केंद्र द्वारा पारित सीएए के विरोध में पंजाब तनकर खड़ा हो गया है। राज्य में ऐसा पहली बार हुआ है जब मुस्लिम महिलाओं ने बड़ी तादाद में इकट्ठा होकर रैली निकाली हो। पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बाहुल्य शहर मलेरकोटला में मुस्लिम महिलाओं ने अन्य अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित महिलाओं के साथ एकजुट होकर रोष प्रदर्शन किया। इसमें विभिन्न समुदाय की हजारों महिलाओं ने शिरकत की। जहां एक तरफ शेष देश में विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं पंजाब में बिल विरोधी तमाम संगठन अमन व सद्भाव के साथ डटे हुए हैं। राज्य में विरोध का सिलसिला दिन-ब-दिन तेज होता जा रहा है।
मलेरकोटला में वकील जरका जाफरी के आह्वान पर जमान-ए-इस्लामी की अगुवाई वाले समाजसेवी संगठनों समेत इलाके के 3 दर्जन सामाजिक संगठनों सहित मुस्लिम महिलाएं सड़कों पर उतरीं। शहर ने ऐसा मंजर पहली बार देखा जब मुस्लिम महिलाओं ने घरों से बाहर आकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। महिलाओं ने सीएए की मुखालफत में हाथों में तख्तियां पकड़ी हुई थीं। मलेरकोटला वही शहर है जहां के नवाब ने कभी दशम गुरु गोविंद सिंह जी के शहीद साहिबजादों की शहादत के खिलाफ खुलेआम बगावती आवाज बुलंद की थी। संयोग है कि इन दिनों शहीद साहिबजादों की याद में सूबे में जगह-जगह धार्मिक और सामाजिक समागम हो रहे हैं। जब साहिबजादों की शहादत तथा कुर्बानी की बात की जाती है तो मलेरकोटला और उसके तत्कालीन नवाब को भी बहुत ऐहतराम के साथ याद किया जाता है।
उसी मलेरकोटला में निकली मुस्लिम महिला रोष रैली को कई सिख और वामपंथी महिला संगठनों ने भी बाकायदा हिस्सेदारी करके अपना पुरजोर समर्थन दिया। जमात-ए-इस्लामी, गर्ल्स इस्लामिक आर्गेनाईजेशन, मुस्लिम फेडरेशन, पंजाब स्त्री सभा, स्त्री जागृति मंच तथा मुस्लिम सिख फ्रंट ने ऐलान किया कि केंद्र ने सीएए वापस न लिया तो जनवरी के पहले पखवाड़े में समूचे पंजाब में महिलाएं एकजुट होकर रोष मार्च करेंगीं। इन महिला संगठनों ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में मलेरकोटला के एसडीएम बिक्रमजीत पांथे के जरिए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया। एडवोकेट जरका जाफरी कहती हैं, “हिंदुस्तान किसी की निजी जागीर नहीं है। देश में दरार पैदा करने वाले इस एक्ट के विरोध में संघर्ष जारी रहेगा। यह कानून हिंदुस्तान के संविधान की धारा-14 की खुली अवहेलना है। केंद्र की भाजपा सरकार साजिश के तहत मुसलमानों को गैरभारतीय बनाने पर तुली हुई है।” स्त्री जागृति मंच पंजाब की महासचिव अमनदीप कौर मलोद के अनुसार मोदी सरकार फासीवादी रास्तों पर चल रही है और धर्म के नाम पर विभाजन करने वाले एजेंडे की तरफ एक-एक करके जा रहे हैं।”
उधर, गठबंधन में भाजपा का सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल भी खुलकर कहने लगा है कि सीएए में मुसलमानों को भी शुमार किया जाए। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल के कई वरिष्ठ नेता अकाली दल के सरपरस्त पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अध्यक्ष सांसद सुखबीर सिंह बादल पर दबाव बनाए हुए हैं कि पार्टी खुलकर नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करे। सर्वोच्च श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान पहले ही (थोड़ा धीमे स्वर में) सीएए का विरोध कर रहे हैं। कुल मिलाकर इन सर्वोच्च सिख अथवा पंथक संगठनों के रहनुमाओं के साथ-साथ शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के भी बिल का मुख्य विरोध करने की संभावना है। मलेरकोटला में निकली विशाल मुस्लिम महिला रैली ने पंजाब के सियासी हल्कों में खासी हलचल मचा दी है। (अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल जालंधर में रहते हैं।)