किसान आन्दोलन के 111 दिन पूरे होने पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने अपना पक्ष रखा

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कृषि बिल के खिलाफ़ धरना दे रहे सयुंक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल ने प्रेस नोट जारी करते हुए निम्न बातें रखी-

सयुंक्त किसान मोर्चा हमेशा बातचीत के पक्ष में रहा है। सरकार विभिन्न रुकावटों को दूर कर बातचीत का रास्ता खोले। सरकार द्वारा दिया गया प्रस्ताव किसान पहले ही अस्वीकार कर चुके हैं।

हरियाणा विधानसभा में जजपा (JJP) व भाजपा (BJP) विधायकों के सामाजिक बहिष्कार सम्बधी किसानों के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है जिसका हम विरोध करते है। यह हरियाणा के किसानों का जजपा व भाजपा विधायकों पर बनाये गए दबाब का नतीजा है।

हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में आन्दोलन से सम्बंधित लाये गए कानून (लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021) की हम निंदा व विरोध करते हैं। इस कानून के मुताबिक आन्दोलनकारियों को गलत मुकदमों में फंसाकर जनता की आवाज़ को दबाया जाएगा। यह प्रयास वर्तमान किसान आंदोलन को खत्म करने व किसानों को झूठे केसों में फंसाने के लिए किए जा रहे है। सयुंक्त किसान मोर्चा इस कानून को हरियाणा सरकार की बौखलाहट करार देता है जहां खुद मुख्यमंत्री तक का जनता ने सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है।

आन्दोलन को देशव्यापी स्तर पर तेज करने के सम्बंध में सयुंक्त किसान मोर्चा की अध्यक्षता में कल देशभर की ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्ट यूनियनों एवं अन्य जनाधिकार संगठनों का सयुंक्त अधिवेशन किया जाएगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस संबंध में इन सभी संगठनों को एक पत्र भी लिखा गया है।

सिंघु बॉर्डर पर हिंसा मामले में रंजीत सिंह को एफआईआर नं 49/2021 पी.एस. अलीपुर, सेशंस जज, रोहिणी कोर्ट में आज जमानत दी गयी है। रणजीत सिंह की जमानत के लिए अपना प्रयास करने वाले अधिवक्ताओं में राजिंदर सिंह चीमा वरिष्ठ अधिवक्ता और उनकी टीम में जसप्रीत राय, वरिंदर पाल सिंह संधू, राकेश चाहर, जसदीप ढिल्लों, प्रतीक कोहली और संकल्प कोहली शामिल हैं। रंजीत सिंह के कल जेल से बाहर आने की संभावना है।

ओडिशा में चल रही किसान अधिकार यात्रा कल गजापति जिले के काशीपुर पहुंची। किसानों व स्थानीय लोगो से मिल रहे भारी समर्थन से यात्रा और मजबूत हो रही है वही किसान छोटी-छोटी बैठके करके भी लोगों को आन्दोलन तेज रहे हैं।

सभी 07 यात्राएं बिहार के तकरीबन 35 जिलों का दौरा करके पटना वापस लौट आई है। इस क्रम में उन्होंने 300 से अधिक छोटी-बड़ी नुक्कड़, आम व ग्राम किसान सभाएं आयोजित की और किसान-मजदूरों को महापंचायत में शामिल होने का आमंत्रण दिया। बिहार में लगभग 5000 किलोमीटर की यात्रा तय की गई और 02 हजार गांवों व तकरीबन 01 लाख किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया गया.

आन्दोलन को डेढ़ महीने से ज्यादा समय हो गया है। राजनैतिक राय से परे सरकार सामान्य मानवीय व्यवहार भी ठीक से नहीं निभा रही है। इस आंदोलन में 300 के करीब किसानो की मौत हो गयी है। अनेकों किसानों का सड़क दुर्घटनाओं भारी नुकसान हुआ हैं। सरकार अपना घमंडी रवैया तोड़े व किसान आंदोलन में शहीद हुए व क्षतिग्रस्त हुए किसानों को हरसंभव मदद मुहैया करवाये।

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