लोकतांत्रिक भारत की विरासत को बचाने का सत्याग्रह

Estimated read time 1 min read

वाराणसी। गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 72 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। सत्याग्रह आज सर्व धर्म प्रार्थना के साथ अपने 72 वें पायदान पर पहुँच गया है।

आज उपवास पर बैठने वालों में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के युवा साथी और जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के कुमार दिलीप एवं बिहार सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष सत्यनारायण प्रसाद है। कुमार दिलीप का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ है। आर्थिक तंगी के कारण वे जमशेदपुर के एक परिवार में रहकर घरेलू कामों में मदद करते थे और साथ में पढ़ाई भी। इसी बीच छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी के कार्यकर्ताओं से इनका संपर्क हुआ।

2005 में काम के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग के समर्थन में आयोजित 34 दिवसीय कोलकाता से दिल्ली साइकिल मार्च में शामिल हुए। इसके बाद कुमार दिलीप की सांगठनिक सक्रियता में तेजी आ गई। घरेलू काम में मदद और सामाजिक सक्रियता के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और ग्रामीण विकास विषय में एमए किया। एमए करने के बाद वे वाहिनी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में अपना योगदान देना शुरू किया। चांडिल के पुनर्वास और डिमना बांध विस्थापितों के लिए चल रहे आंदोलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

2005 के बाद पूरे झारखंड में विस्थापन विरोधी आंदोलनों की लहर सी उठी जिसमें वे सक्रिय रहे। उनका विवाह वाहिनी परिवार की श्वेता शशि के साथ बिना किसी कर्मकांड के सादगीपूर्ण पद्धति से संपन्न हुआ। लगभग 15 वर्षों के पूर्णकालिक जीवन के पश्चात पारिवारिक दायित्व निर्वहन के लिए झारखंड सरकार की योजनाओं के सोशल ऑडिट के काम से जुड़ गए। बाद में सरकारी दबाव से मुक्त होने के लिए उस काम को भी छोड़ दिया। फिलहाल वे सामाजिक परिवर्तन के प्रयास के साथ हजारीबाग में रहकर एक संस्था को गतिशील बनाने में लगे हैं। किसी भी काम को गंभीरता और परिश्रमपूर्वक संपन्न करना कुमार दिलीप के व्यक्तित्व का खास गुण है।

कुमार दिलीप कहते हैं कि सर्व सेवा संघ, उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का ऐतिहासिक धरोहर रहा है। इस केंद्र का लाभ कई पीढ़ियों को मिलता रहा है जो लोकतंत्र, संविधान की गरिमा, अहिंसा, सत्य, सद्भाव और विश्व मानवता में भरोसा करते हैं। इस परिसर को गिराने का मतलब है, उपरोक्त आदर्शों पर हमला करना। लेकिन सत्ता के अहंकार में चूर केंद्र व राज्य सरकार के बुलडोजर की असंवैधानिक नीति तथा पूंजीपतियों के लिए मुनाफा सुनिश्चित के हथकंडों को अपनाकर गैर कानूनी तरीके से, बिना किसी अदालती आदेश के महात्मा गांधी, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण आदि महान व्यक्तियों द्वारा निर्मित भवनों को ध्वस्त कर दिया। इस असंवैधानिक कदम की हम निंदा करते हैं, साथ ही 11 सितंबर 2024 से 19 दिसंबर 2024 तक पुनर्निर्माण हेतु 100 दिन का सत्याग्रह ‘न्याय के दीप जलाएं’ के संकल्प के साथ जारी सत्याग्रह का समर्थन करते हैं।

उपवासकर्ता कुमार दिलीप और सत्यनारायण प्रसाद के अलावा सत्याग्रह में रामधीरज, सुरेंद्र नारायण सिंह, शुभम मोदनवाल, शक्ति कुमार, सुरेंद्र नारायण सिंह, सरस्वती गुप्ता, विद्याधर, नंदलाल मास्टर, जोखन सिंह यादव, राजेंद्र यादव, फ्लोरिन, प्रेमनाथ गुप्ता, विश्वनाथ, माणिक बेसरा, मुकुंद आदि उपस्थित रहे।

(सर्व सेवा संघ द्वारा जारी)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author