Friday, March 29, 2024

अडानी समूह स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी में शामिल: अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च

भारत के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के अडानी ग्रुप पर एक बड़ा आरोप लगा है। जाने-माने अमेरिकी इंवेस्टर रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह शेयरों में हेरफेर करने और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी में शामिल है। हिंडनबर्ग ने बताया कि यह बात दो साल की जांच के बाद सामने आई है। हिंडनबर्ग ने कहा कि इसकी दो साल की जांच से पता चलता है कि 218 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाला अडानी ग्रुप स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी योजना में शामिल है। इसके अलावा रिसर्च संस्था ने कई सनसनीखेज खुलासे किये हैं। 

मसलन उसने अडानी के भाइयों की भूमिका को बेहद संदिग्ध करार दिया है। खाड़ी में रहने वाले गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी को शेल कंपनियों और मनी लॉड्रिंग में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए चिन्हित किया है। इसके साथ ही उसने कई आर्थिक अपराध के मामलों में उनके भाइयों और रिश्तेदारों के शामिल होने और फिर उनकी गिरफ्तारियों का पूरा ब्योरा दिया है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी समूह अभी भी किसी कॉरपोरेट से ज्यादा एक परिवार की कंपनी के तौर पर ऑपरेट करता है। जिसके चलते उसकी चार कंपनियां अपने अस्तित्व के लिए खतरों का सामना कर रही हैं। बेहद लंबी रिपोर्ट में उसने अडानी समूह के कई पुराने कर्मचारियों और निदेशकों से बातचीत की है। 

अमेरिकी शोधकर्ता के मुताबिक अडानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी ने मोटे तौर पर 120 बिलियन अमरीकी डालर का शुद्ध मूल्य अर्जित किया है, जो पिछले 3 सालों में 100 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक हो गया है। इससे कंपनी को इस अवधि में 819 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है।

हिंडनबर्ग की जांच रिपोर्ट में अडानी की संपत्तियों का विवरण है। इसमें कैरिबियाई देशों और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक फैले अडानी -परिवार की संस्थाओं का विवरण दिया गया है। इसका दावा है कि इसका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और करदाताओं की चोरी को बढ़ावा देने के लिए किया गया था

अमेरिका की जानी-मानी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक बाज़ार में हेरफेर करने का सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि अडानी समूह दशकों से 17.8 ट्रिलियन (218 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के स्टॉक के हेरफेर और अकाउंटिंग की धोखाधड़ी का हिस्सा है।अमेरिकी फर्म की रिपोर्ट आने के साथ ही अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के दाम तेज़ी से गिरे। अडानी ट्रांसमिशन के शेयर की क़ीमत में कल 8.87 फ़ीसदी की गिरावट आई। इसी तरह से अडानी पोर्ट्स, अडानी गैस, अडानी विल्मर, अडानी पावर सहित पूरे समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट रही। कहा जा रहा है कि इससे अकेले एक दिन में 80 हजार करोड़ रुपये का अडानी समूह को नुकसान हुआ है।

हिंडनबर्ग रिसर्च के इस आरोप पर अडानी समूह ने कहा है कि दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा और उनके शेयर बिक्री को बर्बाद करने के इरादे ऐसा किया गया है। इसने कहा है कि अडानी समूह आईपीओ की तरह ही फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र यानी एफ़पीओ ला रहा है और इस वजह से एक साज़िश के तहत कंपनी को बदनाम किया जा रहा है।

हिंडनबर्ग अमेरिका आधारित निवेश रिसर्च फर्म है जो एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में एक्सपर्ट है। इसकी स्थापना नेट एंडर्सन ने किया था। यह अपनी आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए जानी जाती है। इसके पहले इसने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली निकोला कंपनी को निशाने पर लिया था। 

यह रिपोर्ट अडानी समूह के प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई है। समूह फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) 27 जनवरी से शुरू होगा और 31 जनवरी को बंद होगा। अडानी समूह इस रिपोर्ट के बाहर आने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन आरोपों की तथ्यात्मक जांच के लिए समूह से संपर्क किए बिना ही इस रिपोर्ट के बाहर आने से वह हैरान है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कैरेबियाई देशों, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स हैवेन देशों में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियों के नेक्सस का विवरण है। जिसके बारे में दावा किया गया है कि इनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और करदाताओं की चोरी को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है। जबकि धन की हेराफेरी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों से की गई थी। रिपोर्ट में इस बात का भी इशारा किया गया है कि विदेश में होने वाला अडानी का सारा कारोबार उनके बड़े भाई विनोद अडानी के जरिये संचालित किया जाता है।

विनोद अडानी, गौतम अडानी के बड़े भाई।

रिसर्च समूह का कहना है कि जांच के दौरान गौतम अडानी के एक विश्वसनीय और अडानी समूह के एक पूर्व निदेशक ने बताया कि “विनोद अडानी लगातार मध्य-पूर्व में रहते हैं। वह दुबई में अडानी समूह के हितों का ख्याल रखते हैं”।

रिसर्च समूह का कहना है कि जांच के दौरान रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया। रिसर्च फर्म का दावा है कि अगर आप हमारी जांच के निष्कर्षों को नजरअंदाज करते हैं तो भी आप अडानी समूह की वित्तीय स्थिति को जांचने के लिए समूह की सात 7 प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों का मूल्यांकन करें तो पाएंगे कि उसके फेस वैल्यू से 85 प्रतिशत तक कम है।

समूह की कंपनियों ने पर्याप्त कर्ज भी ले रखा है, इसमें ऋण लेने के लिए अपने बढ़े हुए स्टॉक के शेयरों को गिरवी रखना तक शामिल है। इसने पूरे समूह को अनिश्चित वित्तीय स्थिति में डाल दिया है। अडानी समूह ने कर्ज संबंधी चिंताओं को बार-बार खारिज किया है। इसके मुख्य वित्तीय अधिकारी जुगशिंदर सिंह ने 21 जनवरी को कहा था कि किसी ने भी हमारे सामने कर्ज की चिंता नहीं जताई है, किसी एक निवेशक ने भी नहीं।

अडानी समूह ने बुधवार को कहा, ‘वित्तीय विशेषज्ञों और प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए विस्तृत विश्लेषण और रिपोर्ट के आधार पर निवेशकों ने हमेशा अडानी समूह पर विश्वास जताया है।” कंपनी के बयान में कहा गया है कि हमारे सूचीबद्ध और जानकार निवेशक निहित स्वार्थों और एकतरफा, निराधार रिपोर्टों से प्रभावित नहीं हैं।

बयान में कहा गया है कि समूह बाजार में अग्रणी व्यवसायों का एक विविध पोर्टफोलियो है जिसका प्रबंधन उच्चतम पेशेवर क्षमता के सीईओ द्वारा किया जाता है और कई दशकों से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा इसकी देखरेख की जाती है। इसने आगे कहा, “समूह हमेशा सभी कानूनों का अनुपालन करता रहा है, अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना, और कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखता है।”

समूह ने बयान जारी करके कहा कि रिसर्च फर्म की यह रिपोर्ट गलत सूचनाओं, निराधार आरोपों का संकलन है, जिसे दुर्भाग्यपूर्ण इरादे से जारी किया गया है। इन सभी आरोपों को भारत के सुप्रीम कोर्ट में पहले ही जांचा जा चुका है। समूह ने इस रिपोर्ट के जारी किये जाने की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि कंपनी के जारी होने वाले एफपीओ से पहले इस रिपोर्ट का छपना स्पष्ट रूप से इस एफपीओ को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य के साथ अडानी समूह की प्रतिष्ठा को कमजोर करने का प्रयास है।

फिच ग्रुप का हिस्सा क्रेडिट साइट्स ने पिछले साल सितंबर में अडानी समूह को “ओवरलेवरेज” के रूप में वर्णित किया था। लेकिन बाद में क्रेडिट साइट्स ने कैलकुलेशन की कुछ गलतियों को ठीक किया लेकिन समूह की ऋण संबंधी चिंता को बरकरार रखा था।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुधवार की अपनी रिपोर्ट में बताया कि अडानी ग्रुप की सभी 7 प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर काफी ज्यादा कर्ज है। इसके साथ ही हिंडनबर्ग ने ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयरों को 85% से ज्यादा ओवरवैल्यूड भी बताया। इतना ही नहीं फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई दशकों से मार्केट मैनिपुलेशन, अकाउंटिंग फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग करने का भी आरोप लगाया है। शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने कहा कि वो यूएस-ट्रेडेड बांड और नॉन इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजीशंस रखेगी। साथ ही अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप के कर्ज पर चिंता भी जताई।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अडानी समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से जुड़े चार मामलों की जांच चल रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अडानी फैमिली के सदस्य भी, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और कैरेबियाई द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवेन में शेल कंपनियों का संचालन करते हैं और इन पर भी धोखाधड़ी का आरोप है।

फर्म की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप की सभी लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। बुधवार को अडानी ट्रांसमिशन 8.08%, अडाणी पोर्ट्स 6.13%, अडाणी विल्मर 4.99%, अडाणी पावर 4.95%, अडाणी टोटल गैस 3.90%, अडाणी ग्रीन एनर्जी 2.34% और अडानी इंटरप्राइजेज 1.07% गिरकर बंद हुआ। अडाणी ग्रुप द्वारा हाल ही में खरीदी कंपनियों अंबुजा सीमेंट 6.96%, एसीसी 7.14% और एनडीटीवी का शेयर 5.00% गिरा।

इसके अलावा रिपोर्ट में अडानी परिवार के अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। जिसमें अडानी समूह के खिलाफ विभिन्न दौरों में सरकारी एजेंसियों की तरफ से की गयी जांचों का हवाला दिया गया है। जिसमें भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स दाताओं के फंड की चोरी समेत तमाम क्षेत्रों का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें तकरीबन 17 बिलियन डॉलर की राशि शामिल है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानि डीआरआई की जांच रिकॉर्ड में गौतम अडानी के भाई ने 2004 से 2006 के बीच हीरे की एक ट्रेडिंग स्कीम की योजना बनायी थी। जिसमें उन्हें कस्टम टैक्स की चोरी, विदेशी डाक्यूमेंट में हेराफेरी और अवैध आयात के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह आजकल अडानी समूह के एक बड़े हिस्से के प्रबंध निदेशक के तौर पर काम कर रहे हैं।

गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी जो उस समय अडानी एक्सपोर्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर थे, तमाम परिवार के सदस्यों में वह भी एक अभियुक्त थे। डायमंड ट्रेडिंग और उसके आयात-निर्यात में उनकी केंद्रीय भूमिका थी। डीआरआई के मुताबिक “…सोने/हीरे के आयात/निर्यात संबंधी एईएल(अडानी एक्सपोर्ट लिमिटेड) और दूसरी कंपनियों से जुड़े सभी नीतिगत फैसले एईएल के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री राजेश अडानी के साथ विचार-विमर्श के बाद श्री समीर वोरा द्वारा लिए जाते थे।”

आपको बता दें कि राजेश अडानी को 1999 और 2010 में गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसमें उनके ऊपर कस्टम टैक्स में चोरी और आयात सामानों को कम करके दिखाने के आरोप लगे थे।

राजेश अडानी, अडानी के छोटे भाई।

दिलचस्प बात यह है कि जब किसी कंपनी के कर्मचारी या अफसर पर किसी स्कीम में हेराफेरी करने या फिर सरकार के साथ फ्राड करने का आरोप लगता है या फिर उसे कई बार गिरफ्तार किया जाता है तो उसे बर्खास्त कर दिया जाता है और कुछ देशों में तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है। लेकिन अडानी समूह में उन्हें प्रमोशन मिलता है। राजेश अडानी मौजूदा समय में अडानी समूह के मैनेजिंग डाइरेक्टर हैं और उन्हें अडानी समूह के सबसे प्रमुख हिस्से के तौर पर पेश किया जाता है।

ऊपर जिस समीर वोरा की बात की गयी है वह गौतम अडानी के साले हैं। और उन्हें डायमंड स्कैम मामले का रिंग मास्टर माना जाता है। डीआरआई ने उनके ऊपर लगातार झूठ बोलने का आरोप लगाया था। लेकिन उसी समय कंपनी ने प्रमोशन कर उन्हें अडानी आस्ट्रेलिया का एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना दिया। इस भ्रष्टाचार में गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम भी शामिल था।

हालांकि अडानी अब बाहर के अपने कारोबार में विनोद अडानी की भूमिका से इंकार करते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने शेल कंपनियों का एक बड़ा अंपायर खड़ा कर दिया है। जो अडानी समूह की कंपनियों में बड़े स्तर पर पैसे डालने का काम करता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राजेश की तरह विनोद अडानी ने भी 6.8 बिलियन डॉलर के डायमंड फ्राड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। भारतीय मीडिया में विनोद अडानी को एक मायावी व्यक्तित्व के तौर पर पेश किया जाता रहा है….कुछ एडरटोरियल के अलावा उनके बारे में बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है।

रिपोर्ट में रिजर्व बैंक के एक पूर्व वरिष्ठ अफसर के हवाले से कहा गया है कि “इस तरह के किसी समूह की बेहिसाब बढ़त जो ऋण, अधिग्रहण और एक बढ़ा हुआ स्टॉक मूल्य पर आधारित हो, जांच होनी ही चाहिए।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के उच्च रैंकों और 22 मुख्य पदों में 8 पर परिवार के सदस्यों का कब्जा है। और परिवार के यही सदस्य पूरे समूह को नियंत्रित करते हैं। वह वित्तीय कारोबार हो या फिर कोई बड़ा फैसला। यही वजह है कि कंपनी के एक पूर्व अफसर ने अडानी समूह को एक ‘परिवार का व्यवसाय’ करार दिया। समूह पर अब तक चार फ्राड के आरोप लग चुके हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने मारीशस से आपरेट की जाने वाली 38 शेल कंपनियों को चिन्हित किया है। और इसको संचालित करने का काम कोई और नहीं बल्कि गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी करते हैं। फर्म का कहना है कि विनोद साइप्रस, यूएई, सिंगापुर और बहुत सारे कैरेबियन द्वीप समूहों से संचालित होने वाली शेल कंपनियों के भी सूत्रधार हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इस तरह की किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी में प्रमोटर के अलावा कम से कम 25 फीसदी शायर धारक बाहरी होने चाहिए। लेकिन अडानी समूह की चार ऐसी कंपनियां हैं जो इस बुनियादी शर्त का भी पालन नहीं करतीं। जिसके चलते उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। और सेबी ने उन सभी को नोटिस दिया हुआ है।

फर्म की ओर से भेजे गए आरटीआई के जवाब में सेबी ने इस बात की पुष्टि की कि बाहर से आने वाले फंड की जांच हो रही है। और यह मीडिया तथा संसद में उठाए गए सवालों के बाद पिछले डेढ़ साल से जारी है। समूह को यहां तक पहुंचाने में दो बदनाम शख्स केतन पारेख और धर्मेश दोषी की भूमिका बतायी गयी है। केतन पारेख को स्टॉक एक्सचेंज में मैनिपुलेशन के लिए जाना जाता है और उन पर प्रतिबंध भी लग चुका है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अभी भी स्टॉक एक्सचेंज में उनका दबदबा बना हुआ है। इसके अलावा धर्मेश दोषी भगोड़े हैं और वह देश से बाहर रह कर अडानी समूह के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

फर्म के मुताबिक एक दौर में मोंटरेसा फंड्स द्वारा अडानी पावर और अडानी एंटरप्राइजेज में बड़े स्तर पर निवेश किया गया जो अडानी समूह और बाहर से मिलने वाले उसे संदिग्ध फंड की ओर इशारा करता है।

इसी तरह से साइप्रस आधारित एक फर्म न्यू लिएना का जून 2021 तक अडानी ग्रीन एनर्जी में  420 मिलियन डॉलर का स्टेक था। जो तकरीबन कंपनी के 95 फीसदी शेयर का निर्माण करता है। फर्म की मानें तो संसदीय रिकॉर्ड में इस विदेशी शेल कंपनी का अडानी की दूसरी कंपनियों में भी निवेश है।

फर्म का मानना है कि अडानी समूह दिन के उजाले में बड़ा और खुला फ्राड करने में सक्षम है। क्योंकि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहां तक कि राजनेता भी बदले की कार्रवाई के डर से उसके खिलाफ बोलने से डरते हैं।

फर्म ने अडानी समूह द्वारा किए गए 88 अधिग्रहणों को चिन्हित किया है। रिपोर्ट के आखिर में फर्म ने अडानी समूह से कई सवाल पूछे हैं। और उन पर उससे जवाब की अपेक्षा की है। 

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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Ganesh Kumar
Ganesh Kumar
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1 year ago

फ्राड के बिना इस तरह का विकास असंभव है। चूंकि भारत में कोई बोलने वाला नहीं है इसीलिए चल रहा है।

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