी ने यह कहते हुए मार्च को रोका कि प्रदर्शन की अनुमति बाहर नहीं है। इसलिए इसे आगे जाने नहीं दिया जाएगा। इसके बाद छात्रों ने वहीं बैठकर धरना प्रदर्शन दिया। छात्र नारे लगाते रहे लेकिन पुलिस ने आगे जाने नहीं दिया।

इससे पहले छात्रसंघ अपनी मांगों को लेकर पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल कर रहा है। इसके बाद पैदल मार्च निकाला गया। जिसमें विभिन्न छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया। लेकिन एबीवीपी ने इससे दूरी बनाये रखी।

छात्रसंघ की मुख्य मांगों में फंड की कमी के कारण जेएनयू की प्रॉपर्टी को निजी हाथों में देने का विरोध, छात्रवृत्ति में वृद्धि, हॉस्टल की मरम्मत, जेएनयू की प्रवेश परीक्षा द्वारा एडमिशन और एनटीए का विरोध शामिल है।

यूनिवर्सिटी को निजी हाथों में देने की तैयारी

जेएनयू छात्रसंघ प्रेसिडेंट धनंजय पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। हमसे बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘जेएनएयू को लंबे समय से टारगेट किया जा रहा है। आज स्थिति ऐसी हो गई है कि फंड की कमी दिखाकर पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी को प्राइवेट करने की तैयारी की जा रही है’।

धनंजय ने कहा कि फिलहाल एक गेस्ट हाउस को निजी हाथों में देने की बात हो रही है। धीरे-धीरे यूनिवर्सिटी को प्राइवेट कर देश के निचले तबके के लोगों से इसकी पहुंच को खत्म कर दिया जाएगा।

जब जेएनयू पब्लिक यूनिवर्सिटी है तो ये सरकार की जिम्मेदारी है कि इसे चलाए और शिक्षा बजट को कम न करे।

इस मार्च में बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए थे। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा कि इस मार्च के जरिए हम शिक्षा मंत्री से पूछने जा रहे हैं कि एक तरफ आत्म निर्भर भारत की बात हो रही। दूसरी ओर शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं।

शिक्षा बजट को कम किया जा रहा है। हॉस्टल की हालत इतनी खराब है, क्लासरुम में स्टूडेंट्स के लिए जगह नहीं हो पा रही है। साल में दो बार CUET परीक्षा की बात की जा रही है। इन लोगों को सार्वजिनक शिक्षा का लाभ कैसे मिल पाएगा। जब जेएनयू जैसे संस्थान बचेंगे ही नहीं तो।

विदेश जा रहे हैं स्टूडेंट्स

साथ ही वह कहती हैं कि साल 2019 के बाद से लगातार स्टूडेंट्स विदेश में पढ़ने जा रहे हैं। इसका बस एक ही कारण है उन्हें अच्छी स्कॉलरशिप और सुविधा मिल रही है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों फंड की कमी के कारण जेएनयू की दो प्रापर्टी गोमती हॉस्टल और एक अन्य को बेचने और लीज पर देने की खबर के बाद से ही छात्र हड़ताल कर रहे हैं। इस दौरान कुलपति शांतिश्री डी. पंडित इनसे मिलने भी गईं लेकिन कोई बात नहीं बन पाई।

छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी में जनगणना कराई जाए। आंदोलन करने पर लगे प्रतिबंध और दो हजार के जुर्माने को खत्म किया जाए। ताकि छात्र बिना किसी भय के अपनी आवाज को उठा सकें।

(पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

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