आदिवासियों ने दिया राज्यपाल को ज्ञापन, भूमि से बेदखली, योजनाओं के ठप होने और चौतरफा भ्रष्टाचार पर आक्रोश

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भोपाल। प्रदेश भर से आये आदिवासियों ने राजधानी भोपाल में आकर धरना प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों, जिनमें आधी से अधिक महिलाएं थीं, ने प्रदेश भर में जारी भूमि से बेदखली, सभी योजनाओं के ठप होने और चौतरफा भ्रष्टाचार पर आक्रोश जताया। आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की केंद्रीय समिति के सदस्य रामनारायण कुररिया ने बताया कि यह विरोध कार्यवाही दो महीने तक पूरे मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल में चले सघन अभियान के समापन के रूप में हुई थी।

मप्र आदिवासी एकता महासभा के अध्यक्ष बुद्धसेन सिंह गोंड की अध्यक्षता में यादगारे शाहजहानी पार्क में दिन भर चले इस धरने में अलग अलग जिलों से आये आदिवासियों ने अपनी व्यथा और पीड़ा सुनाई। महाकौशल, विन्ध्य, मालवा से निमाड़ होते हुए चम्बल तक के आदिवासियों की समस्याएं एक जैसी थीं। वे जिन इलाकों में रहते हैं वहां के जंगल, जमीन और जल स्रोत बड़ी-बड़ी कंपनियों के हवाले किये जा रहे हैं। जिन जमीनों पर आदिवासी पीढ़ियों से काबिज हैं, इनमे काफी जमीन के पट्टे भी उनके पास हैं मगर वहां से भी उन्हें बेदखल किया जा रहा है। बहुमत आदिवासी बहुल गाँवों में बिजली नाम के वास्ते आती है- सभी गाँव और बसाहटें पीने और निस्तार दोनों तरह के पानी के लिए मोहताज है।

करीब दो दर्जन आदिवासी प्रतिनिधियों ने इस धरने में बोला और सभी ने बताया कि सिर्फ वनाधिकार क़ानून का ही मखौल नहीं बनाया गया, मनरेगा का रोजगार गारंटी क़ानून भी मजाक बनकर रह गया है-क़ानून के हिसाब से 100 दिन का काम तो मिल ही नहीं रहा जो काम हो भी रहा है उसे सख्त कानूनी प्रतिबन्ध के बाद भी मशीनों से कराया जा रहा है। पंचायत से लेकर जिला कार्यालयों तक हर स्तर पर भ्रष्टाचार की लूट है और नतीजे में चाहें 5 किलो राशन हो या नकद राहत के भुगतान सभी योजनायें ठप पड़ी हैं। वृद्धा, विकलांग, असहायों की राहत योजनायें तो नाम के लिए भी नहीं बची हैं।

इस धरना प्रदर्शन के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज तथा आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच के सह संयोजक दुलीचंद मीणा थे। उन्होंने आदिवासियों को निशाना बनाकर किये जा रहे दमन और उन्हें नागरिक की बजाय प्रजा बनाने की मुहिम को कॉरपोरेट घरानों की अकूत कमाई करवाने के साथ सत्ता पार्टी के राजनीतिक एजेंडे का भी हिस्सा बताया। उन्होंने प्रदेश सरकार से इन सब पर तत्काल रोक लगाये जाने की मांग के साथ साथ उनके विकास के लिए विशेष बजट आवंटन किये जाने और बिना ग्राम सभाओं की अनुमति लिए भूमि अधिग्रहण न किये जाने की मांग भी की। धरने में आये आदिवासियों द्वारा उठाई गयी ठोस समस्याओं के समाधान की भी मांग की।

धरने की सभा को आदिवासी एकता महासभा के अध्यक्ष बुद्धसेन सिंह गोंड, महासचिव लालता प्रसाद कोल, कार्यकारी अध्यक्ष कांतिलाल निनामा, कोषाध्यक्ष तेज कुमार तिग्गा, कुमारी कला डामोर, रामनारायण कुररिया, मध्यप्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष अशोक तिवारी, महासचिव अखिलेश यादव ने भी संबोधित किया। सीटू के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव प्रमोद प्रधान, जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्षा नीना शर्मा, छात्रनेता दीपक पासवान सहित अनेक ने आदिवासियों के साथ एकजुटता व्यक्त की। एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने राजभवन जाकर ज्ञापन दिया।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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