Thursday, March 28, 2024

सांस चेक करने के बहाने बृजभूषण ने छुए ब्रेस्ट और पेट: 2 पहलवानों ने दर्ज कराए बयान

नई दिल्ली। महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न और दुराचार के मामले में दो महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराया है। इसमें टूर्नामेंट के दौरान वार्म-अप और यहां तक कि नई दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के कार्यालय में भी छेड़छाड़, बैड टच और शारीरिक संपर्क की कई घटनाएं शामिल हैं।

ये शिकायत नई दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में 21 अप्रैल को दर्ज कराई गई थी। दोनों पहलवानों की तरफ से दर्ज कराए गए दो अलग-अलग शिकायतों में कम से कम आठ घटनाओं की लंबी सूची है। दोनों महिला पहलवानों ने अपने बयान में बताया है कि कैसे बृजभूषण शरण सिंह ने उनके सांस लेने के पैटर्न की जांच करने के बहाने उन्हें गलत तरीके से छुआ।

शिकायतों के मुताबिक सिंह का डब्ल्यूएफआई के रूप में प्रभाव है। शिकायतकर्ता पहलवानों का कहना है कि उनका मानसिक और शारीरिक शोषण किया जाता था। लेकिन उन्हें डर था कि अध्यक्ष होने के नाते वे उनके करियर को खत्म कर सकते हैं और इसी डर के करण इन्होंने पहले कुछ नहीं कहा। अपनी शिकायत में, रेसलर 1 (पहचान छिपाने के लिए उसका नाम छिपाया गया है) ने सिंह के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न की कम से कम पांच घटनाओं को दर्ज करवाया है।

उन्होंन अपने बयान में कहा है कि साल 2016 में एक टूर्नामेंट के दौरान जब वे लोग एक रेस्तरां में थे, जब सिंह ने कथित तौर पर उसके ब्रेस्ट और पेट को छूने के बाद उसे खाने के टेबल पर शामिल होने के लिए कहा। पहलवान 1 ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस घटना के बाद उसका खाने का मन नहीं हो रहा था और उसे रातों को नींद भी नहीं आ रही थी। वह बहुत परेशान थी। उसने आरोप लगाया कि सिंह ने इस तरह की हरकत साल 2019 में आयोजित एक और टूर्नामेंट में भी की।

ये भी कहा जा रहा है कि सिंह ने पहलवान 1 को नई दिल्ली में 21, अशोक रोड स्थित अपने एमपी बंगले के भीतर डब्ल्यूएफआई कार्यालय में बुलाया और वहां भी उसे गलत तरीके से छुआ। महिला पहलवान ने अपनी शिकायत में लिखा था कि सिंह ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी जांघों और कंधे को छुआ। जब उसे दो दिन बाद डब्ल्यूएफआई कार्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया, तो उसने उसके ब्रेस्ट को छुआ और यह कहते हुए कि वह उसके सांस लेने के पैटर्न की जांच करना चाहता है अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया।

साल 2018 में भी एक टूर्नामेंट के दौरान सिंह ने पहलवान 1 को लंबे समय तक कसकर गले लगाये रखा और एक अन्य टूर्नामेंट के दौरान, पहलवान 1 को उनके गले से बाहर निकलना पड़ा क्योंकि सिंह का हाथ उसके ब्रेस्ट के करीब था। दूसरी शिकायतकर्ता रेसलर 2 (पहचान छिपाने के लिए उसका नाम छिपाया गया है) ने आरोप लगाया है कि जब वह वार्म अप कर रही थीं, तो सिंह ने 2018 में उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी प्रशिक्षण जर्सी उठा ली और यह कहते हुए उसके ब्रेस्ट और पेट को छुआ कि वह उसकी सांस पैटर्न जांच करना चाहता है। सिंह की इस हरकत से रेसलर सदमें में आ गई।

रेसलर 2 ने आरोप लगाया है कि दूसरी घटना एक साल बाद सिंह के अशोक रोड स्थित डब्ल्यूएफआई कार्यालय में हुई। जब उसने कार्यालय में प्रवेश किया, तो सिंह ने उसे अपने करीब खींच लिया और उसे टटोलने की कोशिश की। सिंह ने कथित तौर पर रेसलर 2 के साथ अपने कार्यालय में मोबाइल नंबरों का लेन-देन भी किया। संपर्क करने पर दोनों पहलवानों ने सिंह के खिलाफ अपनी शिकायतों पर कुछ कहने से इनकार कर दिया।

संयोग से इस हफ्ते की शुरुआत में इन दोनों पहलवानों ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दिल्ली पुलिस के सामने अपने बयान भी दर्ज कराए थे। इसी बीच बृजभूषण शरण सिंह लगातार अपने उपर लगे आरोपों को गलत और इसे एक राजनीतिक षड़यंत्र का हिस्सा और विरोधियों की साजिश बता रहे हैं जो उन्हें कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं।

देश के कुछ नामी-गिरामी पहलवान जिनमें ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक और दो बार की विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगट बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। नाबालिग महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी की शिकायत 21 अप्रैल को दर्ज की गई थी। लेकिन जब पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, तो पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इसके बाद, पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की। एक POCSO अधिनियम के तहत और दूसरी वयस्क महिला पहलवानों की शिकायतों के आधार पर। गुरुवार को, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहलवानों की इस याचिका पर विचार नहीं किया कि सिंह के खिलाफ चल रही पुलिस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें लगता है कि आगे के निर्देशों की जरूरत है तो वे क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट अदालत या दिल्ली उच्च न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र हैं। ये दोनों महिला पहलवान उन लोगों में शामिल थे, जो जंतर-मंतर में पहले विरोध प्रदर्शन के बाद जनवरी में खेल मंत्रालय की ओर से गठित ओवरसाइट कमेटी के सामने भी पेश हुए थे।

(द इंडियन एक्सप्रेस (6 मई) में प्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित।)

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