Friday, April 19, 2024

असद एनकाउंटर: पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर के 12 सवाल, NHRC से की शिकायत

असद अहमद और गुलाम मोहम्मद के एनकाउंटर पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मामले की शिकायत की गयी है। ये शिकाय़त अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने की है। अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और उसके साथी गुलाम मोहम्मद को कल एसटीएफ की टीम ने एनकाउंटर में मार दिया था। अमिताभ ठाकुर ने डिप्टी एसपी एसटीएफ, नवेंदु कुमार की तरफ से थाना बड़गांव, झांसी में दर्ज कराए गए तीन एफआईआर और एसटीएफ की तरफ से जारी मौके की तस्वीरों के आधार पर संदेह जताया है, जिसे उन्होंने 12 अलग-अलग बिंदुओं में बांटा है।

उन्होंने कहा है कि सारे बिंदु एनकाउंटर की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। इन बिंदुओं में एफआईआर में मौके पर असद और गुलाम के जिंदा रहने के एसटीएफ के दावे, मौके पर दोनों के शरीर की पोजीशन, खुद घटनास्थल की स्थिति, घटनास्थल पर पाए गए मोटरसाइकिल की स्थिति, मृतकों द्वारा पिस्तौल के पकड़े जाने की स्थिति के आधार पर रखे गए सवाल शामिल हैं। अमिताभ ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा है कि कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को मारने का अधिकार नहीं है और किसी भी व्यक्ति की जान मात्र न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार ही ली जा सकती है।

किसी व्यक्ति के दुर्दांत अपराधी होने के नाम पर उसे मारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे हालात पर अंकुश नहीं लगाया गया तो व्यवस्था पूरी तरह अराजक हो जाएगी। उन्होंने झांसी में दर्ज तीन एफआईआर और मौके की तस्वीरों के आधार पर 12 अहम सवाल उठाये हैं-

सवाल नंबर 1- मौके पर मौत हुई या अस्पताल में?

एफआईआर में दावा किया गया है कि जब मुठभेड़ खत्म हुई, उस समय तक असद और गुलाम मोहम्मद जिंदा थे। इसके ठीक उल्टा एसटीएफ की ओर से जारी फोटोग्राफ से साफ लगता है कि मौके पर असद और गुलाम मोहम्मद की मौत हो चुकी थी। वह फोटोग्राफ मृत व्यक्तियों के थे, ना कि दर्द से कराह रहे व्यक्तियों के, जैसा एफआईआर में दावा किया गया है। इससे एफआईआर में मुठभेड़ खत्म होने के बाद असद और गुलाम मोहम्मद के जिंदा होने और उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल भेजे जाने का दावा झूठा दिखता है।

सवाल नंबर 2- मोटरसाइकिल के नीचे कैसे गिरा असद?

इसी तरह असद से जुड़े एक फोटो में उसे जिस पोजीशन में दिखाया गया है, उसमें वह मोटर साइकिल के हैंडल के नीचे पड़ा है। यह किसी भी हालत में संभव नहीं है कि कोई आदमी गिरने के बाद पहले से गिरे पड़े मोटर साइकिल के हैंडल के नीचे आ जाए। अगर वह मोटरसाइकिल पर गिरेगा तो उसका शरीर मोटरसाइकिल के ऊपर होगा, न कि मोटर साइकिल के हैंडल के नीचे। इसलिए ये स्थिति भी शक पैदा करने वाली है।

सवाल नंबर 3- बंद मुठ्ठी में पिस्तौल कैसे?

इसी फोटो में असद के हाथ में बंद मुट्ठी में पिस्टल दिखाया गया है, जो मेडिको लीगल सिद्धांत से सही नहीं जान पड़ता है क्योंकि मेडिको लीगल सिद्धांत के अनुसार घायल होते ही उसके हाथ से पिस्तौल नीचे गिर गयी होती।

सवाल नंबर 4- असद के बगल में किसकी परछाईं?

असद के इस फोटोग्राफ में उसके ठीक बगल में एक खाली पिस्टल दिख रही है और एक परछाईं दिख रही है, जो साफ नहीं हो रही है कि किसकी परछाईं है। यह परछाईं भी घटना के असली होने पर सवाल खड़े कर रही है।

सवाल नंबर 5- गुलाम की तस्वीर से पिस्तौल गायब कैसे?

एक दूसरे फोटोग्राफ, जिसमें असद के ठीक बगल में गुलाम मोहम्मद दिख रहा है, में वह पिस्टल नहीं दिख रही है। इससे ऐसा लगता है कि मौके को बनाने के लिए अलग-अलग तरह से कोशिशें की गई हैं और इस दौरान एसटीएफ के लोगों ने लगातार तस्वीरें ली हैं।

सवाल नंबर 6- गुलाम के हाथ में पिस्तौल संभव नहीं

फोटो में जिस तरह से गुलाम मोहम्मद के हाथ में पिस्तौल है वह मेडिको लीगल सिद्धांत के अनुसार संभव नहीं हो सकता है।

सवाल नंबर 7- गुलाम के चप्पल की पोजीशन अलग कैसे?

गुलाम मोहम्मद के चप्पल की पोजीशन भी अलग-अलग फोटो में अलग-अलग दिख रही है, जो इस पूरे घटनाक्रम को शक के घेरे में खड़ा करता है।

सवाल नंबर 8- मौके के आस-पास बबूल की झाड़ क्यों नहीं?

एफआईआर में डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार ने दावा किया है कि मोटरसाइकिल फिसल कर बबूल के झाड़ में गिर पड़ी, जिसके बाद दोनों ने जमीनी आड़ लेकर फायरिंग शुरू की। इसके ठीक उल्टा मौके की स्थिति से साफ दिखता है कि घटनास्थल कच्ची सड़क के ठीक बगल में है। कच्ची सड़क ऊपर है और घटनास्थल नीचे है। घटनास्थल बिल्कुल खुली जगह है जहां कोई भी आड़ नहीं है। साफ है कि वहां से कोई आड़ लेकर फायरिंग नहीं कर सकता था। इसके उल्टा पुलिस वाले एक सुरक्षित पोजीशन में थे। इसलिए एफआईआर की यह बात भी सही नहीं लगती है।

सवाल नंबर 9- फोटो में फिसलन के निशान क्यों नहीं?

मौके की फोटोग्राफ में कहीं से भी स्लिप करने या फिसलन के कोई निशान नहीं है, जो मोटरसाइकिल फिसलने के दावे को गलत बताते हैं।

सवाल नंबर10-  मोटरसाइकिल के टायर बिल्कुल साफ कैसे?

मोटरसाइकिल के टायर बिल्कुल साफ हैं और उस पर धूल-मिट्टी के निशान नहीं हैं।

सवाल नंबर 11- एफआईआर 11 घंटे बाद क्यों दर्ज कराई गई?

एफआईआर के मुताबिक मुठभेड़ 12:55 बजे दिन में खत्म हो गई थी लेकिन नरेंद्र कुमार ने एफआईआर रात में 11:55 बजे मतलब मुठभेड़ खत्म होने के 11 घंटे बाद कराई, जो अपने आप में शक पैदा करता है।

सवाल नंबर 12- न्यूज और एफआईआर के समय में अंतर कैसे?

न्यूज़ चैनलों ने लगभग 1:00 बजे दिन में इनके मारे जाने की खबर दिखाई जबकि एफआईआर के अनुसार उस समय तक दोनों बदमाश जिंदा थे और उन्हें अस्पताल भेजा जा रहा था। यह बात भी घटना की सच्चाई पर संदेह पैदा करता है।

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