Friday, April 19, 2024

कवयित्री शोभा सिंह को मिला ‘पथ के साथी’ सम्मान

नई दिल्ली। वरिष्ठ कवयित्री शोभा सिंह को ‘पथ के साथी’ सम्मान दिया गया। ‘सिद्धांत फाउंडेशन’ ने यह सम्मान उन्हें प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के हाथों दिया। शोभा के दूसरे कविता संग्रह ‘यह मिट्टी दस्तावेज़ हमारा’ का लोकार्पण भी हुआ।

‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के दफ्तर में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मंगलेश डबराल ने कहा कि शोभा सिंह उन कवियों में हैं जो अपनी कविताओं की सार्थकता समाज में भी देखती रही हैं और समाज की सार्थकता को अपनी कविताओं में भी लाती रही हैं।

उन्होंने कहा कि शोभा सिंह की कविताओं की खूबी उनकी दृश्यात्मकता है। वे छोटे-छोटे दृश्यों के माध्यम से एक बड़ी टिप्पणी अपने समय पर, प्रकृति पर और पर्यावरण पर करती हैं, लेकिन इस दृश्यात्मकता में कथ्य दबता नहीं। उन्होंने आज के समय को अमानुषिक बताते हुए यह भी कहा कि ऐसे समय में शोभा सिंह की कविता एक मानवीय हस्तक्षेप की कोशिश है।

निर्णायक मंडल के सदस्य और वरिष्ठ कथाकार योगेंद्र आहूजा ने हेमिंग्वे की नोबेल स्पीच का जिक्र किया। इसमें उन्होंने लेखक के बोलने के बजाय लिख कर कहने पर ज़ोर दिया था। इस उल्लेख के बाद योगेंद्र ने कहा कि अब लेखकों और कवियों के लिए लिखना ही काफी नहीं है, दिखना भी उतना ही ज़रूरी है। दिखने ने लिखने को पछाड़ दिया है।

उन्होंने कहा, “आश्चर्य नहीं कि ऐसे वक्त में वे रचनाएं गुम हो जाएं जो अपनी बात धीमी आवाज में कहती हैं। एक सचेत तरीके से ये अति-मुखर, अति-वाचाल, हर जगह नजर आते लोग भाषा की अर्थवत्ता को नष्ट करते, साहित्य को प्रदूषित करते हैं। फिर भी वे नियंत्रक और नियामक हैं, क्योंकि वे सही वक्त और जगह पर दिखने का हुनर जानते हैं।”

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपने समय के सवालों से मुंह छुपा लेने का पक्ष नहीं लिया जा सकता। संकटग्रस्त समय में लेखक को कई बार लिखना रोक कर अपने एकांत से बाहर आना होता है।

शोभा जी की कविताओं पर बात करते हुए योगेंद्र आहूजा ने कहा कि उनकी कविताओं की दुनिया बहुत विस्तृत है जो आसपास से लेकर सुदूर अनुभव क्षेत्रों तक फैली हुई है।

संचालन कर रही रश्मि रावत ने शोभा सिंह को उन कवयित्रियों में बताया, जिनमें स्त्री चेतना और प्रगतिशील मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता दमदार ढंग से मौजूद है। शोभा सिंह को सम्मान स्वरूप एक स्मृति चिन्ह और 25 हजार रुपये की सम्मान राशि भेंट की गई है।

पुरस्कृत कवयित्री शोभा सिंह, ‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के राष्ट्रीय संयोजक और मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त बैजवाड़ा बिल्सन, अर्जेंटीना में रहने वाली शोभा सिंह की बहन प्रेमलता वर्मा और राज वाल्मीकि ने भी अपनी बात रखी। धन्यवाद ज्ञापन सिद्धांत फाउंडेशन की ट्रस्टी और कथाकार रचना त्यागी ने किया।

कोरोना महामारी को देखते हुए आयोजकों ने कार्यक्रम में केवल आयोजन से जुड़े कुछ लोगों, मुख्य अतिथि और सम्मानित कवयित्री और उनके परिवार के कुछ सदस्यों को ही आमंत्रित किया। बाकी लोग इसे फेसबुक लाइव पर देख सके। कार्यक्रम में अजय सिंह, भाषा सिंह, उपेंद्र स्वामी और मुकुल सरल भी मौजूद रहे।

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