Friday, March 29, 2024

विपक्ष के 9 नेताओं ने पीएम को पत्र लिखकर सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग पर हल्ला बोला

अब आप चाहे इसे भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे के गठन की सुगबुगाहट कह लें या वृहद विपक्षी गठबंधन की कवायद सीबीआई और ईडी के खिलाफ विपक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सीबीआई और ईडी का गलत इस्तेमाल होने का आरोप लगाया है। विपक्ष ने कहा है कि इन कार्रवाईयों से जांच एजेंसियों की साख खराब हो रही है। विपक्ष के नेताओं ने लगातार गैर-बीजेपी सियासी दलों पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई को कटघरे में खड़ा किया है।

अभी पिछले दिनों रायपुर में सम्पन्न कांग्रेस अधिवेशन में देश के चोटी के वकीलों में शुमार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने विपक्षी दलों का आह्वान किया था कि सभी लाइक माइंडेड दलों का संवैधानिक गठबंधन बाद में आकार लेगा पर पहले चरण में समान विचारधारा वाले दल सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ सामूहिक रूप से हल्लाबोल करें और हल न होने पर न्यायपालिका के सामने अपनी आवाज उठाएं। इसकी शुरुआत 9 नेताओं के पत्र से हो चुकी है।

देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे जाने पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि बीजेपी सरकार सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर देश के लोकतांत्रिक बुनियाद को लगातार हिलाने की कोशिश कर रही है। भाजपा को जो भी विपक्षी दल मजबूत नजर आता है, उसके यहां सीबीआई-ईडी भेज देती है और उसके नेताओं को पकड़ कर जेल में डाल देती है।

आप नेता राघव चड्ढा ने कहा कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर देश में रोष है। एजेंसियों के बढ़ते दुरुपयोग के चलते सभी नेताओं ने एक साथ मिलकर प्रधानमंत्री को यह पत्र लिखा और अपील की कि सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर राजनीतिक बदले लेने का कार्य बंद हो।

उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर मोदी सरकार देश के विपक्ष को खत्म करने की कोशिश कर रही है। साजिश के तहत सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं पर ही सीबीआई-ईडी की रेड करवाई जा रही है। आज जिस तरह से पक्षपातपूर्ण तरीके से सरकारी एजेंसियां कार्रवाई कर रही है उससे देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है।

सीबीआई-ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक सीबीआई ने जितने भी मुकदमे दर्ज किए उसमें 95% सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ हुए। यूपीए के समय ईडी ने मात्र 112 जगहों पर रेड की थी। लेकिन मोदी सरकार के दौरान ईडी ने 3000 से ज्यादा जगहों पर रेड की है। अभी हाल ही में एक जानकारी सामने आई जिसमें बताया गया कि ईडी ने जितने भी मुकदमे दर्ज किए उसमें कनविक्शन रेट मात्र 0.05% है। मतलब कोर्ट में लगभग मुकदमे फर्जी साबित हुए। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपाल के हस्तक्षेप की भी चर्चा की और कहा कि केंद्र सरकार राज्यपाल के माध्यम से राज्य सरकार के रोजाना के कामकाज में दखल दे रही है। यह लोकतंत्र के लिए गलत संकेत है।

इस चिट्ठी में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भी निशाना साधा गया है। पत्र में लिखा गया है कि विपक्ष के जो नेता भाजपा में शामिल हो जाते हैं, उनके खिलाफ जांच धीमी गति से होती है। पत्र में राज्यपाल कार्यालय पर चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों के काम में दखल देने का आरोप भी लगाया गया है। कहा गया है कि राज्यपाल केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ती दरार का कारण बन रहे हैं। विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि केंद्रीय एजेंसियों की छवि खराब हो रही है। साथ ही उन्होंने इस पर चिंता भी जाहिर की है। पत्र में कहा गया है कि 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें गिरफ्तार करते समय उनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं दिखाए गए। 2014 के बाद से जिन नेताओं पर भी एक्शन हुआ है, उनमें से ज्यादातर विपक्ष के ही है।

बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री और आप नेता भगवंत मान, तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव, यूपी के पूर्व सीएम और सपा चीफ अखिलेश यादव, बिहार के डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला।

हाल ही में शराब घोटाले से जुड़े मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें पूछताछ के लिए 5 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया गया। रिमांड खत्म होने पर उन्हें एक बार फिर कोर्ट में पेश किया गया। उन्हें दोबारा 2 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया गया है।

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में नौ नेताओं ने कहा है कि विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग यह बताता है कि हमने एक लोकतंत्र के रूप में एक निरंकुशता की ओर बढ़े हैं।सिसोदिया के खिलाफ आरोप एकमुश्त आधारहीन हैं और इससे एक राजनीतिक साजिश की बू आती है। सिसोदिया की गिरफ्तारी को दुनिया भर में एक राजनीतिक बदले की कार्रवाई के उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाएगा और इससे आगे उस चीज की पुष्टि होगी जिस पर दुनिया केवल संदेह कर रही थी कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्य पर एक सत्तावादी भाजपा शासन के तहत हमला किया जा रहा है।

चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस, डीएमके और वामपंथी दलों के नेता शामिल नहीं हैं। पत्र में 2014 के बाद से केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई का भी ज़िक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि इसमें से ज्यादातर विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ थे और उसमें से जो बीजेपी में शामिल हुए थे, उन्हें कई मामलों में नामित होने के बावजूद छोड़ दिया गया था।

उदाहरण के लिए कांग्रेस के पूर्व सदस्य और वर्तमान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ़ सीबीआई और ईडी द्वारा 2014 और 2015 में शारदा चिट फंड घोटाले में जांच की गई थी। हालांकि, बीजेपी में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। इसी तरह टीएमसी के पूर्व नेता सुवेन्दु अधिकारी और मुकुल रॉय नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई की निगरानी में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद मामलों में प्रगति नहीं हुई। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महाराष्ट्र के नारायण राणे भी शामिल हैं। ‘पत्र में यह भी कहा गया है कि ये कार्रवाइयां ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ रहीं। इसमें कहा गया है कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें दर्ज किए गए मामले या गिरफ्तारी चुनावों के समय हुए। कहा गया कि इससे यह साफ़ हो गया कि वे मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित थे।

इससे पहले 20 फरवरी को छत्तीसगढ़ के कथित कोयला लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की थी। घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने कांग्रेस के कोषाध्यक्ष, विधायक समेत तमाम नेताओं के यहां छापे मारे थे। ये छापे ऐसे वक्त पर पड़े थे, जब छत्तीसगढ़ के रायपुर में 24-26 फरवरी तक कांग्रेस पार्टी का महाधिवेशन होना था।

ईडी ने एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे थे। इनमें कांग्रेसी नेताओं के घर भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, ईडी उन लोगों की जांच कर रहा है, जिन्हें मौजूदा सरकार में कथित कोयला लेवी घोटाले में लाभ मिला है। आरोप है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला हुआ है। इसमें वरिष्ठ नौकरशाह, व्यापारी, राजनेता और बिचौलियों के शामिल होने की आशंका है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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