Tuesday, April 23, 2024

अनिल अंबानी के एकाउंट्स फ्रॉड घोषित

कर्जा लो घी पियो के चार्वाक दर्शन पर आर्थिक उदारीकरण पूरी तरह से आधारित है, लेकिन एक बार कर्जे के किश्तों की अदायगी फेल होनी शुरू होती है तो बड़ी-बड़ी कम्पनियां डूबने लगती हैं और यही हाल अनिल अम्बानी के स्वामित्व वाली कम्पनियों का हो गया है। एक ओर मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कार्पोरेट सफलता के नित नये आयाम छू रही है वहीं मुकेश के छोटे भाई अनिल अम्बानी के स्वामित्व वाली रिलायंस लगातार डूबती जा रही है। अनिल अम्बानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम को कर्ज देने वाले बैंकों भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ने कंपनी (आरकॉम) और उसकी सहायक इकाइयों (रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल) के अकाउंट्स को फ्रॉड करार दिया है और अब बैंक कंपनी की सघन जांच कराना चाहते हैं।

अनिल अंबानी के अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) की कई कंपनियां बिक रही हैं, ऐसे में उनके लिए एक और मुश्किल खड़ी हो गई है। बैंकों के कंसोर्शियम ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशंस के बैंक अकाउंट को ही फ्रॉड करार दे दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड के बैंक अकाउंट को भी फ्रॉड करार दिया गया है। रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड आरकॉम की 100 फीसदी सब्सिडियरी है। बैंकों ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब हाल ही में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रिलायंस इंफ्राटेल के रेजोल्यूशन प्लान को मंजूरी दी है।

अनिल अंबानी को ये झटका तब लगा है, जब उनके ग्रुप की कंपनी रिलायंस इंफ्राटेल के रिजोल्यूशन प्लान को एनसीएलटी ने कुछ दिन पहले ही मंजूरी दी है। अनिल अंबानी के बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल के लिए रिजोल्यूशन प्लान दिया था, जिसे एनसीएलटी ने मंजूरी दे दी है। रिलायंस जियो की ओर से दिए गए रिजोल्यूशन प्लान के तहत रिलायंस जियो एक तरह से रिलायंस इन्फ्राटेल का अधिग्रहण कर लेगी, और रिलायंस इन्फ्राटेल के देश भर में 43,000 टावर और 1,72000 किलोमीटर तक बिछी फाइबर लाइन जियो को मिल जाएंगे।

रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आर काम ) के रिजोल्यूशन प्लान को मंजूरी का इंतजार है। लेंडर्स ने आरकॉम और टेलिकम्युनिकेशन लिमिटेड (आरटीएल) के रेजोल्यूशन प्लान को मंजूरी दे दी है। अब इन रिजोल्यूशन प्लान को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मंजूरी का इंतजार है। इन दोनों कंपनियों की बिक्री से बैंकों को 18000 करोड़ रुपए मिलेंगे।

दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू होने पर आरकॉम पर 46,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। मामले में 53 वित्तीय कर्जदाताओं ने 57,382 करोड़ रुपये का दावा ठोका है। घरेलू और विदेशी बैंकों, एनबीएफसी और फंडों के इन दावों पर समाधान अधिकारी ने 49,224 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी है। जांच में पाया गया कि मई 2017 से मार्च 2018 के दौरान तीन बड़ी एंट्री को सैकड़ों और हजारों लेनदेन के बीच दबाने का प्रयास किया गया।

गौरतलब है कि धीरूभाई अंबानी ने खुद के दम पर एक बिजनेस एम्पायर  बनाया था। 2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद कुछ सालों तक दोनों भाइयों, मुकेश और अनिल, ने साथ मिलकर काम किया और 2006 में लड़ाई की वजह से उन्होंने बिजनेस का बंटवारा कर लिया। 

अनिल अंबानी को टेलिकॉम इंडस्ट्री, रिलायंस एनर्जी, इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड फायनेंसI  और मुकेश अंबानी को पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल, रिफायनरी एंड आयल-गैस का बिजनेस मिला। अनिल अंबानी का काम अच्छे से चलने लगा और उन्होंने खूब कामयाबी पाई। 2008 में अनिल अंबानी की नेटवर्थ 42 बिलियन डॉलर हो गई, इसी के साथ वो दुनिया के छठे अमीर भी बन गए थे और उस समय अनिल अंबानी के पास रिलायंस टेलीकॉम का 66 फीसद स्टेक था। इस दौरान उन्होंने अपने बिजनेस का खूब विस्तार किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे- एयरपोर्ट, रोड्स, रियल एस्टेट मेट्रो ट्रेन में काम भी शुरू किया। 

2007 में अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम  का शेयर  766 रुपये प्रति शेयर था जो कि आज एक रुपये हर शेयर के हिसाब से भी नहीं रह गया है। अनिल अंबानी अपने बिजनेस को विस्तार देने में इस कदर डूब गए थे कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि उनकी कंपनी पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने अपने सभी बिजनेस में खूब पैसा लगाया। लाभ की बात तो दूर की है, कुछ बिजनेस में उन्होंने जितना पैसा लगाया था उसके बराबर रिटर्न भी नहीं मिला। इसी वजह से रिलायंस पॉवर का कर्ज पिछले 10 सालों में 500 करोड़ से बढ़कर 31700 करोड़ हो गया और आरकॉम  के लिए भी इन्होंने बहुत कर्ज ले लिया था।

पॉवर और टेलीकॉम इंडस्ट्री में इतनी चुनौतियाँ  होने के बावजूद अनिल अंबानी कई और इंडस्ट्री सीमेंट, डिफेन्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर और मीडिया एवं मनोरंजन में बिजनेस करने लगे। बिजनेस बढ़ाने के लिए अनिल अंबानी ने कई भारतीय और विदेशी कम्पनियों तथा बैंकों से बेतहाशा कर्ज़ लिया। कर्ज़ इतना ज्यादा हो गया कि उसे चुकाना मुश्किल होने लगा, जिसके बाद एरिक्सन ने रिलायंस टेलीकॉम को दिवालिया घोषित करने के लिए तीन याचिकाएं दायर की जिसे एनसीएलटी ने स्वीकार  कर लिया। फिर तो अनिल अंबानी के जेल जाने तक की नौबत आ गई थी। इसके बाद उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने उनकी जमानत करवाई और 580 करोड़ रुपये की मदद भी की। इस समय आरकॉम पर कुल 46 हजार करोड़ का कर्ज है। आरकॉम आज दिवालिया होने के कगार पर है इसलिए कंपनी की सम्पत्ति की बोली भी लगाई जा रही है और मुकेश अंबानी इस सम्पत्ति को खरीदने की प्लानिंग भी कर रहे हैं।

बहुत ज्यादा कर्ज हो जाने और खराब प्रबन्धन की वजह से आज अनिल अंबानी बुरे दौर से गुजर रहे हैं। जिस तरह से इस समय कंपनी अपनी संपत्तियां बेच रही है। आज अनिल अंबानी की नेटवर्थ 1.7 बिलियन डॉलर यानि करीब 12,070 करोड़ रुपये हो गई है, जो कभी 42 बिलियन डॉलर यानि करीब 289800 करोड़ थी।

(ज्यादातर इनपुट इकोनॉमिक टाइम्स ले लिए गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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