गांधी विचार को खत्म करने की कोशिश मानवता के प्रति द्रोह है: विश्वजीत घोडोई

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वाराणसी। ‘न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह’ आज अपने 13 वें दिन में पहुंच गया। पश्चिम बंगाल सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष विश्वजीत घोडोई सर्व सेवा संघ की ओर से प्रतिनिधि सत्याग्रही के रूप में उपवास पर बैठे हैं। परिसर मुक्ति आंदोलन को नैतिक बल प्रदान करने के लिए पश्चिमी वर्धमान जिले के राजेंद्र शाह भी साथ में उपवास पर बैठे हैं।

गांधी विचार से विश्वजीत घोडोई का पहला परिचय पश्चिम बंगाल सर्वोदय मंडल द्वारा 1982 में आयोजित समर कैंप में हुआ। उस समय वे 20 वर्ष के थे और कॉलेज में पढ़ रहे थे। कॉलेज की शिक्षा पूरा करने के बाद वे राजस्थान के जोधपुर में रचनात्मक कार्यक्रम से संबंधित 6 महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

अपनी वैचारिक जमीन मजबूत करने के बाद उन्होंने बेल्दा के श्रम विद्यापीठ तथा सार्विक ग्राम विकास केंद्र में काम किया। व्यावहारिक अनुभव अर्चित करने के पश्चात 1986 में उन्होंने बोआलिया में सार्विक ग्राम उन्नयन संघ की स्थापना की, जिसका कार्य क्षेत्र मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल का मिदनापुर जिला है।

वे इस संस्था के जरिए चेतना जागरण का कार्य कर रहे हैं। यह काम वो विद्यालय और वोकेशनल ट्रेनिंग के द्वारा कर रहे हैं। वे एक आंखों का अस्पताल भी संचालित कर रहे हैं।

आंदोलन समिति के संयोजक डॉक्टर विश्वजीत ने कहा कि सर्व सेवा संघ परिसर को नष्ट करने के पीछे लोकतांत्रिक स्पेस के एक केंद्र को खत्म करना भी है। सर्व सेवा संघ का यह परिसर सभी जनतांत्रिक शक्तियों के लिए सहज उपलब्ध था।

यह न केवल भूदान और गांधी विचार के प्रकाशन का स्थान रहा है बल्कि कई सामाजिक गतिविधियां यहां से संचालित होती रही हैं। लेकिन सत्ता के मद में चूर होने वालों का दावा है कि इस केंद्र से देश विरोधी गतिविधियां चलती थीं।

यह कितने आश्चर्य की बात है कि देश के लिए एक कतरा खून या पसीना न बहाने वाले, अंग्रेजों के पैरोकार, माफी मांग कर पेंशन लेने वाले, आज देशभक्ति का प्रमाण पत्र बांट रहे हैं। हम इनके आरोपों से घबराने वाले नहीं हैं, हम शांति, धैर्य और सत्याग्रह से सामना करेंगे।

उपवास पर बैठे विश्वजीत कहते हैं कि गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण का वाराणसी स्थित सर्वोदय साधना केंद्र, देश का एक जाना-माना सर्वोदय आश्रम रहा है। इसको सरकार ने गलत तरीके से कब्जा किया है।

जिन लोगों ने इस देश को आजाद कराया, आज की सरकार उनकी ही संपत्ति को कब्जा कर लेना चाहती है। संस्थान को खत्म करने का प्रयास गलत है। गांधी विचार को खत्म करने की कोशिश तो मानवता के प्रति द्रोह है। मैं इसकी निंदा करता हूं तथा इस आंदोलन में खुद को हिस्सेदार मानता हूं।

सुबह 6 बजे प्रारंभ सत्याग्रह शाम 6 बजे सर्व धर्म प्रार्थना के साथ संपन्न हो गया। आज के सत्याग्रह में चंदन पाल, अरविंद कुशवाह, अशोक मोती, ध्रुव भाई, अनूलेखा पाल, रमेश कुमार सिंह, राधेश्याम, विद्याधर, नंदलाल मास्टर आदि शामिल हुए।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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