असल मायने में सीकर का किसान बाहुबली है। अपने हक के लिए कोई भी जंग कभी भी लडऩे को तैयार रहता है। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि महज पांच महीने में ही सीकर के किसानों का दूसरा बड़ा आंदोलन देखने को मिला है।
पहला आंदोलन एक सितम्बर से 13 सितम्बर 2017 तक चला था और अब 22 फरवरी 2018 से 36 घंटे तक के लिए जयपुर हाईवे जाम किया गया। दोनों आंदोलनों में ‘अमराराम सेना’ की नारी शक्ति यानी महिला किसान (फीमेल ब्रिगेड) का अलग ही रूप देखने को मिला है।
यूं तो सीकर जिले में जब-जब भी किसान सभा का धरना, प्रदर्शन होता है, उसमें महिला किसान भी बढ़-चढकऱ हिस्सा लेती हैं, मगर इस बार सीकर जाम में न केवल महिला किसानों ने हिस्सा लिया बल्कि 36 घंटे तक जाम स्थल पर ही डटी रहीं और रात भी यहीं गुजारी।
सीकर में किसानों के किसी भी प्रदर्शन में यह पहली बार हुआ है कि महिला किसान रात को सडक़ों पर ही सोयी हों। पहले के धरना, प्रदर्शनों में महिला किसान शाम को घर चली जाया करती थीं।
माकपा के जिला सचिव किशन पारीक ने बताया कि जिला परिषद सदस्य व अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की महामंत्री गांव थोरासी निवासी रेखा जांगिड़, अध्यक्ष रसीदसपुरा निवासी सरोज भींचर, राज्य नेत्री तारा धायल, भढ़ाना सरपंच रामप्यारी, रसीदपुरा निवासी रामचन्द्री और रींगस निवासी ग्यारसी धायल के नेतृत्व में करीब 200 महिला किसानों ने सीकर जाम स्थल पर ही रात गुजारी।
अमराराम सेना की फीमेल बिग्रेड अपने साथ दांतली, गंडासी व जेली आदि कृषि औजारों को हथियार के तौर पर साथ लेकर आई थी। जाम स्थल पर लोकगीत और होली धमाल गाकर समय बिताया। महिला किसानों ने किसान सभा को भरोसा दिलाया है कि आगे के किसान आंदोलनों में पुरुष किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जंग लड़ेंगी, भले ही रात फिर सडक़ों पर गुजारनी पड़े तो भी वे पीछे नहीं हटेंगी।
(मदन कोथुनियां पेशे से पत्रकार हैं और आजकल जयपुर में रहते हैं।)