Friday, April 19, 2024

अफ्रीका में रहने वाले भारतीय की अपील : भीड़ तंत्र को बढ़ावा देना ख़तरनाक

गुलशन’ गणेश कुमार

‘सोचिए, अगर यहाँ के लोग भी आप जैसी घृणा दिखाएँ तो हम भारतीय कहाँ जाएँगे?’

मित्रो,

कई बार कुछ घटनाएँ घट जाती हैं और आप सोच नहीं पाते कि ये क्या हो रहा है। ग्रेटर नोएडा में नाइजीरिया के लोगों पर हमला कुछ इसी तरह का है।

ख़बर है कि कोई गुमशुदा लड़का कुछ दिन बाद ड्रग के नशे की हालत में पाया गया। बाद में उसकी मृत्यु हो गई। कुछ लोगों ने सोचा कि ड्रग के व्यापार में नाइजीरिया के लोगो का हाथ होगा। प्रदर्शन के समय कुछ नाइजीरियाई दिखे और उग्र भीड़ उनपर बिना सोचे-समझे टूट पड़ी।

उनका गुनाह क्या था? भीड़ में जज कौन था? किसने उन्हें गुनहगार पाया? शायद कोई नहीं। कोई था तो वह थी हमारी मानसिकता। वो काले हैं, ग़रीब मुल्क से हैं, हमारे देश में नशे का व्यापार करते है, सोच बैठे। बस इतना काफ़ी है हमें कानून-व्यवस्था हाथ में लेने के लिए!

मेरे अनुभव

आइए कुछ अनुभव साझा करता हूँ। मैं करीब 14 वर्षों से भारत से बाहर हूँ। जिसमे 5 वर्ष खाड़ी के मुल्क, दो वर्ष इंडोनेशिया, 5 वर्ष नाइजीरिया, 2 वर्ष घाना और अभी कुछ महीनों से तंज़ानिया में हूँ।

अफ्रीकी मुल्कों में कितने भारतीय नागरिक हैं इसका आँकड़ा तो मेरे पास नहीं है, मगर जो मैंने देखा-सुना उसके हिसाब से यदि अफ्रीकी अर्थव्यवस्था या समाज से भारतीय निकाल दिए जाएँ तो यहाँ का एक काफ़ी बड़ा हिस्सा खाली हो जाएगा।

लागोस जो नाइजीरिया के व्यवसाय का केंद्र है वहाँ लाखों भारतीय व्यवसाय या नौकरी के लिए रहते हैं। उनके मंदिर हैं, स्कूल हैं, दुकाने हैं, फैक्ट्रियाँ हैं, ट्रेडिंग कारोबार हैं।

पूर्वी अफ्रीका में युगांडा, तंज़ानिया, केन्या में तो भारतीय पीढ़ियों से रह रहे हैं।

दार-ए-सलाम, यह तंज़ानिया का एक बड़ा शहर है. जहाँ मैं हूँ, वहाँ से थोड़ी दूर पर एक गुरुद्वारा, एक मंदिर और एक मस्जिद है। बरसों पुराने भवन हैं जो भारतीयों के नाम से है।

सोचिए अगर यहां के लोग भी आप जैसी घृणा दिखाएँ तो हम भारतीय कहाँ जाएँगे?

कई बार ऐसे भी जोड़े मिलते है जिनमें एक जीवन साथी अफ्रीकी है और दूसरा भारतीय। साऊथ अफ्रीका वही है जहाँ से गाँधी अपना सघर्षशील जीवन शुरू करते हैं और विश्व के पटल पर अमिट हस्ताक्षर बनते हैं।

इन 7-8 वर्षों के अफ्रीका प्रवास में मुझे कहीं नहीं लगा कि ये समाज हमसे किसी तरह का भेदभाव रखता है। अगर भेदभाव रखता तो शायद इतनी अबादी भारतीय लोगों की यहाँ न रह पाती।

अब ज़रा सोचिए जिस नाइजीरया के लोगों को आप ने अपनी नस्लीय सोच के कारण पीट दिया अगर वही उत्तर हम भारतीय लोगों को नाइजीरिया में मिले तो कैसा लगेगा?

आस्ट्रेलिया में भारतीयों के प्रति जो रंगभेद की घटनाएँ होती हैं, अभी हाल में अमेरिका में जो घटनाएँ हुई हैं, उनको अगर आप बुरा कहते हैं तो आपने खुद जो किया उसको आप किस श्रेणी में रखेंगे?

यदि आपको ऐसा लगता ही था कि कोई नाइजीरयाई/अफ्रीकी ड्रग्स या भारतीय युवक की मौत के लिए दोषी है तो उसके खिलाफ पुलिस में केस दर्ज करवाते और सरकारी मशीनरी को अपना काम करने देते।

यदि सरकारी मशीनरी अपना काम नहीं करती तो उस पर न्याय के लिए दबाव बनाते। मगर आप जज, पुलिस सब बन गये। ध्यान रखिए भीड़ तंत्र को बढ़ावा देना ख़तरनाक है।

अगर हम-आप ऐसे ही कारनामे अंजाम देते रहे तो “काले गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है…”, इस गीत पर हम इतरा नहीं सकते।

हमारे पूर्वज कुछ संस्कार दे गये- “वसुधैव कुटुम्बकम”, “अतिथि देवो भव” इनको तो गंगा में प्रवाहित करना पड़ेगा!

विश्व गुरु बनने का सपना अगर आप देख रहे हैं तो उस समाज का नेतृत्व कैसे करेंगे जिससे आप इतनी नफ़रत करते है? फिर तो आप विश्वगुरु बन कर दुनिया को राह दिखाने की जगह उसे सदियों पीछे के बर्बर समाज मे भेज रहे हैं!

इधर कई दशकों से “ग्लोबल विलेज” की अवधारणा चल रही है, आप उसमें खुद को खड़ा न पाएँगे।

घटनाएँ यहाँ भी होती हैं उनमें भारतीयों का भी नुकसान होता है। मगर उन घटनाओं के पीछे नस्लभेद नहीं बल्कि चोरी-डाका मकसद होता है। चूँकि ग़रीबी यहाँ भी चरम पर है इसलिए इस किस्म की घटनाएँ होती हैं। और फर्ज़ कीजिए की कहीं नस्ल भेद की घटना भारतीयों के खिलाफ होती ही है तो उसका पुरजोर विरोध होना चाहिए न कि उसी तरह की घटना को अंजाम दिया जाना चाहिए।

अंत मे गुज़ारिश है, ज़रा सोचिए आपने इस घटना से अफ्रीकियों के मन किस तरह का स्थान बनाया है? जब किसी अफ्रीकी को भारत आने को कहा जाएगा  भारत की कौन सी तस्वीर उस के मन मे होगी। साथियों एक बात ध्यान रहे कि विज्ञान का नियम है – प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, और यह नियम सामाजिक विज्ञान के लिए भी लागू होता है।

आपका साथी

‘गुलशन’ गणेश कुमार

दार-ए-सलाम, तंज़ानिया

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।

Related Articles

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।