नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि यह देखते हुए कि याचिका में गंभीर आरोप हैं, याचिकाकर्ताओं की पहचान याचिका से हटा दी जाएगी। शुक्रवार को मामले की फिर सुनवाई होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत को बताया कि “यौन उत्पीड़न के आरोपों को साबित करने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग हैं। पीड़ित सात महिला पहलवान हैं। उनमें से एक उत्पीड़न के समय 16 साल की थी। उसने स्वर्ण पदक जीता था।” उन्होंने आगे कहा कि कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज नहीं करने पर भी पुलिस कर्मियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार (23 अप्रैल) से बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट, सत्यव्रत कादियान, सोमवीर राठी और जितेंद्र किन्हा सहित अन्य लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें कई पहलवानों ने अपना समर्थन दिया है।
ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट सहित पहलवानों ने जनवरी में पहली बार जंतर-मंतर पर धरना दिया था और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। तब खेल मंत्रालय ने एक कमेटी बनाकर जांच का आश्वासन दिया था। लेकिन तीन महीने बाद न तो कोई जांच रिपोर्ट आई, और न ही दोषियों पर कार्रवाई की गई। अब पहलवानों ने एक बार फिर जंतर-मंतर पर धरना देकर अपनी मांग को उठाया है।
ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया के आंदोलन में शामिल होने के लिए “सभी दलों को आमंत्रित” करने के कुछ घंटों बाद सोमवार को भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के प्रतिनिधियों ने जंतर-मंतर का दौरा किया और प्रदर्शनकारी खिलाड़ियों के साथ बातचीत की। SAI के अधिकारियों ने कहा कि “मैं पहलवानों से मिलने और उन्हें सुनने आया था। मैं मांगों पर कुछ नहीं कहूंगा।”
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड (SSCB) ने अपने सभी एथलीटों और कोचों को पहलवानों के विरोध में शामिल होने से मना किया है। एसएससीबी के सभी खिलाड़ियों को सूचित किया जाता है कि कुछ पहलवान जंतर मंतर पर धरने पर बैठे एसएससीबी के सभी एथलीटों से अनुरोध है कि वे धरने से दूर रहें।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड द्वारा रविवार को अपने व्हाट्सएप ग्रुप पर खिलाड़ियों को हिंदी में संदेश भेजा गया था। मंगलवार को धरने का तीसरा दिन है। इस बीच, केंद्रीय खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के 7 मई को प्रस्तावित चुनावों पर रोक लगा दी है। खेल मंत्रालय के इस निर्णय को आंदोलनकारी पहलवानों को शांत करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने अपना धरना फिर से शुरू कर दिया है।
मंत्रालय ने सोमवार को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से अनुरोध किया कि वह WFI के दिन-प्रतिदिन के मामलों को चलाने के लिए एक अस्थायी समिति का गठन करे और इस तरह के गठन के 45 दिनों के भीतर अपनी नई कार्यकारी समिति के चुनाव कराए।
प्रदर्शनकारी कौन हैं और विरोध क्यों?
पहलवानों ने इस साल जनवरी में जंतर मंतर पर धरना दिया था, लेकिन केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा बृजभूषण शरण सिंह और अन्य कोचों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक ‘निरीक्षण समिति’ के गठन की घोषणा के बाद इसे समाप्त कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के बाद रविवार को फिर से अपना विरोध तेज कर दिया, जिसमें कहा गया कि एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों को डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रूप में बृजभूषण द्वारा “परेशान और शोषण” किया गया था।
बृजभूषण शरण सिंह कौन हैं?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 65 वर्षीय बृजभूषण शरण सिंह की हिस्ट्रीशीट के अनुसार, उसके खिलाफ अयोध्या, नवाबगंज, फैजाबाद और दिल्ली में कुल 38 आपराधिक मामले दर्ज थे।
हिस्ट्री शीट के अनुसार अयोध्या में कुल 17, फैजाबाद में 12, नवाबगंज में 8 और दिल्ली में एक मामला दर्ज किया गया। आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास और यूपी गैंगस्टर्स एक्ट, आर्म्स एक्ट के तहत अन्य शामिल थे। सिंह पर 1993 तक यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत चार बार मामला दर्ज किया गया था।
- गोंडा के रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी नामित किया गया था।
- 66 वर्षीय बृजभूषण एक आपराधिक इतिहास वाले भाजपा नेता हैं। एक सांसद के रूप में उनका करियर तब शुरू हुआ जब उन्होंने 1991 में लोकसभा में प्रवेश किया।
- बृजभूषण पर हत्या के प्रयास, डकैती के लिए सजा और सबूत मिटाने सहित कई आरोप हैं। हालांकि, इनमें से किसी में भी उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है।
- पहलवानों के जनवरी में अपना आंदोलन शुरू करने से एक महीने पहले, भाजपा नेता को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने बरी कर दिया था। 1993 में समाजवादी पार्टी की सरकार में यूपी के एक पूर्व मंत्री पर हमले से जुड़े 29 साल पुराने मामले में कोई सबूत नहीं मिलने के कारण उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
खेल में बृजभूषण के विवाद
- बृजभूषण शरण सिंह ने दिसंबर, 2021 में उन्होंने रांची में एक एथलीट को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मारा था। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
- 2021 में एक अन्य घटना में, उन्होंने नोएडा में राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान “बहुत एनिमेटेड” होने के कारण एक रेलवे कोच को निलंबित कर दिया।
- अगले साल, अगस्त 2022 में, बृजभूषण ने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लिए 59 किलोग्राम वर्ग में भारत के प्रतिनिधित्व का चयन करने के लिए ट्रायल शुरू होने के 54 सेकंड बाद अचानक रोक दिया।
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