सेवा में,
अध्यक्ष,
संयुक्त किसान मोर्चा, देश की सभी केंद्रीय मजदूर फेडरेशन और सभी इंसाफ पसंद जनता के नाम संदेश।
सभी भाइयों और बहनों को मौत के दरवाजे पर दस्तक दे रही एक गरीब मजदूर बहन के भाई की गुजारिश!
साथियों,
मेरी एक मजदूर ( मजबूर) बहन पिंकी गंगवार है। वह रुद्रपुर, उत्तराखंड के औद्योगिक एरिया में स्थित एक फैक्ट्री में कार्यरत एक महिला मजदूर है।
उत्तराखंड सरकार के अनुसार अर्धकुशल मजदूरों को दिये जाने वाले न्यूनतम वेतन 10,300 की मांग करने पर उनके कंपनी मालिक प्रिंस धवन ने महिला मजदूरों और पुरुषों के पीछे पेशेवर गुंडे लगा दिए। ये गुंडे फैक्ट्री आती जाती महिलाओं को छेड़ते हैं, गंदे इशारे करते हैं और धमकाते हैं।
उत्तराखंड के श्रम कानूनों को लागू करने के उच्च न्यायालय के आदेशों को भी मालिक ठेंगा दिखाते हैं। सभी दर्जन भर स्थाई मजदूरों को ठेके में डाल देते हैं और कुछ को नौकरी से ही निकाल देते हैं।
हमारे मुख्यमंत्री धामी जी श्रम मंत्री भी हैं, इसके बावजूद भी हमारे श्रम कमिश्नर कंपनी मालिक पर आपराधिक मुकदमा डालकर उन्हें जेल भिजवाने की बजाय हमारी बहनों-भाईयों ही को धमकाते हैं। हमारे भाइयों पर जानलेवा हमले किए जाते हैं लेकिन एसएसपी भी हमारे ही साथियों पर गुंडा एक्ट लगा देते हैं।
इसी के विरोध में हमारे चार महिला और दो पुरुष भाई 21 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठे हैं। पिंकी गंगवार को 21 तारीख को मजबूर होकर आमरण अनशन का फैसला करना पड़ा जबकि चार दिन पहले ही वह टाइफाइड से ग्रस्त होकर उठी थी और वैसे भी शरीर से कमजोर है।
भाइयों ,बहनों पिंकी उत्तर प्रदेश की ओबीसी जाति की एक बेटी है और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी भी ओबीसी जाति के हैं और अपने को गंगा का बेटा कहते हैं।
पिंकी ने उन्हें भी पत्र लिखा लेकिन उनका भी कोई जवाब नहीं आया। उसने प्रधानमंत्री जी से कहा था कि अनशन में मेरी मौत के बाद मेरी लाश का अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री धामी के खटीमा स्थित आवास के सामने किया जाए।
साथ की एक अनशनकारी कृष्णा देवी के मुंह से आज 29 अक्टूबर को बहुत खून आ रहा है। प्रशासन ने उन्हें जबरन भर्ती कर दिया है पर वो उनका अनशन नहीं तुड़वा पा रहे हैं। उधम सिंह नगर जिले के एडीएम का कहना है कि अगर एक दो मजदूर मर भी जाएं तो कोई बात नहीं। भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा है।
जब मुझे इस बात का पता चला तो मुझे बहुत दुख हुआ। तब मैंने सोचा कि इस देश में 30 नवंबर, 2014 को एक सीबीआई जज लोया की हत्या कर दी गई थी। वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की जांच कर रहे थे जिसमें हमारे भाजपा के भूतपूर्व अध्यक्ष और वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह आरोपी हैं।
जज की बहन डॉक्टर अनुराधा बियानी का कहना है कि उन्हें उनके भाई ने उन्हें बताया था की मुंबई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह ने जज लोया को 100 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की थी। इस बात के वीडियो सबूत भी इस रिपोर्ट को जान पर खेल कर सामने लाने वाले लेखक निरंजन टकले ने जुटाए हैं।
निरंजन ने ही अपनी जान पर खेल कर सारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ,पंचनामा, फॉरेंसिक रिपोर्ट प्राप्त की। जज लोया के पिता हरिकिशन लोया, उनकी बहन सरिता मानधने और बहन डॉक्टर अनुराधा का वीडियो रिकॉर्डिंग किया गया जिसमें ये सारी बातें दुनिया को पता चली।
लेखक ने एक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम है- “जज लोया का कातिल कौन” जिसके मुख पृष्ठ पर परमवीर चक्र के पात्र शहीद जज लोया की तस्वीर है और उनके ऐन पीछे भाजपा के देश के सबसे बड़े नेताओं में शामिल व्यक्ति की तस्वीर की साफ छाया है।
भाईयों, बहनों
आपको याद होगा कि 6 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों ने अपने घर में प्रेस को बुलाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। वहां पर भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे मा. रंजन गोगोई जी (जो कि अब भाजपा के ही राज्यसभा सांसद हैं ) ने कहा था कि हमने दो महीने पहले मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था कि वह जज लोया की हत्या की जांच करें। परंतु कुछ नहीं हुआ।
तो पिंकी जैसी गरीब बेटी को न्याय कैसे मिल सकता है। फिर आप भारतीय लोगों को कैसे मिल सकता है?
अगर हमारे प्रदेश की बात की जाए तो हमारे उत्तराखंड के धर्म नगरी ऋषिकेश में एक गरीब घर की रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की दुर्व्यवहार के बाद हत्या कर दी गई थी।
इस मामले में भाजपा के एक भूतपूर्व मंत्री का बेटा जेल में बंद है। सबूत मिटाने के लिए भाजपा की एक महिला विधायक ने अंकिता भंडारी के रिसोर्ट स्थित कमरे पर बुलडोजर चलवा दिया ताकि सारे सबूत मिट जाएं।
अंकिता भंडारी ने अपने मित्र को मोबाइल पर व्हाट्सएप कर बताया कि किसी वीवीआईपी के सामने उसे पेश किया जाना है।
इसके बावजूद भी हमारे मुख्यमंत्री धामी जी का कहना है कि कोई वीवीआईपी ही नहीं है। क्या हमारे भाजपा के मुख्यमंत्री से भी बड़ा कोई राष्ट्रीय नेता या सुप्रीम कोर्ट के जज जितना बड़ा कोई है, जिसे बचाने की लिए मुख्यमंत्री को सफेद झूठ बोलना पड़ रहा है। अगर अंकिता को न्याय नहीं मिला तो इन गरीब लोगों को कहां से मिलेगा?? आप को भी नहीं मिलेगा! मिलेगा ??
2016 में जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद (जो मजदूर किसान नेता भी है) पर भाजपा के तत्कालीन गृहमंत्री ने आरोप लगाया था कि वह आतंकवादी है और दो बार पाकिस्तान हो आया है। जबकि असलियत यह है कि उसके पास तो पासपोर्ट ही नहीं है। वह भी 5 साल से जेल में बंद है।
आरोप साबित हो चुके हत्यारे, बलात्कारी राम-रहीम कितनी बार जमानत पर जेल से बाहर आ गया है। खासकर हर चुनाव के मौके पर। लेकिन उमर खालिद जैसों को जमानत क्यों नहीं मिल रही है।
कितने अन्यायों की बात की जाए!
ऐसे ही देश के कई बुद्धिजीवी सालों जेल में रहकर सडा़ए गए हैं। उनमें से एक है प्रोफेसर आनंद तेलतुम्बड़े जो कि संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की पोती के पति हैं और संसार भर में जिनकी विद्वता का कोई सानी नहीं।
भाइयों और बहनों आपको याद होगा हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने तीन काले कृषि कानून की वापसी के लिए संघर्ष कर रहे किसानों को खालिस्तानी आतंकवादी भी कहा लेकिन फिर बाद में माफी मांगते हुए कानून वापस भी ले लिए।
हमारे देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली महिला पहलवान कुख्यात बदमाश सांसद बृजभूषण पर लैंगिक हमले का आरोप लगाती हैं। परंतु हमारे हमारी महिला पहलवानों के साथ चाय पीने वाले हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी मुंह से एक शब्द नहीं बोलते हैं।
मुझे मालूम नहीं पिंकी और अनशनकारी मजदूर कितने दिन या कितने घंटे और जिंदा रहने वाले हैं ना यह पता कि इनकी मौत की बात हिंदुस्तान के मजदूर किसान तक पहुंचेगी भी या नहीं।
यह भी नहीं पता है कि उत्तराखंड के कितने फैक्ट्री मजदूर, उपनल में कार्यरत मजदूर भोजनमाताएं, आंगनवाड़ी के मजदूर भाई-बहन इस खबर को जान पाएंगे। पर यह जान लें कि मजदूरों को ,किसानों को, बेरोजगारों को, आप सभी को तब तक कुछ नहीं मिलेगा जब तक आप सभी किसानों की तरह सड़क पर उतरकर सड़के नहीं जाम कर देंगे, अम्बानी, अडानी के माल, गोदाम नहीं बन्द कर देते। जैसे पंजाब में किया गया।
जैसे पूंजीवादी भाजपा की पाखंडी सरकार के प्रधानमंत्री को तीन काले कानून वापस लेने पड़े थे, उसी प्रकार तमाम भारत के गरीब लोगों, बेरोजगार युवाओं को भी हर न्यायोचित मांग के लिए सरकार मंत्रियों या अदालत की बजाय अपने पर भरोसा करना पड़ेगा।
आपकी दोस्त, आपकी बहन ,आपकी बेटी,
पिंकी गंगवार का एक भाई
उमेश चन्दोला।
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