परिवार समेत लंदन भागा अदार पूनावाला, कहा- भारत में शक्तिशाली लोग कर रहे हैं परेशान

ललित मोदी और विजय माल्या के नक्शे क़दम पर चलकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का सीईओ अदार पूनावाला परिवार समेत लंदन भाग गया है। एसआईआई के प्रमुख ने ‘द टाइम्स’ को बताया कि दबाव की वजह से वह अपनी बेटी और पत्नी के साथ लंदन आ गया है। 40 वर्षीय पूनावाला ने कहा है, ”मैं यह अतिरिक्त समय तक इसलिए रुका हूं, क्योंकि मैं उस स्थिति में फिर से जाना नहीं चाहता। सब कुछ मेरे कंधे पर आ गया है, लेकिन मैं अकेले कुछ नहीं कर सकता। मैं ऐसी स्थिति में नहीं रहना चाहता, जहां आप अपना काम कर रहे हों, और आप एक्स, वाई या जेड की मांगों की सप्लाई को पूरा नहीं कर सकें। यह भी नहीं पता हो कि वे आपके साथ क्या करने जा रहे हैं।”

अदार पूनावाला ने ‘द टाइम्स’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया, “भारत के पावरफुल लोग आक्रामक रूप से कॉल करके कोविशील्ड वैक्सीन की मांग कर रहे हैं। उम्मीद और आक्रामकता का स्तर वास्तव में अभूतपूर्व है। यह भारी है। सभी को लगता है कि उन्हें टीका मिलना चाहिए। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि किसी और से पहले उन्हें क्यों मिलना चाहिए।”

बता दें कि कोविशील्ड पहली वैक्सीन है, जिसे डीसीजीआई ने कोरोना के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। कोविशील्ड का उत्पादन दुनिया की वैक्सीन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है।

तीन दिन पहले मिली थी ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा
तीन दिन पहले यानि 28 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला के लिए वाई श्रेणी की सुरक्षा को स्वीकृति दी गई थी। जाहिर है पूनावाला पर संभावित ख़तरे को देखते हुए उन्हें यह सुरक्षा दी गई थी। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के गवर्नमेंट एंड रेगुलेटरी अफेयर्स के डायरेक्टर प्रकाश कुमार सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वैक्सीन आपूर्ति से जुड़े कई समूहों से पूनावाला को ख़तरा है। वाई श्रेणी के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के चार से पांच सशस्त्र कमांडो उनकी सुरक्षा में रहेंगे। देश के किसी भी हिस्से में यात्रा के दौरान ये कमांडो पूनावाला के साथ होंगे।

कोविशील्ड का दाम बढ़ाने पर निशाने पर थे
21 अप्रैल को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन के कीमतों की घोषणा की थी। इसमें प्राइवेट अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों के लिए दाम अलग-अलग रखा गया था। प्राइवेट अस्पतालों को सीरम इंस्टीट्यूट की कोरोना वैक्सीन 600 रुपये में, जबकि सरकारी अस्पतालों को इसकी एक डोज के लिए 400 रुपये निर्धारित किये गये थे। केंद्र सरकार को सीरम इंस्टीट्यूट महज 150 रुपय में वैक्सीन मुहैया करवा रही थी। वर्तमान में भारत सरकार ही देश में सभी वैक्सीन की बिक्री और खरीद को नियंत्रित करती है।

वैक्सीन पर मोटा मुनाफ़ा कमाने के आरोपों और आलोचना झेलने और वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों पर विवाद और केंद्र सरकार द्वारा दखल देकर सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन की कीमतें कम करने की संभावनाएं तलाशने को कहने के बाद राज्यों को दी जाने वाली कोविशील्ड वैक्सीन की कीमतों में 100 रुपये की कटौती की गई थी।

28 अप्रैल को सीरम के सीईओ अदार पूनावाला ने राज्यों  के लिए वैक्सीन की कीमतों में 100 रुपये की कटौती का एलान करते हुए कहा था, “अब राज्यों को वैक्सीन का एक डोज 400 रुपये की जगह 300 रुपये में दिया जाएगा। यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा।”

केंद्र ने बिना गारंटी तीन हजार करोड़ रुपये कंपनी को दिए
19 अप्रैल को केंद्र सरकार ने भारत के सीरम इस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को 3,000 करोड़ रुपये एडवांस में दे दिये थे। वहीं भारत बायोटेक को करीब 15,00 करोड़ रुपये एडवांस में दिए गए हैं। सरकार ने ये पैसे इन कंपनियों को वैक्सीन के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए दिये थे। अगले 2-3 महीने में इन कंपनियों को वैक्सीन की सप्लाई करनी थी। हालांकि ऐसी भी ख़बरें थीं कि यह राशि अनुदान (grant) के तौर पर दी गई है। सरकार ने ऐसा करके अपने स्वयं के वित्तीय नियमों में ढील दी है। 

केंद्र सरकार के ‘सामान्य वित्तीय नियम’ के तहत खास तौर से 172 का नियम है कि इस तरह की भारी भरकम राशि किसी भी कॉन्ट्रैक्टर या प्रॉफिट कंपनियों को बगैर बैंक गारंटी या कोलेटरल के नहीं दिया जाता। एक अधिकारी के मुताबिक फाइनेंस मिनिस्ट्री ने सामान्य वित्तीय नियमों में ढील दी है। अगर वो चाहें तो हेल्थ मिनिस्ट्री को वैक्सीन की सप्लाई करने वालों को बिना किसी बैंक गारंटी के एडवांस में पेमेंट करने की अनुमित दी जा सकती है। कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी थी।

1 मई से कोविड टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू होना था, जिसके अंतर्गत 18 साल से ऊपर वालों को कोरोना वैक्सीन लगाया जाता, लेकिन वैक्सीन की शॉर्टेज के चलते पांच भाजपा शासित राज्यों मध्यप्रदेश, गोवा, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक समेत पश्चिम बंगाल, दिल्ली, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ​​यानी 11 अन्य राज्यों ने वैक्सीनेशन प्रोग्राम तय समय से शुरू करने से इनकार कर दिया है।

शॉर्टेज की वजह से कल 1 मई को देश भर में महज 84,599 लोगों को ही वैक्सीन लग सकी। यह डेटा स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिया गया है, जबकि रजिस्ट्रेशन शुरू होने पर पहले ही दिन 1.32 करोड़ लोगों ने खुद को रजिस्टर्ड किया था।

गौरतलब है कि एक मई से टीकाकरण के लिए कोविन पोर्टल पर 28 अप्रैल शाम चार बजे से पंजीकरण शुरू हो गए थे। शुक्रवार की सुबह तक 2.45 करोड़ लोग अपना पंजीकरण करा चुके थे, लेकिन खबर है कि ज्यादातर राज्यों में टीकाकरण के लिए स्लाट नहीं दिए जा रहे हैं।

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