जब कोई शासन सत्ता के मद में चूर हो जाता है तो उसका विवेक मर जाता है: दिनेश केवट

Estimated read time 1 min read

वाराणसी। न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह।

गांधी विरासत को बचाने के लिए राजघाट परिसर, वाराणसी के सामने चल रहे सत्याग्रह का कल 49 वां दिन था। आज इस सत्याग्रह का मध्यांतर होगा अर्थात 50 दिन पूरे हो जाएंगे। इस सत्याग्रह में अब तक उड़ीसा, झारखंड,पश्चिम बंगाल, बिहार,उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों की प्रत्यक्ष भागीदारी हो चुकी है।

इसके अलावा जिन समविचारी संगठनों ने इसमें अपनी भागीदारी निभाई है उनमें लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, लोक समिति आश्रम, लोक चेतना समिति, मजदूर किसान परिषद, समाजवादी जन परिषद ,राष्ट्रीय युवा संगठन, राष्ट्रीय लोक समिति आदि प्रमुख हैं।

आज सत्याग्रह में उपवास पर बैठने वाले मध्य प्रदेश, अनूपपुर जिले के अंतिम छोर में बसे गांव पचखुरा के युवा साथी दिनेश केवट हैं। वे सामाजिक कार्यकर्ता हैं और युवा प्रकोष्ठ, सर्व सेवा संघ के सदस्य के रूप में सक्रिय हैं।

दिनेश संयुक्त किसान मोर्चा एवं किसान संघर्ष समिति के साथ किसानों के स्थानीय मुद्दों को लेकर लगातार युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर बसे गांव की भागीदारी आज के सत्याग्रह में हो रही है।

वहां से इनके साथ, पिंकी सिंह, जो सरपंच पद पर हैं और साथ ही महिला स्वसहायता समूह की संघटक हैं। वे स्थानीय महिलाओं में आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करने और जन जागरूकता निर्माण का प्रभावशाली काम कर रही है।

उनकी सहयोगी चंद्रावती यादव प्राइवेट विद्यालय की शिक्षिका है जो बच्चों को अध्ययन- अध्यापन के लिए प्रेरित करती रहती हैं। ये सभी साथी गांधी विचार को अपने क्षेत्र में लगातार जन-जन तक पहुंचने में लगे हुए हैं। सर्व सेवा संघ के युवा प्रकोष्ठ से संबद्ध इस पूरी टीम को युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक भूपेश भूषण साथ दे रहे हैं और वे भी उनके साथ सत्याग्रह में शामिल हैं।

सत्याग्रह पर बैठे सभी साथियों की मान्यता है कि सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर की स्थापना एक विचार केंद्र के रूप में हुई थी, जिसने देश और दुनिया में सद-विचार को फैलाया। पुस्तकों के जरिए और गंभीर शोध अध्ययनों के द्वारा भी। जब कोई शासन सत्ता के मद में चूर हो जाता है तो उसका विवेक मर जाता है।

हमारी विरासत सिर्फ भवनों में केंद्रित नहीं है। वह मानवता के विचारों में जीवित है। इसलिए किसी भी सत्ता के लिए उसे मिटा पाना असंभव है। भवन प्रतीक होते हैं और इसका भी महत्व है। हम मानवता के विचारों के प्रतीकों को इसीलिए संरक्षित रखना चाहते हैं, ताकि दुनिया उसे देखकर प्रेरित हो सके।

जब तक बापू की कुटी है तब तक आलीशान भवन शर्मिंदा होते रहेंगे क्योंकि वह विलास के प्रतीक हैं अहंकार की नुमाइश है। सर्व सेवा संघ परिसर को नष्ट कर वे इसी विलास और अहंकार को प्रदर्शित करना चाहते हैं।

आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता के अलावा वरिष्ठ गांधीवादी अलख भाई, सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, शक्ति कुमार,जागृति राही, सिस्टर फ्लोरिन, नंदलाल मास्टर, तारकेश्वर सिंह, सुरेंद्र नारायण सिंह, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, पूनम, पिंकी सिंह, चंद्रावती यादव, दुर्गा यादव, सहज उमंग सिंह सहित स्कूली बच्चों ने भी शामिल होकर अपना समर्थन दिया।

(सर्व सेवा संघ द्वारा जारी।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author