Friday, April 19, 2024

सीबीआई अफसर बस्सी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, कहा- अस्थाना की हो एसआईटी से जांच

जनचौक ब्यूरो

नई दिल्ली। सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाले सीबीआई अफसर एके बस्सी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की एसआईटी से जांच कराने की मांग की है।

गौरतलब है कि बस्सी सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के डिप्टी थे और 24 अक्तूबर को उनका अंडमान के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया था। ये फैसला सीबीआई के नए प्रभारी नागेश्वर राव ने किया था जिन्हें आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद अंतरिम तौर पर सीबीआई डायरेक्टर का कामकाज संभालने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही इस याचिका में बस्सी ने अपने तबादले को भी चुनौती दी है।

लाइव लॉ पोर्टल के मुताबिक उन्होंने दावा किया है कि उनके पास अस्थाना के खिलाफ ह्वाट्सएप संदेश से लेकर फोन काल समेत कई तरह के प्रमाण हैं। अस्थाना के खिलाफ आरोप है कि मीट एक्सपोर्टर मोईन कुरैशी के मामले की जांच को कमजोर करने के लिए उन्हें घूस दिया गया था। और इस काम को कुरैशी के सहयोगी सतीश साना के जरिये कराया गया था। इसके साथ ही अस्थाना ने साना के बयानों को तोड़मरोड़ कर पेश करने के जरिये वर्मा के खिलाफ फर्जी तरीके से केस बनाने की कोशिश की।

संयोगवश एनजीओ कॉमन काज ने भी अस्थाना के खिलाफ एसआईटी जांच की अर्जी दी है। साथ ही उसने उस पृष्ठभूमि की भी जांच करने की मांग की है जिसके चलते आलोक वर्मा के खिलाफ ये अभूतपूर्व कदम उठाया गया।

बस्सी ने अपनी याचिका में मोईन कुरैशी मामले में अस्थाना से जुड़े भ्रष्टाचार को विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया कि 4 अक्तूबर 2018 को सतीश बाबू साना जो मोईन कुरैशी मामले में एक आरोपी है, ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए सीबीआई से संपर्क किया। जिसमें राकेश अस्थाना के नेतृत्व में चल रही मोइन कुरैशी मामले की जांच के संबंध में उसकी कुछ गंभीर शिकायतें थीं। उसके बाद नई दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत उसका बयान दर्ज किया गया। उसकी एक सर्टीफाइड कापी बस्सी ने कोर्ट में भी जमा किया।

बस्सी के मुताबिक सतीश के पूरे बयान का सार ये था कि मोईन कुरैशी केस में उसे जबर्दस्त तरीके से प्रताड़ित किया गया। और मामले में राहत हासिल करने के लिए उसने अवैध तरीके से घूस दिए। उसने विशेष रूप से राकेश अस्थाना का नाम लेते हुए कहा कि उनकी तरफ से मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद करोड़ों रुपये हासिल किए। इस पूछताछ के बाद 15 अक्तूबर 2018 को सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना, सीबीआई के डीएसपी देवेंदर कुमार के अलावा प्राइवेट पर्सन मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के खिलाफ संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए। जिसमें प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट, 1988 से लेकर सेक्शन 120बी समेत कई धाराएं शामिल थीं। मामले की जांच के लिए बस्सी को आईओ के तौर पर नियुक्त किया गया।  

मनोज प्रसाद को 17 अक्तूबर 2018 को सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। वो इस समय पुलिस की कस्टडी में है। डीएसपी देवेंदर कुमार को 22 अक्तूबर 2018 को गिरफ्तार किया गया।

उसके बाद सतीश बाबू साना का फिर साकेत कोर्ट की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शीतल चौधरी प्रधान के सामने धारा 164 के तहत बयान दर्ज किया गया। इस बयान में साना ने चौंकाने वाले खुलासे किए। बस्सी के मुताबिक जांच में पाया गया कि घूस की मांग और उसका हासिल किया जाना दो अलग-अलग दौरों दिसंबर 2018 और अक्तूबर 2018 में हुआ। दिसंबर 2017 के दौरान 2.95 करोड़ रुपये हासिल किए गए जबकि अक्तूबर 2018 में हासिल की गयी ये रकम 36 लाख थी। इस तरह से पांच बार घूस अस्थाना के नाम से प्रसाद भाइयों द्वारा लिए गए।

बस्सी के मुताबिक जांच में एक दूसरे उच्च पदस्थ नौकरशाह सामंत गोयल का भी नाम सामने आया। जो मौजूदा समय में रॉ के स्पेशल सेक्रेटरी हैं। जांच में ये बात सामने आयी कि अवैध रूप से दिए गए घूस की शिकायत और जारी समन के बीच निश्चित लिंक है।

12.10.2017, 23.10.2017, 01.11.2017 और 30.11.2017 को लगातार सम्मन भेजे जाते रहे। इसके नतीजे के तौर पर 5 करोड़ रुपये केस से राहत पाने के लिए देना तय हुआ। 10 और 13 दिसंबर 2017 को 3 करोड़ रुपये घूस के तौर पर दे दिए गए। उसके बाद सम्मन आने बंद हो गए। लेकिन फिर बाकी 2 करोड़ रुपये के लिए दबाव बना रहा। ह्वाट्सएप मैसेज में इसके प्रमाण हैं।

फिर 19.02.2018 को नोटिस मिली। हालांकि साना मनोज प्रसाद से मिलने दुबई गया। उसके बाद फिर 1.10.2018, 3.10.2018 और 09.10.2018 को सम्मन जारी किए गए। साना ने मनोज प्रसाद से एक बार फिर संपर्क किया और उसने बाकी 2 करोड़ देने के क्रम में राहत देने की बात की। इस कड़ी में 10.10.2018 को 25 लाख रुपये दिए गए। उसके बाद आज तक कोई सम्मन नहीं भेजा गया। मनोज प्रसाद बाकी पैसों को लेने के लिए भारत आया।

ऊपर दिये गए ब्योरे तब के आईओ द्वारा जारी की गयी नोटिसों और मनोज प्रसाद के मोबाइल हैंडसेट से हासिल किए गए संदेशों पर आधारित हैं।

बस्सी के मुताबिक मनोज प्रसाद ने मार्च 2017 तक अपने मोबाइल से कई मैसेज डिलीट नहीं किए थे। उनमें बहुत सारों में से आज के लिहाज से कई बहुत प्रासंगिक हैं। जो नीचे दिए गए हैं:

1- 06.12. 2017 को सोमेश ने मनोज से पेमेंट लेने के लिए कहा जिससे वो उन्हें कंफर्म कर दे कि उसने 10 हासिल कर लिए।

2- 03.01.2018 को सोमेश ने मनोज से सतीश पर ये कहकर दबाव डालने के लिए कहा कि वो उनसे पंगा नहीं ले सकते हैं…..बहुत शक्तिशाली हैं।

3- 05.01.2018 को एक अनजान शख्स का मैसेज है जो कहता है कि वो अभी बॉस के साथ मीटिंग में है और मौजूदा स्थिति से बॉस खुश नहीं हैं। बहुत ज्यादा राहत दे दी गयी और वो क्या चाहता है।

4- 24.01.2018 को सोमेश के लिए एक मैसेज है। दो महीने बीत जाने के बाद भी पैसे नहीं पहुंचे।

5- मनोज औऱ सोमेश के बीच अक्तूबर 2018 में ढेर सारे मैसेज हैं। जिसमें आईओ द्वारा धारा-160 के तहत 09.10.2018 को जांच में भाग लेने के लिए जारी की गयी नोटिस की फोटो भी शामिल है। साथ ही 25.10.2018 तक राहत हासिल करने का निवेदन भी है।

6- उसके बाद सोमेश जानना चाहता है कि डिलीवरी के मामले में क्या हुआ।

7- 09.10.2018 को सोमेश ने हासिल करने वाले एक शख्स के मोबाइल नंबर के साथ एक रुपये के नोट की फोटो भेजा है।

इस मामले में सीबीआई ने टेक्निकल सर्विलांस की भी जांच किया और सीडीआर के रिकार्ड भी उसके पास हैं। 16.10.2018 को जैसे ही मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी की खबर आयी तो सोमेश ने तुरंत सामंत गोयल को फोन किया। जिसने राकेश अस्थाना को फोन किया। जिसके रिकार्ड नीचे दिए गए हैं:

बस्सी की याचिका के मुताबिक सोमेश प्रसाद का फोन सर्विलांस पर था। सोमेश और सामंत गोयल के बीच कुछ निश्चित बातचीत हुई है। साथ ही सोमेश ने अपने ससुर सुनील मित्तल से भी बात की है। उसके कुछ हिस्से नीचे दिए गए हैं:

1- सोमेश ने सुनील मित्तल को बताया कि 

ए- अस्थाना तो अपना आदमी है।

बी-मनोज अस्थाना से 3-4 बार मिल चुका है।

सी- केस दर्ज होने के बाद सामंत भाई ने अस्थाना से मुलाकात की है।

डी- सामंत भाई अस्थाना के बहुत नजदीक हैं।

2- सामंत गोयल ने सोमेश को बताया कि

ए- भारत किसी भी कीमत पर मत आओ।

बस्सी के मुताबिक सीबीआई के साथ इसकी पूरी ट्रांसस्क्रिप्ट मौजूद है इस बात की पूरी आशंका है कि उन्हें रिकार्ड से हटा दिया जाए।

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